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मन्नार की खाड़ी में हाइड्रोकार्बन अन्वेषण

  • 28 Feb 2025
  • 2 min read

स्रोत: द हिंदू

भारत सरकार ने अपने नवीनतम हाइड्रोकार्बन अन्वेषण निविदा में तमिलनाडु के मन्नार की खाड़ी के लगभग 10,000 वर्ग किलोमीटर गभीर सागर क्षेत्र को शामिल किया है, जिससे समुद्री जैवविविधता और स्थानीय आजीविका पर इसके प्रभाव को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं।

  • अन्वेषण निविदा: पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने 10वीं ओपन एकरेज लाइसेंसिंग नीति (भारत की हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और लाइसेंसीकरण नीति के तहत एक तंत्र जिसके माध्यम से निवेशकों को तेल और गैस अन्वेषण हेतु ब्लॉक चयन करने की अनुमति दी जाती है) के तहत 25 अपतटीय क्षेत्रों को शामिल किया है।
  • मन्नार की खाड़ी: यह हिंद महासागर में लक्षद्वीप सागर का एक हिस्सा है, जिसमें 21 द्वीप हैं। यह श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट और भारत के दक्षिण-पूर्वी तट के बीच विस्तृत है। 
    • इसकी सीमा रामेश्वरम, रामसेतु पुल (जिसे एडम ब्रिज भी कहा जाता है) और मन्नार द्वीप (श्रीलंका) से लगती है।
    • इसमें ताम्रपर्णी (भारत) और अरुवी (श्रीलंका) जैसी नदियाँ बहती हैं तथा यहाँ तूतीकोरिन बंदरगाह भी स्थित है। 
    • यह मन्नार खाड़ी समुद्री राष्ट्रीय उद्यान है, जो दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया का पहला समुद्री बायोस्फीयर रिज़र्व है।
      • यहाँ 117 प्रवाल प्रजातियाँ, 450 से अधिक मछली प्रजातियाँ, तथा विश्व स्तरीय संकटापन्न प्रजातियाँ जैसे डुगोंग, व्हेल शार्क और समुद्री कछुए पाए जाते हैं।

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