प्रारंभिक परीक्षा
फीमेल जेनाइटल म्यूटिलेशन के प्रति शून्य सहिष्णुता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस
- 13 Feb 2025
- 7 min read
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
विश्व स्तर पर फीमेल जेनाइटल म्यूटिलेशन (FGM) के प्रति शून्य सहिष्णुता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस (6 फरवरी ) "स्टेप अप द पेस" थीम के अंतर्गत मनाया गया, जिसमें FGM को समाप्त करने के क्रम में मज़बूत गठबंधन एवं इस पहल के विस्तार की आवश्यकता पर बल दिया गया।
नोट: FGM के प्रति शून्य सहिष्णुता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस वर्ष 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा जागरूकता बढ़ाने एवं FGM को समाप्त करने के क्रम में वैश्विक प्रयासों को संगठित करने हेतु स्थापित किया गया था।
फीमेल जेनाइटल म्यूटिलेशन क्या है?
- परिभाषा: FGM में गैर-चिकित्सा कारणों से महिला जननांग को बदलना या चोट पहुँचाना शामिल है। इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों, स्वास्थ्य और बालिकाओं एवं महिलाओं की निजता का उल्लंघन माना जाता है।
- स्वास्थ्य पर प्रभाव:
- तत्काल: इसमें गंभीर दर्द, अत्यधिक रक्तस्राव, संक्रमण एवं सदमा के साथ मृत्यु भी हो सकती है।
- दीर्घकालिक: दर्द, संक्रमण के साथ मासिक धर्म एवं यौन स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ विकसित होती हैं।
- वैश्विक प्रसार: विश्व भर में 230 मिलियन से अधिक बालिकाएँ और महिलाएँ FGM से गुजर चुकी हैं, जिनमें से अधिकतर अफ्रीका, मध्य पूर्व एवं एशिया के 30 देशों से संबंधित हैं।
- प्रायः शिशु अवस्था से 15 वर्ष की आयु के बीच की छोटी कन्याओं का FGM किया जाता है। अनुमानतः प्रत्येक वर्ष 4 मिलियन कन्याओं को FGM का खतरा होता है, जो प्रति दिन औसतन 12,000 मामले होते हैं।
- FGM के अभ्यास के कारण: कई समुदायों में, FGM को कन्या की परवरिश करने, उसे वयस्कता अथवा प्रौढ़ता और विवाह के लिये तैयार करने की दृष्टि से एक आवश्यक भाग के रूप में देखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे स्त्री कामुकता नियंत्रित होती है और विवाहपूर्व कौमार्य तथा वैवाहिक विश्वस्तता सुनिश्चित होती है।
- कुछ लोग भूलवश यह मान लेते हैं कि FGM का अभ्यास करना धार्मिकता है, हालाँकि किसी भी धार्मिक ग्रंथ में इस प्रथा का निर्देश नहीं दिया गया है।
- लैंगिक असमानता पर आधारित, FGM जेंडर आधारित हिंसा है जिससे कन्याओं के शरीर को नुकसान पहुँचता है और उनके जीवन को खतरे होता है।
- उन्मूलन: संयुक्त राष्ट्र का लक्ष्य सतत् विकास लक्ष्य 5.3 के तहत वर्ष 2030 तक FGM का उन्मूलन करना है, जिसका लक्ष्य बाल विवाह और FGM जैसी कुप्रथाओं को समाप्त करना है।
- चुनौतियाँ: कुछ क्षेत्रों में इसका विरोध किया गया, जैसे कि गाम्बिया द्वारा FGM प्रतिबंध को हटाने का प्रयास किया गया जो दर्शाता है कि इसके उन्मूलन की प्रगति में भिन्नता है।
- लगभग 7 मिलियन कन्याएँ और महिलाएँ निवारण सेवाओं से लाभान्वित हुईं, लेकिन वर्ष 2030 तक FGM के उन्मूलन की दृष्टि से विश्व में इसका गिरावट स्तर 27 गुना तेज़ होना चाहिये।
- जिन 31 देशों से FGM की व्यापकता पर डेटा एकत्र किया गया है, उनमें से केवल 7 देश ही इस प्रथा को समाप्त करने के लिये वर्ष 2030 के संयुक्त राष्ट्र SDG लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर हैं।
- स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं द्वारा FGM करने की प्रवृत्ति में वृद्धि हुई है, जो इस गलत धारणा पर आधारित है कि यह प्रथा इसे सुरक्षित बना सकती है।
- सहयोगात्मक प्रयासों का आह्वान: केन्या और युगांडा जैसे देशों में समुदाय-नेतृत्व वाली पहलों और सुदृढ़ नीतियों के कारण प्रचलन दर में गिरावट देखी गई है।
- संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने FGM को समाप्त करने के लिये सरकारों, नागरिक समाज, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और ज़मीनी स्तर के संगठनों के बीच सहयोग बढ़ाने का आग्रह किया है।
भारत में FGM
- भारत में FGM को "खफ्द (Khafd)" के रूप में संदर्भित किया जाता है, जिसका कारण परंपरा को कायम रखना, धार्मिक आदेशों का पालन करना और महिलाओं की यौन स्वतंत्रता को नियंत्रित करना है।
- भारत में यह प्रथा मुख्य रूप से बोहरा मुस्लिम समुदाय द्वारा प्रचलित है, इस प्रथा पर प्रतिबंध लगाने वाला कोई विशेष कानून नहीं है।
- वर्ष 2018 में महिलाओं के अधिकारों के उल्लंघन का हवाला देते हुए FGM पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी; लेकिन समुदाय ने इसे अनुच्छेद 25 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता का मामला बताते हुए इसका बचाव किया था।
- सुप्रीम कोर्ट (SC) ने कहा कि FGM अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 15 (लैंगिक आधार पर कोई भेदभाव नहीं) का उल्लंघन करता है। हालाँकि जनहित याचिका अभी भी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: फीमेल जेनाइटल म्यूटिलेशन (FGM) प्रथा के सामाजिक-सांस्कृतिक कारणों पर चर्चा कीजिये, इसका महिलाओं के स्वास्थ्य और अधिकारों पर प्रभाव को बताइये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)मेन्सभारत में महिलाओं पर वैश्वीकरण के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों पर चर्चा कीजिये? (2015) |