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अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस

  • 12 Aug 2024
  • 13 min read

स्रोत: पी.आई.बी

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में स्वदेशी अधिकारों के समर्थन को बढ़ावा देने के लिये 9 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस (International Day of Indigenous Peoples) मनाया गया।

अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस क्या है?

  • परिचय: दिसंबर 1994 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा ‘अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस’ को मनाए जाने का संकल्प पारित किये जाने के बाद से ही प्रतिवर्ष 9 अगस्त को यह दिवस मनाया जाता है।
    • यह दिवस वर्ष 1982 में जिनेवा में आयोजित आदिवासी आबादी पर संयुक्त राष्ट्र कार्यसमूह की पहली बैठक को मान्यता देता है। 
  •  वर्ष 2024 के लिये इस दिवस की थीम है: "Protecting the Rights of Indigenous Peoples in Voluntary Isolation and Initial Contact अर्थात् स्वैच्छिक अलगाव और प्रारंभिक संपर्क में स्वदेशी लोगों के अधिकारों का संरक्षण।"
  • विश्व स्तर पर आदिवासियों से संबंधित मुख्य तथ्य:
    • वर्तमान में बोलीविया, ब्राज़ील, कोलंबिया, इक्वाडोर, भारत आदि में लगभग 200 आदिवासी समूह स्वैच्छिक अलगाव में रह रहे हैं।
    • अनुमान है कि विश्व में 90 देशों में 476 मिलियन आदिवासी रहते हैं।
      • वे विश्व की जनसंख्या के 6% से भी कम हैं, लेकिन सबसे गरीब लोगों में कम-से-कम 15% हिस्सा उनका है।
    • विश्व की अनुमानित 7,000 भाषाओं में से अधिकांश इन्हीं के द्वारा बोली जाती हैं तथा ये 5,000 विशिष्ट संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

भारत में आदिवासियों से संबंधित प्रमुख तथ्य क्या हैं?

  • परिचय:
    • भारत में, 'आदिवासी' शब्द का इस्तेमाल कई जातीय और आदिवासी लोगों को परिभाषित करने के लिये एक व्यापक शब्द के रूप में किया जाता है, जिन्हें भारत की आदिवासी आबादी माना जाता है। 
    • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार ये पैतृक समूह भारत की सामान्य आबादी के लगभग 8.6% भाग का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो समग्र रूप से लगभग 104 मिलियन लोगों के बराबर है।
  • आवश्यक विशेषताएँ: लोकुर समिति (1965) के अनुसार, आदिवासियों की आवश्यक विशेषताएँ हैं:
    • आदिम लक्षणों का संकेत
    • विशिष्ट संस्कृति
    • बड़े पैमाने पर समुदाय के साथ संपर्क में संकोच 
    • भौगोलिक अलगाव
    • पिछड़ापन
  • भारत में अनुसूचित जनजातियाँ (ST) विभिन्न आदिवासी समुदायों या जनजातियों को संदर्भित करती हैं जिन्हें सरकार द्वारा विशेष सुरक्षा एवं सहायता हेतु मान्यता प्राप्त है।
  • भारतीय संविधान द्वारा अनुसूचित जनजातियों के लिये प्रदत्त बुनियादी सुरक्षा उपाय:
    • शैक्षिक एवं सांस्कृतिक सुरक्षा:
      • अनुच्छेद 15(4): अन्य पिछड़े वर्गों (इसमें अनुसूचित जनजातियाँ शामिल हैं) की उन्नति के लिये विशेष प्रावधान
      • अनुच्छेद 29: अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा (इसमें अनुसूचित जनजातियाँ शामिल हैं)
      • अनुच्छेद 46: राज्य विशेष ध्यान के साथ व्यक्तियों के कमज़ोर वर्गों, विशेष रूप से अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के शैक्षिक एवं आर्थिक हितों को बढ़ावा देगा तथा उन्हें सामाजिक अन्याय व सभी प्रकार के शोषण से बचाएगा।
      • अनुच्छेद 350: विशिष्ट भाषा, लिपि या संस्कृति को संरक्षित करने का अधिकार।
    • राजनीतिक सुरक्षा:
      • अनुच्छेद 330: लोकसभा में अनुसूचित जनजातियों के लिये सीटों का आरक्षण,
      • अनुच्छेद 332: राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जनजातियों के लिये सीटों का आरक्षण
      • अनुच्छेद 243: पंचायतों में सीटों का आरक्षण।
    • प्रशासनिक सुरक्षा: अनुच्छेद 275 में अनुसूचित जनजातियों के कल्याण को बढ़ावा देने और उन्हें बेहतर प्रशासन प्रदान करने के लिये केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को विशेष निधि प्रदान करने का प्रावधान है।

विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह

  • जनजातीय समूहों में पीवीटीजी अधिक असुरक्षित हैं। 
  • वर्ष 1973 में, ढेबर आयोग ने आदिम जनजातीय समूहों (PTG) को एक अलग श्रेणी के रूप में बनाया, जो जनजातीय समूहों में कम विकसित हैं। 
  • वर्ष 2006 में, भारत सरकार ने PTG का नाम बदलकर PVTG कर दिया। इस संदर्भ में, वर्ष 1975 में, भारत सरकार ने सबसे कमज़ोर जनजातीय समूहों को PVTG नामक एक अलग श्रेणी के रूप में पहचानने की पहल की और 52 ऐसे समूहों की घोषणा की, जबकि वर्ष 1993 में अतिरिक्त 23 समूहों को श्रेणी में जोड़ा गया, जिससे कुल 705 अनुसूचित जनजातियों में से 75 PVTG हो गए।
  • PVTG की कुछ बुनियादी विशेषताएँ हैं- वे ज़्यादातर समरूप हैं, जिनकी आबादी कम है, वे अपेक्षाकृत शारीरिक रूप से अलग-थलग हैं, लिखित भाषा का अभाव है, अपेक्षाकृत सरल तकनीक है और बदलाव की दर धीमी है आदि। 
  • सूचीबद्ध 75 PVTG में सबसे अधिक संख्या ओडिशा में पाई जाती है।

जनजातीय समुदाय परियोजना के छात्रों के लिये सेमीकंडक्टर निर्माण और विशेषता प्रशिक्षण क्या है?

  • परिचय: परियोजना का उद्देश्य जनजातीय छात्रों को उन्नत तकनीकी कौशल को बढ़ावा देने हेतु  विशेष प्रशिक्षण प्रदान करना है।
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य तीन वर्षों में जनजातीय छात्रों को सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी में 2100 NSQF- प्रामाणित स्तर 6.0 और 6.5 प्रशिक्षण प्रदान करना है।
  • प्रशिक्षण संरचना: 1,500 जनजातीय छात्रों को सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी में बुनियादी प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, जिसमें 600 छात्रों को उन्नत प्रशिक्षण के लिये चुना जाएगा। पात्र आवेदकों के पास इंजीनियरिंग विषय में डिग्री होनी चाहिये।

अनुसूचित जनजातियों के लिये सरकारी पहल

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. भारत में विशिष्टत: असुरक्षित जनजातीय समूहों/पर्टिकुलरली वल्नरेबल ट्राइबल ग्रुप्स (PVTGs) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019) 

1. PVTGs देश के 18 राज्यों तथा एक संघ राज्यक्षेत्र में निवास करते हैं।
2. स्थिर या कम होती जनसंख्या, PVTG स्थिति के निर्धारण के मानदंडों में से एक है।
3. देश में अब तक 95 PVTGs आधिकारिक रूप से अधिसूचित हैं।
4. PVTGs की सूची में ईरूलार और कोंडा रेड्डी जनजातियाँ शामिल की गई हैं।

उपर्युक्त में से कौन-से कथन सही हैं?

(a) 1, 2 और 3
(b) 2, 3 और 4
(c) 1, 2 और 4
(d) 1, 3 और 4

उत्तर: (c)


प्रश्न. भारत के इतिहास के संदर्भ में, ‘ऊलगुलान’ अथवा महान उपद्रव निम्नलिखित में से किस घटना का विवरण था? (2020)

(a) 1857 के विद्रोह का
(b) 1921 के मापिला विद्रोह का
(c) 1859–60 के नील विद्रोह का
(d) 1899–1900 के बिरसा मुंडा विद्रोह का

उत्तर: (d)


प्रश्न. भारत के संविधान की किस अनुसूची के अधीन जनजातीय भूमि का, खनन के लिये निजी पक्षकारों को अंतरण अकृत और शून्य घोषित किया जा सकता है? (2019)

(a) तीसरी अनुसूची
(b) पाँचवीं अनुसूची
(c) नौवीं अनुसूची   
(d) बारहवीं अनुसूची

उत्तर: (b)


प्रश्न. अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पारंपरिक वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के अधीन, व्यक्तिगत या सामुदायिक वन अधिकारों अथवा दोनों की प्रकृति एवं विस्तार के निर्धारण की प्रक्रिया को प्रारंभ करने के लिये कौन प्राधिकारी होगा? (2013) 

(a) राज्य वन विभाग
(b) जिला कलक्टर/उपायुक्त
(c) तहसीलदार/खंड विकास अधिकारी/मंडल राजस्व अधिकारी
(d) ग्रामसभा

उत्तर: (d)


प्रश्न. पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम, 1996 के अंतर्गत समाविष्ट क्षेत्रों में ग्रामसभा की क्या भूमिका/शक्ति है? (2012)

  1. ग्रामसभा के पास अनुसूचित क्षेत्रों में भूमि का हस्तांतरण रोकने की शक्ति होती है।
  2. ग्रामसभा के पास लघु वनोपज का स्वामित्व होता है।
  3. अनुसूचित क्षेत्रों में किसी भी खनिज के लिये खनन का पट्टा अथवा पूर्वेक्षण लाइसेंस प्रदान करने हेतु ग्रामसभा की अनुशंसा आवश्यक है।

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1,2 और 3

उत्तर: (b)


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

1. भारतीय वन अधिनियम, 1927 में हाल में हुए संशोधन के अनुसार, वन निवासियों को वनक्षेत्रों में उगने वाले बाँस को काट गिराने का अधिकार है।
2. अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पारंपरिक वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के अनुसार, बाँस एक गौण वनोपज है।
3. अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पारंपरिक वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006, वन निवासियों को गौण वनोपज के स्वामित्व की अनुमति देता है।

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3         
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)

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