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भारत का मध्यस्थता अधिनियम

  • 25 Sep 2024
  • 2 min read

स्रोत: लाइव मिंट

मध्यस्थता अधिनियम, 2023 के कार्यान्वयन में देरी से भारत का वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) ढाँचा प्रभावित हो रहा है।

  • भारतीय मध्यस्थता परिषद के नियमों का मसौदा तैयार करने के लिये पीके मल्होत्रा ​​की अध्यक्षता वाली कार्य समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। हालाँकि, सरकार ने अभी तक इन नियमों को अधिसूचित नहीं किया है।
  • मध्यस्थता अधिनियम, 2023 का महत्त्व:
    • न्यायिक कार्यभार में कमी: भारतीय न्यायालयों में लगभग 76.98 मिलियन सिविल विवाद मामले लंबित हैं। इनमें से वाणिज्यिक मुकदमों का हिस्सा 0.36% और मध्यस्थता का योगदान 0.77% है, जिन्हें मध्यस्थता अधिनियम, 2023 के तहत निपटाया जा सकता है।
    • पारिवारिक मामले: इससे "थर्ड जनरेशन कर्स (Third-Generation Curse)" को रोकने में मदद मिल सकती है , जहाँ विवादों के कारण 10% से भी कम पारिवारिक व्यवसाय तीसरी पीढ़ी से आगे तक संचालित रह पाते हैं।
    • बैंकिंग: ऋण चूक और गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) से संबंधित विवादों को सुलझाने में सहायक है।
    • रियल एस्टेट क्षेत्र: परियोजना में देरी और क्रेता-डेवलपर अनुबंधों से संबंधित विवादों के त्वरित समाधान में सहायक है।
    • वैश्विक मानकों के साथ तालमेल: इससे भारत को अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता मानकों के साथ समन्वय स्थापित करने में मदद मिलेगी , जो सीमा-पार व्यापार विवादों को सुलझाने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।

और पढ़ें: मध्यस्थता अधिनियम, 2023: न्यायपालिका का कार्यभार कम करना

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