प्रारंभिक परीक्षा
भारत का पहला लिक्विड-मिरर टेलीस्कोप
- 04 Jun 2022
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हाल ही में उत्तराखंड में आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्ज़र्वेशनल साइंसेज़ (ARIES), नैनीताल के स्वामित्व वाले देवस्थल वेधशाला परिसर ने अंतर्राष्ट्रीय लिक्विड-मिरर टेलीस्कोप (ILMT) की स्थापना की है।
आईएलएमटी की मुख्य विशेषताएंँ:
- यह खगोल विज्ञान के लिये अधिकृत होने वाला विश्व का पहला लिक्विड-मिरर टेलीस्कोप (LMT) बन गया है और विश्व में कहीं भी परिचालन में आने वाला अपनी तरह का पहला है।
- हिमालय में 2,450 मीटर की ऊंँचाई से ILMT का उपयोग करके क्षुद्रग्रह, सुपरनोवा, अंतरिक्ष मलबे और अन्य सभी खगोलीय पिंडों को देखा जाएगा।
- पहले निर्मित टेलीस्कोप या तो उपग्रहों को ट्रैक करते थे या सैन्य उद्देश्यों के लिये तैनात किये जाते थे।
- ILMT देवस्थल में बनने वाली तीसरी दूरबीन सुविधा होगी।
- देवस्थल खगोलीय अवलोकन प्राप्त करने के लिये विश्व के मूल स्थलों में से एक है।
- देवस्थल ऑप्टिकल टेलीस्कोप (DOT) और देवस्थल फास्ट ऑप्टिकल टेलीस्कोप (DFOT) देवस्थल में अन्य दो टेलीस्कोप सुविधाएंँ हैं।
- अक्तूबर 2022 में ILMT का पूर्ण पैमाने पर वैज्ञानिक संचालन शुरू किया जाएगा।
- यह भारत के सबसे बड़े संचालित देवस्थल ऑप्टिकल टेलीस्कोप (DOT) के साथ काम करेगा।
- ILMT के विकास में शामिल देश भारत, बेल्जियम, कनाडा, पोलैंड और उज़्बेकिस्तान हैं।
LMT की पारंपरिक टेलीस्कोप से भिन्नता:
- LMT एक स्थिर दूरबीन है, जबकि एक पारंपरिक दूरबीन आकाश में ‘इंटरेस्ट ऑफ ऑब्जेक्ट' की दिशा में कार्य करती है।
- एक LMT सितारों, आकाशगंगाओं, सुपरनोवा विस्फोटों, क्षुद्रग्रहों और यहाँ तक कि अंतरिक्ष मलबे जैसे सभी संभावित खगोलीय पिंडों का सर्वेक्षण करेगा। हालाँकि एक पारंपरिक दूरबीन एक निश्चित समय में आकाश के केवल एक अंश को ही दिखा पाती है।
- LMT में एक परावर्तक तरल के साथ दर्पण शामिल होते हैं (ILMT में पारा परावर्तक तरल के रूप में होता है)। दूसरी ओर एक पारंपरिक दूरबीन अत्यधिक पॉलिश वाले काँच के दर्पणों का उपयोग करती है।
- ILMT सभी रातों में आकाश की छवियों को प्राप्त करेगी, जबकि पारंपरिक दूरबीनें केवल निश्चित घंटों में ही आकाश में विशिष्ट वस्तुओं का प्राप्त करती है।
ILMT का महत्त्व:
- बड़ी मात्रा में डेटा (10-15 GB/रात) उत्पन्न होगा। यह वैश्विक वैज्ञानिक समुदायों के लिये महत्त्वपूर्ण होगा।
- इसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और बिग डेटा एनालिटिक्स जैसे नवीनतम कम्प्यूटेशनल टूल्स को डेटा की स्क्रीनिंग, प्रसंस्करण और विश्लेषण के लिये तैनात किया जाएगा।
- इन-हाउस DOT पर लगे स्पेक्ट्रोग्राफ, नियर-इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोग्राफ का उपयोग करके आगे केंद्रित अनुसंधान करने के लिये चयनित डेटा को आधार डेटा के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):प्रश्न. आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान के संदर्भ में हाल ही में समाचारों में आए दक्षिणी ध्रुव पर स्थित एक कण संसूचक (पार्टिकल डिटेक्टर) आइसक्यूब के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: D व्याख्या:
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