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हाइपरयूनिफॉर्मिटी

  • 22 Oct 2024
  • 2 min read

स्रोत: पी.आई.बी

शोधकर्त्ताओं ने पदार्थ की हाल ही में खोज की गई विचित्र अव्यवस्थित अवस्था के उभरते गुण के पीछे के तंत्र का पता लगाया है जिसे "हाइपरयूनिफॉर्मिटी" के रूप में जाना जाता है।

  • हाइपरयूनिफॉर्मिटी: यह कुछ विषम माध्यम की एक विशेषता है जिसमें लंबी-तरंगदैर्घ्य रेंज में घनत्व में उतार-चढ़ाव शून्य हो जाता है।
  • हाइपरयूनिफॉर्मिटी के पीछे का तंत्र:
    • हाइपरयूनिफॉर्म सिस्टम में, घनत्व में न्यूनतम उतार-चढ़ाव एक संरक्षण नियम के परिणामस्वरूप होता है जो कण की गतिशीलता को सीमित करता है, जो प्रणाली के आकार के बढ़ने के साथ न्यून द्रव्यमान में उतार-चढ़ाव को व्यक्त करता है।
  • तरल पदार्थ के क्रांतिक बिंदु से तुलना:
    • हाइपरयूनिफॉर्म पदार्थ, द्रव के क्रांतिक बिंदुओं के विपरीत होता है, जहाँ द्रव्यमान में उतार-चढ़ाव भिन्न होते हैं और क्रांतिक रंग परिवर्तन का कारण बनते हैं। 
    • हाइपरयूनिफॉर्म पदार्थ में द्रव्यमान में उतार-चढ़ाव को न्यूनतम किया जाता है, जिससे वह क्रिस्टल, अनाकार ठोस और द्रव के बीच स्थित हो जाता है।
  • हाइपरयूनिफॉर्म पदार्थों के संभावित अनुप्रयोग:
    • हाइपरयूनिफॉर्म पदार्थों में अद्वितीय विशेषता होती है तथा इसके तकनीकी और जैविक अनुप्रयोगों की संभावना होती है, जिसमें डेटा संचरण और सेलुलर कार्यों को नियंत्रित करने के लिये ऊर्जा-कुशल फोटोनिक उपकरण शामिल हैं।

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