प्रारंभिक परीक्षा
इसरो नेक्स्ट-जेन लॉन्च व्हीकल
- 14 Oct 2022
- 8 min read
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो/ISRO) ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) जैसी परिचालन प्रणालियों को बदलने के लिये नेक्स्ट-जेन लॉन्च व्हीकल (NGLV) का विकास कर रहा है।
- अंतरिक्षयान को अंतरिक्ष में ले जाने के लिये प्रक्षेपण यान का उपयोग किया जाता है। भारत के पास दो ऑपरेशनल लॉन्चर हैं- PSLV और जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV)।
नेक्स्ट-जेन लॉन्च व्हीकल:
- परिचय:
- इसरो NGLV के लिये जियोस्टेशनरी ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में दस टन की पेलोड क्षमता वाले लागत प्रभावी, तीन चरण वाला, पुन: प्रयोज्य भारी-लिफ्ट वाहन के निर्माण पर विचार कर रहा है।
- इसका मज़बूत डिज़ाइन थोक विनिर्माण, मॉड्यूलरिटी इन सिस्टम, सब-सिस्टम और चरणों में न्यूनतम टर्नअराउंड समय की अनुमति देता है।
- विशेषताएँ: इसमें बूस्टर चरणों के लिये सेमी-क्रायोज़ेनिक प्रोपल्शन [लिक्विड ऑक्सीजन के साथ ईंधन के रूप में परिष्कृत मिट्टी तेल (ऑक्सीडाइज़र के रूप में)] की सुविधा होगी।
- उपयोग: इसका संभावित उपयोग संचार उपग्रह, डीप स्पेस मिशन, भविष्य के मानव अंतरिक्ष उड़ान और कार्गो मिशन लॉन्च करने में होगा।
इसरो द्वारा विकसित अन्य प्रक्षेपण यान:
- सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV):
- इसरो द्वारा विकसित पहले रॉकेट को केवल SLV या सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल कहा जाता था।
- इसके बाद संवर्द्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान (ASLV) विकसित हुआ।
- संवर्द्धित सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (ASLV):
- SLV और ASLV दोनों ही छोटे उपग्रहों, जिनका वज़न 150 किलोग्राम तक होता है, को पृथ्वी की निचली कक्षाओं में ले जा सकते हैं।
- ASLV का परिचालन PSLV के निर्माण से पहले वर्ष 1990 के दशक की शुरुआत तक किया जाता था।
- ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV): PSLV का पहला प्रक्षेपण वर्ष 1994 में हुआ था और तब से यह इसरो का मुख्य रॉकेट है। हालाँकि वर्तमान PSLV वर्ष 1990 के दशक में इस्तेमाल किये जाने वाले PSLV की तुलना में काफी बेहतर और कई गुना अधिक शक्तिशाली है।
- यह लिक्विड स्टेज से लैस पहला भारतीय लॉन्च व्हीकल है।
- PSLV, ISRO द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला अब तक का सबसे विश्वसनीय रॉकेट है, जिसकी 54 में से 52 उड़ानें सफल रही हैं।
- इसने सफलतापूर्वक दो अंतरिक्षयान- वर्ष 2008 में चंद्रयान-1 और वर्ष 2013 में मार्स ऑर्बिटर अंतरिक्षयान को सफलतापूर्वक लॉन्च किया, जिन्होंने क्रमशः चंद्रमा और मंगल की यात्रा की।
- जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV): GSLV एक अधिक शक्तिशाली रॉकेट है, जो भारी उपग्रहों को अंतरिक्ष में अधिक गहराई तक ले जाने में सक्षम है। GSLV रॉकेटों ने अब तक कुल 18 मिशनों को अंजाम दिया है, जिनमें से चार विफल रहे हैं।
- यह लो अर्थ ऑर्बिट में 10,000 किलो के उपग्रह प्रक्षेपित कर सकता है।
- स्वदेश में विकसित क्रायोजेनिक अपर स्टेज (CUS), GSLV Mk-II के तीसरे चरण का निर्माण करता है।
- Mk-III संस्करणों ने ISRO को अपने उपग्रहों को लॉन्च करने में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बना दिया है।
- इससे पहले यह अपने भारी उपग्रहों को अंतरिक्ष में ले जाने के लिये यूरोपीय एरियन प्रक्षेपण यान पर निर्भर था।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्नप्रश्न. भारत के उपग्रह प्रक्षेपण यान के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) व्याख्या:
अतः विकल्प (A) सही उत्तर है। |