भारत का सामरिक पेट्रोलियम भंडार | 08 Aug 2023
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर के दौरान सामरिक पेट्रोलियम भंडार कार्यक्रम में बहुमूल्य जानकारी प्रदान की।
सामरिक पेट्रोलियम भंडार:
- परिचय:
- सामरिक पेट्रोलियम भंडार (SPR) कच्चे तेल के वे भंडार हैं जिन्हें भू-राजनीतिक अनिश्चितता या आपूर्ति व्यवधान के समय में कच्चे तेल की आपूर्ति सुनिश्चित करने वाले देशों द्वारा बनाए रखा जाता है।
- देश की वृद्धि और विकास के लिये ऐसी भूमिगत भंडारण सुविधाएँ ऊर्जा संसाधनों के निरंतर प्रवाह को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
नोट:
- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा कार्यक्रम (International Energy Programme- IEP) पर समझौते के अनुसार, कम-से-कम 90 दिनों के लिये शुद्ध तेल आयात के बराबर आपातकालीन तेल का स्टॉक रखना अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (International Energy Agency- IEA) के प्रत्येक सदस्य देश का दायित्व है।
- गंभीर तेल आपूर्ति व्यवधान के मामले में IEA सदस्य सामूहिक कार्रवाई के हिस्से के रूप में इन शेयरों को बाज़ार में जारी करने का निर्णय ले सकते हैं।
- भारत वर्ष 2017 में अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) का सहयोगी सदस्य बना।
- भारत में वर्तमान SPR अवसंरचना और क्षमता:
- इंडियन स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिज़र्व्स लिमिटेड (ISPRL) को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2004 में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत एक विशेष प्रयोजन वाहन के रूप में बनाया गया था।
- भारत में कच्चे तेल की मौज़ूदा भूमिगत SPR सुविधाओं की संयुक्त धारिता 5.33 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) है। ये भंडारण स्थल रणनीतिक रूप से दो राज्यों में स्थित हैं:
- विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश - 1.33 MMT धारिता
- मंगलुरु, कर्नाटक - 1.5 MMT धारिता
- पादुर, कर्नाटक - 2.5 MMT धारिता
- संभरण रणनीति:
- अप्रैल-मई 2020 में कच्चे तेल की कम कीमतों से प्राप्त हुए अवसर का लाभ उठाते हुए, भारत ने अपनी मौज़ूदा SPR सुविधाओं में सफलतापूर्वक पूर्ण धारिता का संभरण किया है।
- इस सामरिक कदम के परिणामस्वरूप पर्याप्त बचत हुई, जिसका अनुमान लगभग 5000 करोड़ रूपए था।
- अप्रैल-मई 2020 में कच्चे तेल की कम कीमतों से प्राप्त हुए अवसर का लाभ उठाते हुए, भारत ने अपनी मौज़ूदा SPR सुविधाओं में सफलतापूर्वक पूर्ण धारिता का संभरण किया है।
- विस्तार योजनाएं और वाणिज्यिक-सह-रणनीतिक केंद्र:
- जुलाई 2021 में, भारत सरकार ने दो अतिरिक्त वाणिज्यिक-सह-रणनीतिक SPR केंद्रों की स्थापना को मंज़ूरी दी।
- चंडीखोल, ओडिशा- 4 मिलियन मीट्रिक टन क्षमता
- पादुर, कर्नाटक - 2.5 मिलियन मीट्रिक टन क्षमता (विस्तार)
- कुल 6.5 मिलियन मीट्रिक टन भंडारण क्षमता वाले ये केंद्र सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) मोड के तहत संचालित होंगे ।
- जुलाई 2021 में, भारत सरकार ने दो अतिरिक्त वाणिज्यिक-सह-रणनीतिक SPR केंद्रों की स्थापना को मंज़ूरी दी।
- स्थानांतरण और समयरेखा:
- 60 वर्ष की छूट रियायत की अवधि समाप्त होने पर, रियायतग्राही सिंगल मूरिंग पॉइंट्स (SPM) और ऑनशोर/ऑफशोर पाइपलाइनों जैसे बुनियादी अवसंरचना और SPR को भारत सरकार को वापस स्थानांतरित कर देगा।
- रिज़र्व का इतिहास:
- वर्ष 1990 में पश्चिम एशिया में खाड़ी युद्ध के दौरान, भारत एक बड़े ऊर्जा संकट से जूझ रहा था, ऐसा माना जा रहा था कि इसके मौज़ूदा तेल भंडार केवल तीन दिनों के लिये पर्याप्त हैं।
- हालाँकि भारत ने उस समय इस संकट को सफलतापूर्वक टाल दिया था, लेकिन ऊर्जा व्यवधान का खतरा आज भी एक वास्तविक और निरंतर चिंता बनी हुई है।
- इस ऊर्जा असुरक्षा से निपटने के प्रयास में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्त्व वाले प्रशासन ने वर्ष 1998 में रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार स्थापित करने का विचार सामने रखा।
- वर्तमान समय में, जैसे-जैसे भारत में ऊर्जा की खपत बढ़ती जा रही है, ऐसे भंडार विकसित करने की प्रासंगिकता भी बढ़ती जा रही है।
- वर्ष 1990 में पश्चिम एशिया में खाड़ी युद्ध के दौरान, भारत एक बड़े ऊर्जा संकट से जूझ रहा था, ऐसा माना जा रहा था कि इसके मौज़ूदा तेल भंडार केवल तीन दिनों के लिये पर्याप्त हैं।
- विश्व में सबसे बड़े वैश्विक रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार हैं:
- संयुक्त राज्य अमेरिका- 714 मिलियन बैरल
- चीन- 475 मिलियन बैरल
- जापान- 324 मिलियन बैरल