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शहरी भूमि अभिलेख पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला

  • 22 Oct 2024
  • 2 min read

स्रोत: पी.आई.बी.

हाल ही में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने "शहरी भूमि अभिलेखों के सर्वेक्षण -पुनःसर्वेक्षण में आधुनिक तकनीकों के उपयोग" पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया।

  • इसने डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) के तहत भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
  • 100 से अधिक शहरों/कस्बों में शहरी भूमि रिकॉर्ड बनाने के लिये राष्ट्रीय भू-स्थानिक ज्ञान-आधारित शहरी आवास भूमि सर्वेक्षण (नक्शा) नामक एक पायलट कार्यक्रम प्रारंभ किया गया।
  • भूमि अभिलेख विनिर्माण में ड्रोन और 3D इमेजरी के साथ एरियल फोटोग्राफी के उपयोग पर प्रकाश डाला गया है।
  • DILRMP (पूर्ववर्ती राष्ट्रीय भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम) एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जो 1 अप्रैल, 2016 से प्रभावी है, इसका 100% वित्तपोषण केंद्र द्वारा किया जाता है। 
    • इसका उद्देश्य एक आधुनिक, व्यापक और पारदर्शी रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली विकसित करना है।
    • DILRMP के अंतर्गत नवीन पहलों में शामिल है: 
      • विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या (ULPIN) या भू-आधार (भू-निर्देशांक के आधार पर प्रत्येक भूमि पार्सल के लिये 14 अंकों की अल्फा-न्यूमेरिक विशिष्ट आईडी)
      • राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज़ पंजीकरण प्रणाली (NGDRS) या ई-पंजीकरण (कार्यों/दस्तावेज़ों के पंजीकरण हेतु एक समान प्रक्रिया अपनाना)।

अधिक पढ़ें: भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण

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