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आयु-संबंधित मांसपेशीय क्षय पर mtDNA उत्परिवर्तन का प्रभाव

  • 26 Dec 2024
  • 8 min read

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

जीनोम रिसर्च में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन से पता चलता है कि माइटोकॉन्ड्रियल डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (mtDNA) में विलोपन उत्परिवर्तन उम्र के साथ मांसपेशियों के क्षय में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है।

  • शोधकर्त्ताओं ने पाया कि ये उत्परिवर्तन माइटोकॉन्ड्रियल कार्य को बाधित करते हैं, जिससे मांसपेशियों का क्षरण होता है। यह खोज आयु-संबंधित मांसपेशीय क्षय को विलंबित करने के लिये संभावित मार्ग प्रस्तुत करती है।

माइटोकॉन्ड्रिया क्या है?

  • परिचय: माइटोकॉन्ड्रिया झिल्ली से घिरे हुए कोशिकांग हैं जो अधिकांश यूकेरियोटिक कोशिकाओं के कोशिकाद्रव्य में पाए जाते हैं। 
    • कोशिका के "पावरहाउस" के रूप में संदर्भित माइटोकॉन्ड्रिया विभिन्न कोशिकीय प्रक्रियाओं के लिये आवश्यक ऊर्जा के उत्पादन के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
    • माइटोकॉन्ड्रिया विशेष रूप से माँ के अंडाणु (एग सेल) के माध्यम से वंशानुगत प्राप्त होते हैं।
  • महत्त्वपूर्ण कार्य:
    • ATP उत्पादन: माइटोकॉन्ड्रिया एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट (ATP) उत्पन्न करते हैं, जो कोशिकाओं में प्राथमिक ऊर्जा वाहक है। 
      • ATP लगभग सभी कोशिकीय कार्यों के लिये महत्त्वपूर्ण है, जिसमें मांसपेशी संकुचन, प्रोटीन संश्लेषण (वह प्रक्रिया जिसके द्वारा कोशिकाएँ DNA से प्रोटीन बनाती हैं) और कोशिका विभाजन शामिल हैं।
    • कोशिकीय श्वसन: माइटोकॉन्ड्रिया कोशिकीय श्वसन (भोजन को तोड़ते हैं और ATP के रूप में ऊर्जा मुक्त करते हैं) में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं।
    • कोशिका मृत्यु का विनियमन: माइटोकॉन्ड्रिया एपोप्टोसिस (कोशिका मृत्यु का एक प्रकार) को विनियमित करने में शामिल होते हैं, जो स्वस्थ ऊतकों और अंगों को बनाए रखने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • माइटोकॉन्ड्रियल DNA (mtDNA): अधिकांश अन्य अंगों के विपरीत, माइटोकॉन्ड्रिया का अपना DNA होता है, जिसे mtDNA के नाम से जाना जाता है।
    • mtDNA विलोपन उत्परिवर्तन के लिये प्रवण है, जहाँ DNA के कुछ हिस्से नष्ट हो जाते हैं। इन उत्परिवर्तनों का कोशिकीय कार्य पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।
      • mtDNA में विलोपन उत्परिवर्तन अणु को छोटा और कम कार्यात्मक बनाता है। उत्परिवर्तित mtDNA प्रतिकृतिकरण के दौरान स्वस्थ mtDNA से प्रतिस्पर्द्धा कर सकता है, जिसके कारण माइटोकॉन्ड्रियल कार्य में क्रमिक गिरावट आ सकती है।

Mitochondria

विशेषता

परमाणु जीनोम (DNA) 

माइटोकॉन्ड्रियल DNA (mtDNA)

आकार

3.2 अरब आधार युग्म 

16,569 आधार युग्म 

आकार

रेखीय, 23 गुणसूत्रों में संगठित

गोलाकार

जीन

~20,000 प्रोटीन-कोडिंग जीन और ~15,000-20,000 गैर-कोडिंग जीन

13 प्रोटीन-कोडिंग जीन, 24 गैर-कोडिंग जीन

वंशानुगत 

माता-पिता दोनों से वंशानुगत प्राप्त होते हैं 

केवल माँ से वंशानुगत प्राप्त होते हैं

जगह

नाभिक में पाया जाता है

माइटोकॉन्ड्रिया में पाया जाता है

समारोह

अधिकांश प्रोटीन बनाने के लिये निर्देशों को एनकोड करता है

माइटोकॉन्ड्रियल कार्य के लिये महत्त्वपूर्ण प्रोटीन को एनकोड करता है

नोट: जीन DNA का एक खंड है जिसे मैसेंज़र आरएनए (mRNA) में ट्रांसक्राइब किया जाता है। फिर mRNA नाभिक से कोशिका द्रव्य में चला जाता है, जहाँ कोशिका इसका उपयोग प्रोटीन बनाने के लिये करती है।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?

  • mtDNA उत्परिवर्तन: अध्ययन में पाया गया है कि माइटोकॉन्ड्रियल DNA (mtDNA) में विलोपन उत्परिवर्तन उम्र के साथ मांसपेशियों की हानि में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • शिथिलता और मांसपेशी हानि: उत्परिवर्तन माइटोकॉन्ड्रियल कार्य को बाधित करते हैं, जिससे मांसपेशी कोशिकाओं को पर्याप्त ATP उत्पन्न करने में कठिनाई होती है, जिससे मांसपेशी कोशिका का अपक्षयन और मृत्यु हो जाती है।
    • अध्ययन में पाया गया कि mtDNA विलोपन के कारण काइमेरिक जीन का निर्माण होता है (जहाँ दो अलग-अलग माइटोकॉन्ड्रियल जीन मिलकर असामान्य अनुक्रम बनाते हैं)। 
      • ये काइमेरिक जीन mtDNA की सामान्य अभिव्यक्ति को बाधित करते हैं, जिससे माइटोकॉन्ड्रियल शिथिलता और अधिक बढ़ जाती है।
  • आयु-संबंधी परिवर्तन: शोधकर्त्ताओं ने पाया कि वृद्ध व्यक्तियों में mtDNA विलोपन के कारण काइमेरिक माइटोकॉन्ड्रियल mRNA में दो गुना वृद्धि देखी गई, जो असामान्य जीन अभिव्यक्ति के साथ, मांसपेशियों और मस्तिष्क के ऊतकों में माइटोकॉन्ड्रियल शिथिलता और उम्र बढ़ने की गति को तेज़ करता है।
  • जैविक आयु संकेतक: mtDNA विलोपन उत्परिवर्तन और काइमेरिक mRNA जैविक आयु के लिये मूल्यवान बायोमार्कर हैं। 
    • उनके महत्त्व को समझने से ऐसी चिकित्सा पद्धति विकसित हो सकती है जो इन उत्परिवर्तनों को रोक सकती है या उनकी मरम्मत कर सकती है, जिससे संभावित रूप से आयु-संबंधित मांसपेशी हानि और अन्य बुढ़ापे के लक्षणों में देरी देखने को मिल सकती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. वंशानुगत रोगों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021) 

  1. अंडों के अंतःपात्र (इन विट्रो) निषेचन से पहले या बाद में सुत्रकणिका प्रतिस्थापन (माइटोकॉन्ड्रिया रिप्लेसमेंट) चिकित्सा द्वारा सुत्रकणिका रोगों (माइटोकॉन्ड्रियल डिजीज़) को माता-पिता से संतान में जाने से रोका जा सकता है।
  2. किसी संतान में सुत्रकणिका रोग (माइटोकॉन्ड्रियल डिजीज़) आनुवंशिक रूप से पूर्णतः माता से जाता है न कि पिता से।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (C)

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