हीट वेव से लीची किसानों को खतरा | 14 May 2024
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उच्च तापमान और चिलचिलाती पश्चिमी पवनों ने बिहार के मुज़फ्फरपुर ज़िले में लीची के फल उगाने के लिये एक अनुपयुक्त जलवायु उत्पन्न कर दी है।
- इसने सैकड़ों लीची किसानों के लिये संकट उत्पन्न कर दिया है, जो अनियमित मौसम के कारण इस वर्ष कम फूल आने से पहले से ही चिंतित थे।
बिहार में हाल की हीट वेव से जुड़ी चुनौतियाँ क्या हैं?
- लीची के बागों पर हीटवेव का प्रभाव:
- चिलचिलाती धूप और तेज़ पछुआ पवनों के कारण अपरिपक्व लीची फलों में भारी गिरावट आई है।
- राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र (National Research Centre on Litchi- NRCL) बढ़ते तापमान से निपटने और नमी के स्तर को बनाए रखने के लिये बागों में सिंचाई में बढ़ोतरी करने की सलाह देता है, लेकिन छोटे किसानों को लागत संबंधी संघर्ष करना पड़ता है।
- लीची उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव:
- लीची विशिष्ट सूक्ष्म जलवायु परिस्थितियों में तैयार होती है, जिसमें इष्टतम फल विकास के लिये अप्रैल की महत्त्वपूर्ण दूसरी छमाही के दौरान 30-35 डिग्री सेल्सियस का आदर्श तापमान होना चाहिये।
- तापमान के इस विचलन से प्राकृतिक विकास प्रक्रियाओं में बाधा आने के साथ छोटे आकार वाली तथा कम मीठी लीची उत्पादित होती हैं।
- लीची विशिष्ट सूक्ष्म जलवायु परिस्थितियों में तैयार होती है, जिसमें इष्टतम फल विकास के लिये अप्रैल की महत्त्वपूर्ण दूसरी छमाही के दौरान 30-35 डिग्री सेल्सियस का आदर्श तापमान होना चाहिये।
- फसल में अपेक्षित कमी:
- अनुमानित लीची की फसल में देरी होने और पिछले वर्षों की तुलना में संभावित रूप से आधी होने की आशंका है।
- किसानों को फसल में काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है और वे इस नुकसान की भरपाई के लिये सरकारी सहायता का अनुरोध करने की योजना बना रहे हैं।
- मुज़फ्फरपुर और आसपास के क्षेत्र भारत के लीची उत्पादन में लगभग 40% का योगदान देते हैं, यहाँ खराब फसल का राष्ट्रीय स्तर पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
हीट वेव क्या हैं?
- परिचय:
- हीट वेव अत्यधिक गर्म मौसम की लंबी अवधि होती है।
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने माना कि यदि किसी स्टेशन का अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों के लिये कम से कम 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक और पहाड़ी क्षेत्रों के लिये कम से कम 30 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक, तक पहुँच जाता है तो हीट वेव चल सकती है।
- सामान्य तापमान से विचलन:
- हीट वेव: सामान्य से विचलन 4.5°C से 6.4°C है।
- गंभीर हीट वेव: सामान्य से विचलन > 6.4 डिग्री सेल्सियस है।
- वास्तविक अधिकतम तापमान पर आधारित:
- हीट वेव: जब वास्तविक अधिकतम तापमान ≥ 45°C हो।
- गंभीर हीट वेव:जब वास्तविक अधिकतम तापमान ≥47°C.
- सामान्य तापमान से विचलन:
- हीट वेव से निपटने के लिये भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department- IMD) की पहल और उपकरण
- प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली:
- समय पर पूर्वानुमान: IMD समय पर (अक्सर कई दिन पहले) पूर्वानुमान और हीट वेव की चेतावनी जारी करता है।
- रंग-कोडित अलर्ट: हीट वेव की गंभीरता को वर्गीकृत करने के लिये रंग-कोडित प्रणाली (पीला, नारंगी, लाल) का उपयोग किया जाता है।
- सहयोग और कार्य योजनाएँ:
- IMD हीट वेव से निपटने के क्रम में योजनाओं को विकसित करने तथा लागू करने में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के साथ मिलकर कार्य करता है।
- IMD लोगों को हीट वेव के खतरों एवं संबंधित उपायों के बारे में शिक्षित करने के लिये जागरूकता अभियान चलाता है।
- IMD ने हीट इंडेक्स प्रस्तुत किया है जिसमें इसके अधिक सटीक आकलन के लिये तापमान तथा आर्द्रता दोनों पर विचार किया जाता है।
- प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना:
- मोबाइल ऐप्स: IMD द्वारा प्रदान किये गए "मौसम" जैसे मोबाइल ऐप्स सीधे उपयोगकर्त्ताओं के स्मार्टफ़ोन पर हीटवेव संबंधित चेतावनियों सहित मौसम संबंधी अपडेट देते हैं।
- वेबसाइट और सोशल मीडिया: इसके द्वारा उपयोगकर्त्ता-अनुकूल वेबसाइट बनाए रखने के साथ मौसम की जानकारी एवं हीट वेव अलर्ट साझा करने के लिये सक्रिय रूप से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जाता है।
- प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. वर्तमान में और निकट भविष्य में भारत की ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में संभावित सीमाएँ क्या हैं? (2010)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. संसार के शहरी निवास-स्थानों में ताप द्वीपों के बनने के कारण बताइये। (2013) |