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भारत और केपटाउन कन्वेंशन

  • 27 Jan 2025
  • 3 min read

स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत के विमानन ढाँचे को मज़बूत करने और इसे वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने के क्रम में विमानन वस्तुओं में हितों के संरक्षण और प्रवर्तन विधेयक को मंज़ूरी दे दी है।

  • इसका उद्देश्य कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल इंटरेस्ट इन मोबाइल इक्विपमेंट (केप टाउन कन्वेंशन), प्रोटोकॉल ऑन मैटर्स स्पेसिफिक टू एयरक्राफ्ट इक्विपमेंट (केप टाउन प्रोटोकॉल) के प्रावधानों को अनुमोदित एवं लागू करना है।

केप टाउन कन्वेंशन (CTC):

  • परिचय:
    • CTC एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है जिसके तहत ऋणदाताओं (जैसे पट्टादाता, उधारदाता और वित्तपोषक) को विमान, इंजन और हेलीकॉप्टर जैसी उच्च मूल्य वाली मोबाइल परिसंपत्तियों के अधिग्रहण की अनुमति (यदि एयरलाइन द्वारा पट्टा भुगतान में चूक की जाती है) दी गई है।
    • इसे वर्ष 2001 में केप टाउन, दक्षिण अफ्रीका में अपनाया गया था।
  • प्रमुख विशेषताएँ:
    • अंतर्राष्ट्रीय रजिस्ट्री: मोबाइल उपकरणों से संबंधित हितों को दर्ज करने के लिये एक वैश्विक रजिस्ट्री की स्थापना के साथ पारदर्शिता सुनिश्चित करना एवं पंजीकृत लेनदारों के दावों को प्राथमिकता देना।
    • डिफाॅल्ट उपचार: ऋणदाताओं के लिये स्पष्ट उपचार प्रदान करना, जिसमें जटिल स्थानीय विधिक प्रक्रियाओं के बिना विमान का पंजीकरण रद्द करना तथा निर्यात करना शामिल है।
  • केप टाउन प्रोटोकॉल: CTC के पूरक के रूप में इसके तहत विमान वित्तपोषण और पट्टे के लिये विशिष्ट नियम निर्धारित किये गए हैं।

भारत की स्थिति:

  • भारत ने वर्ष 2008 में CTC पर हस्ताक्षर किये थे लेकिन अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की है, इसलिये इस कन्वेंशन के प्रावधान भारत पर विधिक रूप से बाध्यकारी नहीं हैं।
  • अमेरिका और चीन के बाद भारत में विश्व का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाज़ार है।

और पढ़ें: भारत का विमानन उद्योग

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