न्यू ईयर सेल | 50% डिस्काउंट | 28 से 31 दिसंबर तक   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

रैपिड फायर

जल्लीकट्टू

  • 26 Dec 2024
  • 2 min read

स्रोत:द हिंदू

तमिलनाडु सरकार ने भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के मार्गदर्शन में वर्ष 2025 में सुरक्षित जल्लीकट्टू आयोजनों के लिये एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की है।

  • आयोजनों को तमिलनाडु पशु क्रूरता निवारण (जल्लीकट्टू का आयोजन) नियम, 2017 की धारा 3(2) का पालन करना होगा, जिसके तहत केवल अनुमति के साथ अधिसूचित स्थानों पर ही जल्लीकट्टू की अनुमति दी जाएगी, बैलों की सुरक्षा और क्रूरता की रोकथाम सुनिश्चित की जाएगी।
  • 2,000 वर्ष से अधिक पुराना, जल्लीकट्टू, तमिलनाडु का एक पारंपरिक खेल है जो मूल रूप से उपयुक्त वर का चयन करने के लिये आयोजित किया जाता था। 
    • यह खेल भारत के एक जातीय समूह अयार से जुड़ा हुआ है, और इसका नाम "जल्ली" (सिक्के) और "कट्टू" (बंधा हुआ) से निकला है।
    • यह मट्टू पोंगल दिवस (पोंगल का तीसरा दिन ) पर मनाया जाता है, जहाँ एक बैल को छोड़ दिया जाता है, और प्रतिभागी उसके सींग पर बंधे सिक्के जीतने के लिये उसे वश में करते हैं। 
    • इस खेल में पुलिकुलम या कंगायम नस्ल के बैलों का उपयोग किया जाता है, जो प्रजनन और बाज़ार में बिक्री के लिये अत्यधिक मूल्यवान हैं।
  • जल्लीकट्टू को दर्शाती एक मुहर सिंधु घाटी स्थल पर मिली थी, जिसे राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली में संरक्षित किया गया है। मदुरै के निकट एक 1500 वर्ष पुरानी गुफा चित्रकला में भी इस खेल को दर्शाया गया है।
  • जल्लीकट्टू के विभिन्न संस्करणों, जैसे वादी मंजुविरट्टू, वेलि विरट्टू और वटम मंजुविरट्टू में बैल को पकड़ने की अवधि या तय की जाने वाली दूरी के संबंध में अलग-अलग नियम हैं।

Jallikattu

और पढ़ें: जल्लीकट्टू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2