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भारत का घरेलू ऋण एवं बचत संकट

  • 10 Apr 2024
  • 1 min read

स्रोत: द हिंदू

भारत के आर्थिक परिदृश्य में एक चिंताजनक प्रवृत्ति देखी गई है, जिसमें भारत के घरेलू ऋण का स्तर दिसंबर 2023 तक सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product- GDP) के 40 प्रतिशत के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गया है, जबकि  शुद्ध वित्तीय बचत के लगभग 5% के निचले स्तर पर पहुँच गई है। 

  • रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि न्यूनतम शुद्ध वित्तीय बचत की प्रवृत्ति जारी रहने की संभावना है और साथ ही व्यक्तिगत ऋण, कृषि ऋण एवं व्यावसायिक ऋण के कारण घरेलू ऋण में वृद्धि जारी रहेगी।
  • सकल घरेलू बचत में गिरावट के साथ यह वित्तीय तनाव, भारत की आर्थिक स्थिरता की एक गंभीर छाया प्रस्तुत करता है और इस बढ़ते संकट को दूर करने के लिये व्यापक नीतिगत उपायों की तत्काल आवश्यकता को भी रेखांकित करता है।

और पढ़ें…: घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2022-23

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