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HbA1C जाँच

  • 20 Mar 2024
  • 2 min read

स्रोत: द हिंदू 

भारत मधुमेह के एक बहुत बड़े बोझ का सामना कर रहा है, जो वैश्विक मामलों का 17% है। हीमोग्लोबिन A1C (HbA1C) जाँच, जिसे ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन या ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन परीक्षण के रूप में भी जाना जाता है, प्रारंभिक पहचान और प्रबंधन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

  • HbA1C परीक्षण शर्करा-आबद्ध लाल रक्त कोशिकाओं को का आकलन कर रक्त शर्करा स्तर का 2-3 महीने का औसत प्रदान करता है, जो व्यापक दीर्घकालिक नियंत्रण मूल्यांकन प्रदान करता है।
    • व्रत और भोजन के बाद के परीक्षणों के विपरीत, इस जाँच में थोड़ी देर पूर्व भोजन करने से कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, जिससे विश्वसनीयता सुनिश्चित होती है।
    • 5.7% से कम Hb1A1C को सामान्य माना जाता है; 5.7 और 6.4% के बीच यह संकेत हो सकता है कि व्यक्ति प्री-डायबिटिक है; तथा 6.5% या इससे अधिक मधुमेह का संकेत दे सकता है।
      • गुर्दे या यकृत की विफलता, एनीमिया, कुछ दवाएँ और गर्भावस्था जैसे कारक परीक्षण के परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं।
  • भारत में 10.13 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित हैं और 13.6 करोड़ लोग प्री-डायबिटिक हैं। 35% से अधिक भारतीय उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं और लगभग 40% पेट के मोटापे से पीड़ित हैं, दोनों मधुमेह के जोखिम कारक हैं।
  • परीक्षण एक स्टैंड-अलोन डायग्नोस्टिक टूल नहीं है और व्यापक मूल्यांकन के लिये अन्य परीक्षणों के साथ इसका प्रयोग किया जा सकता है।

और पढ़ें: प्री-डायबिटीज़ का पता लगाना, टाइप-1 डायबिटीज़ से निपटना

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