प्रारंभिक परीक्षा
ईरान के विरुद्ध इज़रायल का GPS स्पूफिंग
- 24 Apr 2024
- 7 min read
स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड
चर्चा में क्यों?
हाल की रिपोर्टों से पता चलता है कि इज़रायल ने ईरानी मिसाइल हमलों से बचने के लिये ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम (GPS) स्पूफिंग तकनीकों का उपयोग किया, जो भारत में कारगिल युद्ध के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका (US) की कार्रवाई जैसे पिछले उदाहरणों की याद दिलाती है।
GPS स्पूफिंग क्या है?
- परिचय:
- GPS स्पूफिंग एक ऐसी तकनीक है जिसका उपयोग इसके प्राप्तकर्त्ताओं को गुमराह करने के लिये GPS सिग्नलों में हेर-फेर करने के लिये किया जाता है, जिससे उन्हें विश्वास हो जाता है कि वे अपने स्थान से भिन्न स्थान पर हैं।
- इसमें गलत GPS सिग्नलों को प्रसारित करना या नेविगेशन सिस्टम को गुमराह करने के लिये वास्तविक सिग्नलों को बदलना शामिल हो सकता है, जिससे स्थिति संबंधी गलत जानकारी मिल सकती है।
- स्पूफिंग का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिये किया जा सकता है, जिसमें दुश्मन नेविगेशन सिस्टम को गुमराह करना, अनधिकृत ट्रैकिंग से बचाव, या दुर्भावनापूर्ण इरादों के लिये गलत स्थान का डेटा बनाना शामिल है।
- निहितार्थ:
- सैन्य व्यवधान: शत्रु देश की नेविगेशन प्रणाली को गुमराह करना, जिससे वह गलत लक्ष्य प्राप्त कर सके।
- नेविगेशन सुरक्षा जोखिम: समुद्री एवं विमानन क्षेत्रों में संभावित दुर्घटनाएँ अथवा टकराव।
- महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे में व्यवधान: पावर ग्रिड अथवा परिवहन प्रणालियों जैसी आवश्यक सेवाओं में व्यवधान।
- वित्तीय धोखाधड़ी: धोखाधड़ी वाले लेन-देन के लिये स्थान आधारित सेवाओं में हेर-फेर आदि।
- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरा: सैन्य अथवा सरकारी एजेंसियों में धोखाधड़ी, जासूसी एवं घुसपैठ जैसे जोखिम पैदा कर सकता है।
क्या कारगिल युद्ध के दौरान अमेरिका GPS स्पूफिंग में शामिल था?
- रिपोर्ट्स केअनुसार, लगभग 25 वर्ष पूर्व 1999 में पाकिस्तानी सैनिक भारत में घुस आए थे और उन्होंने कारगिल में पोज़िशन ले ली थी। भारतीय सेना ने इस क्षेत्र के लिये GPS डेटा का अनुरोध किया था लेकिन अमेरिका ने इससे इनकार कर दिया था।
- अमेरिका ने शुरू में सैन्य उपयोग के लिये सर्वोत्तम सटीकता को सुरक्षित रखते हुए नागरिक GPS रिसीवरों में जान-बूझकर त्रुटियाँ प्रस्तुत करने हेतु "चयनात्मक उपलब्धता" नामक एक तकनीक को नियोजित किया था।
- इस तकनीक का उपयोग कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना के लिये GPS की सटीकता को "घटाने" के लिये किया गया था, जिससे उनके संचालन में बाधा उत्पन्न हुई थी।
- भारत की प्रतिक्रिया:
- भारत ने NavIC (भारतीय नक्षत्र में नेविगेशन) विकसित किया, जिसे पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) के रूप में जाना जाता था।
- NavIC भारत में कहीं भी और भारत की क्षेत्रीय सीमा से 1500 किलोमीटर दूर सटीक एवं सुरक्षित स्थिति, नेविगेशन तथा समय निर्धारित सेवाएँ (Timing Services) प्रदान करता है।
- NavIC दो सेवाएँ प्रदान करता है:
- नागरिक उपयोगकर्त्ताओं के लिये मानक स्थिति सेवा (SPS) और रणनीतिक उपयोगकर्ताओं के लिये प्रतिबंधित सेवा (RS)।
- मानक स्थिति सेवा (SPS), वैश्विक नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) जैसे- GPS, ग्लोनास (रूस), गैलीलियो (यूरोपीय संघ) और बेइदौ (चाइना) के साथ अंतर-संचालनीयता।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित देशों में से किस एक के पास अपनी उपग्रह मार्गनिर्देशन (नेविगेशन) प्रणाली है? (2023) (a) ऑस्ट्रेलिया उत्तर: (d) व्याख्या: विश्व में संचालित मार्ग-निर्देशन (नेविगेशन) प्रणालियाँ:
अतः विकल्प (d) सही है। प्रश्न. भारतीय क्षेत्रीय-संचालन उपग्रह प्रणाली (इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम/IRNSS) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) |