जगन्नाथ रथ यात्रा | 21 Jun 2023
जगन्नाथ रथ यात्रा आधिकारिक रूप से ओडिशा के पुरी में शुरू होती है। इस वर्ष यह त्योहार 20 जून, 2023 को शुरू हुआ और 28 जून, 2023 को समाप्त होगा।
जगन्नाथ रथ यात्रा:
- जगन्नाथ रथ यात्रा एक वार्षिक हिंदू त्योहार है जिसमें भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई भगवान बलभद्र और उनकी छोटी बहन देवी सुभद्रा की पुरी, ओडिशा में उनके घर के मंदिर से लगभग तीन किलोमीटर दूर गुंडिचा में उनकी मौसी के मंदिर तक की यात्रा का जश्न मनाया जाता है।
- इस त्योहार के पीछे किंवदंती यह है कि एक बार देवी सुभद्रा ने गुंडिचा में अपनी मौसी के घर जाने की इच्छा व्यक्त की।
- उसकी इच्छा पूरी करने हेतु भगवान जगन्नाथ और भगवान बलभद्र ने रथ पर उसके साथ जाने का फैसला किया। अतः इस घटना की याद में देवताओं को इसी तरह यात्रा पर ले जाकर प्रत्येक वर्ष त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
- माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में पूर्वी गंग राजवंश के राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव द्वारा करवाया गया था। हालाँकि कुछ सूत्रों का कहना है कि यह त्योहार प्राचीन काल से ही चलन में था।
- इस त्योहार को रथों के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि देवताओं को लकड़ी के तीन बड़े रथों पर ले जाया जाता है और भक्तगण इन रथों को रस्सियों से खींचा जाता है।
- यह त्योहार आषाढ़ (जून-जुलाई) के महीने के शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन से शुरू होता है और नौ दिनों तक चलता है।
- रथों की विशेषताएँ:
- रूपकार सेवक (Rupakar Servitors), जो कि कुशल कारीगर होते हैं, द्वारा रथों पर पक्षियों, पशुओं, पुष्पों और संरक्षक देवताओं की जटिल आकृतियाँ बनाई जाती हैं।
जगन्नाथ पुरी मंदिर:
- जगन्नाथ पुरी मंदिर भारत के ओडिशा राज्य में स्थित सबसे प्रभावशाली स्मारकों में से एक है।
- इस मंदिर को "व्हाइट पैगोडा" के रूप में जाना जाता है और यह चार धाम तीर्थयात्राओं (बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी, रामेश्वरम) का एक हिस्सा है।
- यह कलिंग वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है जो घुमावदार शिखर, जटिल नक्काशी और अलंकृत मूर्तियों की विशेषता के लिये विख्यात है।
- मंदिर परिसर ऊँची दीवारों से घिरा हुआ है तथा इसके चारों द्वार चार मुख्य दिशाओं की ओर खुलते हैं।
- मुख्य मंदिर में चार संरचनाएँ हैं: विमान (गर्भगृह), जगमोहन (सभा कक्ष), नट-मंदिर (त्योहार कक्ष) और भोग-मंडप (प्रसाद कक्ष)।
- जगन्नाथ पुरी मंदिर को ‘यमनिका तीर्थ’ भी कहा जाता है, जहाँ हिंदू मान्यताओं के अनुसार, पुरी में भगवान जगन्नाथ की उपस्थिति के कारण मृत्यु के देवता ‘यम’ की शक्ति समाप्त हो गई है।