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भारत द्वारा बांग्लादेश के लिये पारगमन सुविधा का समापन

  • 11 Apr 2025
  • 6 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

भारत ने वर्ष 2020 की पारगमन सुविधा को समाप्त कर दिया, जिसके तहत बांग्लादेशी निर्यात को अपने बंदरगाहों तथा हवाई अड्डों से गुजरने की अनुमति दी गई। यह निर्णय चीन में बांग्लादेश की टिप्पणियों के बाद आया, जिसमें उसने पूर्वोत्तर भारत को 'भूमि से घिरा हुआ' बताया और खुद को इस क्षेत्र के लिये 'महासागर का संरक्षक' बताया, साथ ही पूर्वोत्तर भारत में चीन के प्रभाव के क्रम में स्वयं को एक रणनीतिक प्रवेश द्वार बताया।

नोट: भारत द्वारा वर्ष 2020 में बांग्लादेश के लिये शुरू की गई पारगमन सुविधा द्वारा बांग्लादेशी निर्यातकों को भूटान, नेपाल और म्यांमार जैसे देशों में वस्तु परिवहन के क्रम में भारतीय भूमि सीमा शुल्क स्टेशनों (LCS) का उपयोग करने की अनुमति दी गई।

  • इस व्यवस्था का उद्देश्य व्यापार प्रवाह को सुव्यवस्थित करना, रसद लागत को कम करना तथा पारगमन लागत एवं समय में कटौती करके बांग्लादेश के रेडीमेड परिधान (RMG) क्षेत्र को लाभ पहुँचाना था।

भारत द्वारा बांग्लादेश की पारगमन सुविधा को समाप्त क्यों किया गया?

  • उद्योग जगत का विरोध: परिधान निर्यात संवर्द्धन परिषद (AEPC) ने इसे समाप्त करने का समर्थन किया।
    • भारत और बांग्लादेश वैश्विक वस्त्र बाज़ारों में प्रत्यक्ष प्रतिस्पर्द्धी हैं, विशेष रूप से RMG क्षेत्र में (वैश्विक परिधान निर्यात में चीन प्रथम स्थान पर, बांग्लादेश दूसरे स्थान पर तथा भारत छठे स्थान पर है)।
    • भारतीय निर्यातकों ने तर्क दिया कि यह सुविधा बांग्लादेश के पक्ष में है, जिससे भारत की बाज़ार हिस्सेदारी और लॉजिस्टिक्स अवसंरचना को नुकसान होता है।
  • हवाई मार्ग से वस्तु ढुलाई की लागत में वृद्धि: अमेरिका और यूरोप जैसे गंतव्यों के लिये वस्तु ढुलाई दरों में तीव्र वृद्धि से भारत पर बाहरी कार्गो बोझ को कम करने की मांग को बढ़ावा मिला है।
  • चीनी कारक: भारत का यह कदम सिलीगुड़ी कॉरिडोर (चिकन नेक कॉरिडोर) के पास चीन की बढ़ती उपस्थिति पर उसकी रणनीतिक चिंता को दर्शाता है, जहाँ बांग्लादेश ने भारत की पूर्वोत्तर सीमा  के करीब लालमोनिरहाट एयरबेस (Lalmonirhat Airbase) में चीनी निवेश को आमंत्रित किया है।
  • पूर्वोत्तर क्षेत्र, जिसे "सेवेन सिस्टर्स" के नाम से जाना जाता है, संकीर्ण सिलीगुड़ी कॉरिडोर के माध्यम से भारत की मुख्य भूमि से जुड़ा हुआ है। इसकी अंतर्राष्ट्रीय सीमाएँ बांग्लादेश, भूटान, म्याँमार, चीन और नेपाल के साथ लगती हैं, जो इसे भू-राजनीतिक रूप से अत्यधिक संवेदनशील बनाती हैं।

  • निहितार्थ: 
    • बांग्लादेश: वर्ष 2024 में, RMG के नेतृत्व में बांग्लादेश के 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात क्षेत्र को भारत के कदम के बाद उच्च लागत और विलंब का सामना करना पड़ा, जिससे वस्त्र क्षेत्र में इसकी वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता प्रभावित हुई।
    • भारत: यह निर्णय भारत-बांग्लादेश संबंधों में बढ़ते तनाव को दर्शाता है, विशेष रूप से इसलिये क्योंकि बांग्लादेश चीन के करीब जा रहा है।
      • विशेषज्ञों ने यह भी चेतावनी दी है कि यह कदम विश्व व्यापार संगठन (WTO) के प्रशुल्क एवं व्यापार पर सामान्य समझौते (GATT) के अनुच्छेद V और व्यापार सुविधा समझौते (TFA) के अनुच्छेद 11 के साथ टकराव उत्पन्न कर सकता है, जो स्थल-रुद्ध देशों के लिये पारगमन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करते हैं।

और पढ़ें: भारत-बांग्लादेश संबंध

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: भारत द्वारा बांग्लादेश को पारगमन सुविधा वापस लेने के कारणों की जाँच कीजिये। क्षेत्रीय व्यापार और कनेक्टिविटी पर इसके क्या निहितार्थ हैं?

 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)   

प्रिलिम्स 

प्रश्न. तीस्ता नदी के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

  1. तीस्ता नदी का उद्गम वही है जो ब्रह्मपुत्र का है, लेकिन यह सिक्किम से होकर बहती है।
  2.  रंगीत नदी की उत्पत्ति सिक्किम में होती है और यह तीस्ता नदी की एक सहायक नदी है।
  3.  तीस्ता नदी भारत एवं बांग्लादेश की सीमा पर बंगाल की खाड़ी में जा मिलती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. नियंत्रण रेखा (LoC) सहित म्याँमार, बांग्लादेश और पाकिस्तान की सीमाओं पर आंतरिक सुरक्षा खतरों तथा सीमा पार अपराधों का विश्लेषण कीजिये। इस संबंध में विभिन्न सुरक्षा बलों द्वारा निभाई गई भूमिका पर भी चर्चा कीजिये (2018)

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