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जैसलमेर किला

  • 09 Aug 2024
  • 3 min read

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

राजस्थान के ऐतिहासिक जैसलमेर किले की दीवारें भारी बारिश के कारण ढह गईं, जिसके कारण इस यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के बेहतर रखरखाव और संरक्षण की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है। उचित रखरखाव के अभाव में दीवारें कमज़ोर होकर ढह गईं।  

  • जैसलमेर किला भारत का एकमात्र ‘सक्रिय/जीवंत’ किला है, जहाँ आज भी कई निवासी रहते हैं, जिससे इस किले का रखरखाव उनकी सुरक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
    • राजा रावल सिंह द्वारा 1156 ई. में निर्मित इस किले का निर्माण राज्य को आक्रमणों से बचाने के लिये रणनीतिक रूप से किया गया था। यह भारत को मध्य एशिया से जोड़ने वाले सिल्क रूट पर एक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था।
      • सूर्य प्रकाश के कारण रंग बदलने वाले पीले बलुआ पत्थर से निर्मित यह किला सुनहरा दिखाई देता है, जिसके कारण इसे "सोनार किला" या "स्वर्ण किला" नाम दिया गया है।
    • राज महल (रॉयल पैलेस) किले के भीतर सबसे बड़ा महल है, जिसमें अलंकृत बालकनियाँ हैं और इस किले में जटिल नक्काशी की गई है। यह मध्ययुगीन राजस्थानी वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है जिसमें इस्लामी और राजपूत शैली के प्रभावों का एक उल्लेखनीय मिश्रण है।
  • किले के रखरखाव के लिये भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ज़िम्मेदार है। 
  • चित्तौड़, कुंभलगढ़, रणथंभौर, गागरोन, आमेर और जैसलमेर किलों सहित राजस्थान के पहाड़ी किलों को वर्ष 2013 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया था।
    • जैसलमेर किला, चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़ व रणथंभौर किलों के साथ प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारक तथा पुरातत्व स्थल एवं अवशेष (राष्ट्रीय महत्त्व की घोषणा) अधिनियम, 1951 के तहत भारत के राष्ट्रीय महत्त्व के स्मारक के रूप में संरक्षित हैं।

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