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प्रारंभिक परीक्षा

इसरो का स्पैडेक्स

  • 30 Dec 2024
  • 8 min read

स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड

चर्चा में क्यों? 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 30 दिसंबर, 2024 को स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (SpaDeX) मिशन के प्रक्षेपण के साथ एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करने के लिये तैयार है।

इस मिशन का उद्देश्य उपग्रह डॉकिंग क्षमताओं का प्रदर्शन करना है, जो भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिये एक महत्त्वपूर्ण तकनीक है।

स्पैडेक्स क्या है?

  • परिचय: स्पैडेक्स (Space Docking Experiment- SpaDeX) एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन है जिसे इसरो द्वारा अंतरिक्ष में डॉकिंग प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन करने के लिये विकसित किया गया है।
    • इस मिशन का उद्देश्य दो छोटे अंतरिक्ष यान को एक-दूसरे से मिलाने, डॉक करने और अनडॉक करने की क्षमता का प्रदर्शन करना है, जो भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं में एक महत्त्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है।
  • उद्देश्य: स्पैडेक्स (SpaDeX) का प्राथमिक लक्ष्य, पृथ्वी की निचली कक्षा में दो छोटे अंतरिक्ष यान, SDX01 (चेज़र) और SDX02 (टारगेट) के लिये डॉकिंग तकनीक विकसित करना है।
    • वे उन्नत सेंसर और प्रणोदन प्रणालियों का उपयोग करते हुए स्वायत्त रूप से डॉकिंग करेंगे।
    • द्वितीयक उद्देश्यों में विद्युत शक्ति हस्तांतरण का परीक्षण और अंतरिक्ष यान नियंत्रण का प्रदर्शन शामिल है।
  • मिशन अवधि: दो वर्ष
  • मिशन डिज़ाइन: स्पैडेक्स (SpaDeX) दो उपग्रहों, SDX01 और SDX02 को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) रॉकेट का उपयोग करके 470 किमी. की कक्षा में स्थापित करेगा, जहाँ वे अलग हो जाएंगे और धीरे-धीरे एक-दूसरे के पास आएंगे, अंततः 20 किमी. से 3 मीटर की दूरी पर डॉकिंग करेंगे।
    • दोनों उपग्रह भारतीय डॉकिंग सिस्टम (BDS) से सुसज्जित हैं।
      • BDS में समान, कम प्रभाव (उपगमन वेग 10 मिमी./सेकंड के क्रम का है), उभयलिंगी (डॉकिंग सिस्टम दोनों अंतरिक्ष यान, चेज़र और टारगेट के लिये समान हैं) डॉकिंग तंत्र हैं, जो उपग्रह सर्विसिंग, चालक दल के स्थानांतरण और भारत के अंतरिक्ष स्टेशन विकास जैसे भविष्य के कार्यों के लिये मिशन के लचीलेपन तथा सटीकता को बढ़ाते हैं।
    • स्पैडेक्स (SpaDeX) शैक्षणिक संस्थानों और स्टार्टअप्स से 24 पेलोड ले जाने के लिये PSLV के चौथे चरण, POEM (PSLV ऑर्बिटल एक्सपेरीमेंटल मॉड्यूल)-4 का उपयोग करेगा। ये प्रयोग कक्षा में सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण वातावरण का लाभ उठाएंगे।
  • डॉकिंग चुनौती: दोनों उपग्रह (चेज़र और टारगेट) 28,800 किमी/घंटा की गति से परिक्रमा करेंगे। डॉकिंग से पहले उन्हें सावधानीपूर्वक अपने सापेक्ष वेग को घटाकर 0.036 किमी/घंटा करना होगा।

स्पेस डॉकिंग

  • स्पेस डॉकिंग का तकनीक का तात्पर्य अंतरिक्ष में दो अंतरिक्ष यानों को जोड़ने की तकनीक से है। यह एक ऐसी तकनीक है जिसकी सहायता से मानव को एक अंतरिक्ष यान से दूसरे अंतरिक्ष यान में भेज पाना संभव होता है। 
    • यह क्षमता अंतरिक्ष में बड़ी संरचनाओं को इकट्ठा करने या उपकरण, चालक दल या आपूर्ति को स्थानांतरित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • उदाहरण के लिये, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) का निर्माण इसी तकनीक का उपयोग करके किया गया था, जिसमें विभिन्न मॉड्यूलों को अलग-अलग प्रक्षेपित किया गया था और अंतरिक्ष में स्थापित किया गया था। 
    • निरंतर डॉकिंग मिशन, आपूर्ति, नए चालक दल के सदस्यों और मॉड्यूलों को पहुँचाकर ISS को प्रचालन में बनाए रखते हैं, तथा पुराने चालक दल के सदस्यों को पृथ्वी पर वापस लौटने में सहायता करते हैं।

स्पेस डॉकिंग प्रौद्योगिकी भारत के लिये महत्त्वपूर्ण क्यों है?

  • मॉड्यूलर स्पेस इन्फ्रास्ट्रक्चर: मल्टी-मॉड्यूलर स्पेस स्टेशन बनाने के लिये डॉकिंग एक शर्त है। यह अंतरिक्ष में संरचनाओं के संयोजन की अनुमति देता है, जिससे एकल प्रक्षेपण मिशनों के आकार और भार संबंधी बाधाओं में कमी आती है।
  • अंतरग्रहीय और चंद्र मिशन: डॉकिंग से कक्षीय ईंधन भरने और पेलोड विनिमय में सहायता मिलती है, जिससे लूनर बेस और मंगल अन्वेषण के लिये मिशन लचीलापन बढ़ता है। 
  • मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम: गगनयान और उससे आगे के दीर्घकालिक मिशनों के दौरान चालक दल के स्थानांतरण और आपातकालीन निकासी के लिये अंतरिक्ष डॉकिंग महत्त्वपूर्ण है।
  • वैश्विक सहयोग और बाज़ार संभावना: स्पैडेक्स भारत को रूस, अमेरिका और चीन के बाद चौथा देश बना सकता है, जो अंतरिक्ष डॉकिंग में महारत हासिल करेगा, उपग्रह सेवा में अपनी उपस्थिति को मज़बूत करेगा और उन्नत अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को सक्षम करेगा।
  • उपग्रह सर्विसिंग: डॉकिंग से उपग्रहों की सर्विसिंग, ईंधन भरने और उन्हें उन्नत करने की सुविधा मिलती है, जिससे उनका परिचालन जीवन और प्रदर्शन बेहतर होता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स 

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

इसरो द्वारा प्रक्षेपित मंगलयान

  1. को मंगल ऑर्बिटर मिशन भी कहा जाता है।
  2. के कारण अमेरिका के बाद मंगल ग्रह की परिक्रमा करने वाला भारत दूसरा देश बना।
  3.  ने भारत को अपने अंतरिक्ष यान को अपने पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह की परिक्रमा करने में सफल होने वाला एकमात्र देश बना दिया।

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

(a) केवल
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)

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