रैपिड फायर
अंतरिक्ष डॉकिंग में भारत की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि
- 18 Mar 2025
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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
अमेरिका, रूस और चीन के बाद वर्तमान में भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में डॉकिंग और अनडॉकिंग क्षमताओं का प्रदर्शन करने वाला चौथा देश बन गया है।
- ISRO ने अंतरिक्ष में दो उपग्रहों, SDX01 (चेज़र) और SDX02 (टारगेट) को स्वचालित रूप से सफलतापूर्वक अनडॉक किया, जिससे भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिये आवश्यक जटिल कक्षीय संचालन करने की भारत की क्षमता सुदृढ़ हुई।
- अंतरिक्ष डॉकिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कक्षा में स्थित दो अंतरिक्ष यान को क्रमशः समीप लाया जाता है और एक साथ संसक्त किया जाता है।
- इस क्षमता से अंतरिक्ष में उन भारी अंतरिक्ष यानों का समन्वायोजन करने की सुविधा मिलती है, जिन्हें वज़न की सीमाओं के कारण एक ही मिशन में लॉन्च नहीं किया जा सकता है।
- स्पेस अनडॉकिंग से तात्पर्य किसी स्पेसक्राफ्ट को स्पेस स्टेशन या किसी अन्य स्पेसक्राफ्ट से अलग करने की प्रक्रिया से है।
- यह भारत की योजनाबद्ध भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (वर्ष 2035 तक) और चंद्रमा पर मानव मिशन (वर्ष 2040 तक) के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- चंद्रयान-4 , जो चंद्रमा की मिट्टी और चट्टान के नमूने लेकर आएगा, इसी तकनीक पर आधारित होगा।
- वर्ष 1966 में, नील आर्मस्ट्रांग की कमान में नासा के जेमिनी VIII ने टारगेट व्हीकल एजेना (Agena) के साथ पहली मैनुअल स्पेस डॉकिंग पूरी की।
- वर्ष 1967 में, पूर्व सोवियत संघ के कोस्मोस 186 और कोस्मोस 188 अंतरिक्ष यान ने पहली बार स्वचालित डॉकिंग की क्षमता प्राप्त की।
- चीन ने वर्ष 2011 में अपनी पहली मानवरहित डॉकिंग और वर्ष 2012 में अपनी पहली मानवयुक्त डॉकिंग की क्षमता प्राप्त की।
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