भारत का भुगतान संतुलन (BOP) | 04 Oct 2024
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के हालिया आँकड़ों के अनुसार, भारत का चालू खाता घाटा (CAD) वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में मामूली रूप से बढ़कर 9.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर (GDP का 1.1%) हो गया है, जो भारत के भुगतान संतुलन (BoP) की स्थिति को दर्शाता है ।
- CAD तब होता है जब किसी देश द्वारा आयातित वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य उसके द्वारा निर्यातित वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य से अधिक होता है।
भुगतान संतुलन क्या है?
- भुगतान संतुलन (BoP): भुगतान संतुलन (BoP) किसी देश के निवासियों द्वारा किये गए सभी अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन का रिकॉर्ड है ।
- यह विदेशी मुद्राओं के मुकाबले रुपए की सापेक्ष मांग को मापता है, जो विनिमय दरों और आर्थिक स्थिरता को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है।
- भुगतान संतुलन के घटक: चालू खाता और पूंजी खाता भुगतान संतुलन के दो मुख्य घटक हैं।
- चालू खाता: इसमें वे लेनदेन शामिल होते हैं जो किसी देश की परिसंपत्तियों या देनदारियों की स्थिति में परिवर्तन नहीं करते हैं।
- व्यापारिक वस्तुएँ: इसमें व्यापार संतुलन को दर्शाने वाले भौतिक आयात और निर्यात व्यापार शामिल हैं। घाटा निर्यात की तुलना में अधिक आयात को दर्शाता है।
- अदृश्य: इसमें सेवाएँ (जैसे, बैंकिंग, बीमा आईटी, पर्यटन, परिवहन, आदि), स्तानांतरण (जैसे, उपहार, अनुदान, धनप्रेषण आदि) और कारक आय (जैसे निवेश से अर्जित आय) शामिल हैं।
- पूंजी खाता: यह एक विशिष्ट अवधि में किसी देश की परिसंपत्तियों और देनदारियों में हुए शुद्ध परिवर्तन को दर्शाता है।
- परिसंपत्तियाँ: यह प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) जैसे निवेशों को दर्शाता है, जो आर्थिक विकास और स्थिरता के लिये आवश्यक हैं।
- देयताएँ: यह वाणिज्यिक उधार, ऋण और पूंजी जैसे कारकों को भी दर्शाता है।
- चालू खाता: इसमें वे लेनदेन शामिल होते हैं जो किसी देश की परिसंपत्तियों या देनदारियों की स्थिति में परिवर्तन नहीं करते हैं।
चालू खाता घाटा कम करने हेतु भारत के प्रयास:
- निर्यात को प्रोत्साहित करना: विदेश व्यापार नीति (FTP), 2023 का लक्ष्य वर्ष 2030 तक भारत के निर्यात को 2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाना है। यह आयात को संतुलित कर सकता है और चालू खाते के घाटे को कम कर सकता है।
- आयात प्रतिस्थापन को बढ़ावा देना: आत्मनिर्भर भारत अभियान को प्रमुख रूप से आगे बढ़ाया जा रहा है तथा घरेलू निर्माताओं को वस्तुओं के घरेलू उत्पादन के लिये प्रोत्साहन प्रदान किया जा रहा है। उदाहरण के लिये उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना।
- उत्पादकता में वृद्धि: घरेलू अर्थव्यवस्था में उत्पादकता और प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाने से निर्यात को बढ़ावा और व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिल सकती है। उदाहरण के लिये 'भविष्य के अनुकूल' कौशल निर्माण, नवाचार आदि।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न 1. 1991 में आर्थिक नीतियों के उदारीकरण के बाद भारत में निम्नलिखित में से क्या प्रभाव उत्पन्न हुआ है? (2017)
नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 4 उत्तर: (b) प्रश्न 2. भुगतान संतुलन के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन चालू खाता प्रदर्शित करता है/गठन करता है? (2014)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c) |