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स्वदेशी ज़िंक-आयन बैटरी प्रौद्योगिकियाँ

  • 27 Aug 2024
  • 3 min read

स्रोत: पी. आई. बी

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के स्वायत्त संस्थान जवाहरलाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र (JNCASR) ने हिंदुस्तान ज़िंक लिमिटेड (HZL) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं।

  • समझौता ज्ञापन का उद्देश्य ज़िंक सामग्री के नए प्रकार विकसित करना और ज़िंक आधारित बैटरियों के व्यावसायीकरण को बढ़ावा देना है।
  • ज़िंक-आयन बैटरी: ज़िंक -आयन बैटरी एक प्रकार की रिचार्जेबल बैटरी है, जो लिथियम और सोडियम आयनों के स्थान पर ज़िंक आयनों को चार्ज वाहक के रूप में उपयोग करती है।
  • जिंक एक ब्लू-ग्रे रंग का धात्विक तत्त्व है तथा विद्युत का अच्छा सुचालक है।
    • स्फैलेराइट, स्मिथसोनाइट, विलेमाइट आदि ज़िंक के अयस्क हैं।
    • सबसे आम मिश्र धातु पीतल है, जो ज़िंक और ताँबे का मिश्रण है।
  • जिंक-आयन बैटरी का महत्त्व:
    • लागत दक्षता: यह महँगी लिथियम-आयन बैटरियों का कम लागत वाला विकल्प है।
    • प्रचुर मात्रा में सामग्री: यह पृथ्वी पर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
    • सुरक्षा और प्रदर्शन: ज़िंक-आयन बैटरियाँ अधिक सुरक्षित मानी जाती हैं और विभिन्न तापमान श्रेणियों में बेहतर प्रदर्शन प्रदान करती हैं।
  • ज़िंक के व्यावसायीकरण के लिये आवश्यक संशोधन: ज़िंक जल-आधारित घोल के साथ ऊष्मागतिकीय रूप से अस्थिर है और इसलिये इलेक्ट्रोड, इलेक्ट्रोलाइट तथा इंटरफेस पर उपयुक्त संशोधन की आवश्यकता होती है।
  • अपेक्षित परिणाम: शोधकर्त्ता ज़िंक-आयन बैटरियों में एनोड के रूप में उपयोग के लिये नए ज़िंक मिश्र धातु और रिचार्जेबल बैटरियों में उनके अनुप्रयोग हेतु इलेक्ट्रोलाइट्स के विकास की संभावना तलाशना।
  • जिंक-आयन बैटरियों का उत्पादन और उपयोग सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals- SDG) जैसे SDG 7 और SDG 13 के अनुरूप है।

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