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हाई एल्टीट्यूड स्यूडो सैटेलाइट (HAPS)

  • 13 Feb 2024
  • 5 min read

स्रोत: द हिंदू 

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific and Industrial Research- CSIR)- राष्ट्रीय वांतरिक्ष प्रयोगशाला (National Aerospace Laboratories- NAL) ने हाल ही में हाई एल्टीट्यूड स्यूडो सैटेलाइट (HAPS) पर सफल परीक्षण किया जो मानव रहित हवाई वाहन (Unmanned Aerial Vehicle- UAV) प्रौद्योगिकी में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर है।

हाई एल्टीट्यूड स्यूडो सैटेलाइट (HAPS) क्या है?

  • परिचय:
    • HAPS एक सौर ऊर्जा द्वारा संचालित UAV है। यह सौर ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है और महीनों अथवा वर्षों तक समताप मंडल में बना रह सकता है।
      • HAPS समताप मंडल (पृथ्वी की सतह से 6-50 किमी. ऊपर विस्तरित क्षेत्र) में संचालित होता है और 18-20 किमी. की ऊँचाई पर अपनी अवस्थिति बना सकता है जो वाणिज्यिक हवाई जहाज़ों की ऊँचाई से लगभग दोगुना है। इस ऊँचाई पर संचालन करने की यह क्षमता उन्हें उपग्रहों के समान अनुवीक्षण करने की क्षमता प्रदान करती है।
    • HAPS को निरंतर अनुवीक्षण, संचार और विशेषज्ञ विज्ञान मिशनों के लिये डिज़ाइन किया गया है।
    • HAPS प्रौद्योगिकी वर्तमान में विकास चरण में है और भारत द्वारा इसका सफल उड़ान परीक्षण किया गया जो इसे उन देशों में शामिल करती है जो वर्तमान में इस तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं।
  • आवश्यकता:
    • सीमावर्ती क्षेत्रों में होने वाले परिवर्तन अथवा गतिविधियों का पता लगाने, विशेष रूप से वर्ष 2017 में घटित डोकलाम गतिरोध के मद्देनज़र, के लिये की निरंतर अनुवीक्षण करने हेतु HAPS के विकास की आवश्यकता है।
    • बैटरी चालित UAV और उपग्रहों की सीमाओं का समाधन करने हेतु सौर ऊर्जा चालित UAV का विकास आवश्यक है।
    • HAPS के संचालन की लागत पारंपरिक उपग्रहों की तुलना में काफी कम है क्योंकि इसमें रॉकेट लॉन्च की आवश्यकता नहीं होती है।
  • बहुमुखी प्रतिभा और अनुप्रयोग:
    • अगर किसी आपदा के कारण सामान्य नेटवर्क क्षतिग्रस्त हो जाते हैं तो HAPS को आपदा स्थितियों में तैनात किया जा सकता है और दूरदराज़ के इलाकों में मोबाइल संचार नेटवर्क (5जी तरंगें) प्रदान किया जा सकता है।
    • वे उपग्रहों की तुलना में अधिक अनुकूलनीय हैं और "आकाश में टावरों" के रूप में कार्य करते हुए, ऊपर से भूमि के एक क्षेत्र का मानचित्रण कर सकते हैं।

CSIR- राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशालाएँ (National Aerospace Laboratories-NAL):

  • NAL, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific and Industrial Research- CSIR) का एक घटक, 1959 में बेंगलुरु में स्थापित, देश के नागरिक क्षेत्र में एकमात्र सरकारी एयरोस्पेस अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला है।
  • CSIR-NAL एक उच्च प्रौद्योगिकी-उन्मुख संस्थान है जो एयरोस्पेस में उन्नत विषयों पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • CSIR-NAL ने सभी भारतीय राष्ट्रीय एयरोस्पेस कार्यक्रमों के लिये महत्त्वपूर्ण मूल्य-वर्धित इनपुट प्रदान किये हैं।
  • CSIR-NAL का कार्य मज़बूत विज्ञान सामग्री के साथ एयरोस्पेस प्रौद्योगिकियों को विकसित करना, छोटे, मध्यम आकार के नागरिक विमानों का डिज़ाइन और निर्माण करना तथा सभी राष्ट्रीय एयरोस्पेस कार्यक्रमों का समर्थन करना है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न 1. कभी-कभी समाचार में उल्लिखित "टर्मिनल हाई ऑल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD)" क्या है? (2018)

(a) इज़रायल की एक रडार प्रणाली
(b) भारत का घरेलू मिसाइल-प्रतिरोधी कार्यक्रम
(c) अमेरिकी मिसाइल-प्रतिरोधी प्रणाली
(d) जापान और दक्षिण कोरिया के बीच एक रक्षा सहयोग

उत्तर: c

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