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भारत द्वारा क्यूबसैट मानक अपनाना

  • 03 Dec 2024
  • 2 min read

स्रोत: लाइवमिंट

हाल ही में भारत द्वारा क्यूबसैट हेतु वैश्विक मानकों को अपनाया जाना, वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के क्रम में भारत की महत्त्वाकांक्षा का प्रतीक है।

क्यूबसैट:

  • क्यूबसैट मानक का आशय एक मॉड्यूलर उपग्रह ढाँचे (1 इकाई  (U) = 10 cm³, ≤1.33) से है जो मानक डिप्लॉयर्स के साथ संगत होने के साथ जिसमें एक समान आयाम, निम्न गैस उत्सर्जन वाली सामग्री, किल स्विच तथा कठोर परीक्षण की आवश्यकता होती है।
    • मानक क्यूबसैट में 10x10x10 सेमी मापन वाली "एक इकाई" या "1U" का अनुसरण किया जाता है और इसे 1.5, 2, 3, 6 और यहाँ तक ​​कि 12U जैसे बड़े आकारों तक बढ़ाया जा सकता है।
  • भारतीय मानक ब्यूरो (उपभोक्ता मामले विभाग की एक शाखा), शैक्षिक और अनुसंधान संगठनों को वाणिज्यिक घटकों के साथ क्यूबसैट विकसित करने में सहायता करता है, जिससे एक लागत प्रभावी उपग्रह विकल्प मिलता है।
    • उदाहरण: भारतीय विश्वविद्यालयों ने इसरो के सहयोग से कई छात्र-निर्मित उपग्रहों को प्रक्षेपित किया है। JUGNU (IIT कानपुर) और KalamSAT (स्पेस किड्ज़ इंडिया) इसके उल्लेखनीय उदाहरण हैं।
  • भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र: 
    • भारत का लक्ष्य अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था (जो वर्तमान में 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर है) को वर्ष 2040 तक 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचाना है।
    • सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिये खोलने के साथ विकास एवं नवाचार को प्रोत्साहित करने के क्रम में 1,000 करोड़ रुपए का उद्यम पूंजी कोष निर्धारित किया है।
  • संशोधित FDI नीति के तहत अंतरिक्ष क्षेत्र में 100% FDI की अनुमति दी गई है।

और पढ़ें: निजी क्षेत्र के सहयोग से निर्मित पहला नेविगेशन उपग्रह

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