गुरु तेग बहादुर प्रकाश पर्व | 23 Apr 2025

स्रोत: पी.आई.बी.

प्रधानमंत्री ने 18 अप्रैल, 2025 को गुरु तेग बहादुर जी की जयंती (प्रकाश पर्व) पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

प्रकाश पर्व

  • सिख धर्म में, प्रकाश पर्व (दिन या अवसर) सिख गुरुओं की जयंती अथवा महत्त्वपूर्ण धार्मिक आयोजनों को संदर्भित करता है, जो आध्यात्मिक ज्ञान के उद्बोधन का प्रतीक है।

गुरु तेग बहादुर

  • वह सिख धर्म के 9वें गुरु थे, जो अपनी शिक्षाओं, साहस और बलिदान के लिये पूजनीय थे।
  • इनका जन्म 21 अप्रैल 1621 को अमृतसर में गुरु हरगोबिंद (छठे सिख गुरु) और माता नानकी के यहाँ हुआ और तपस्वी स्वभाव के कारण इन्हें मूल रूप से त्याग मल नाम दिया गया था।
  • भाई गुरदास से शास्त्रों में तथा बाबा बुड्ढा से युद्धविद्या में प्रशिक्षित होकर उन्होंने 13 वर्ष की आयु में ही युद्धकला में अपनी विशिष्ट पहचान बना ली थी।
  • उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब के 116 शबद की रचना की, सिख शिक्षाओं का प्रसार करने हेतु व्यापक रूप से अनेक यात्राएँ कीं और चक-नानकी (वर्तमान में आनंदपुर साहिब का हिस्सा) की स्थापना की।
  • वर्ष 1675 में, जबरन धर्मांतरण के खिलाफ धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिये मुगल सम्राट औरंगज़ेब के आदेश पर उन्हें दिल्ली में फाँसी दे दी गई, जिससे उन्हें "हिंद की चादर" (हिंद रक्षक) की उपाधि दी गई।

सिख धर्म के दस गुरु

गुरु नानक देव (1469-1539)

  • ये सिखों के पहले गुरु और सिख धर्म के संस्थापक थे।
  • इन्होंने ‘गुरु का लंगर’ की शुरुआत की।
  • वह बाबर के समकालीन थे।
  • गुरु नानक देव की 550वीं जयंती पर करतारपुर कॉरिडोर को शुरू किया गया था।

गुरु अंगद (1504-1552)

  • इन्होंने गुरुमुखी नामक नई लिपि का आविष्कार किया और ‘गुरु का लंगर’ प्रथा को लोकप्रिय बनाया।

गुरु अमर दास (1479-1574)

  • इन्होंने आनंद कारज विवाह (Anand Karaj Marriage) समारोह की शुरुआत की।
  • इन्होंने सिखों के बीच सती और पर्दा प्रथा जैसी कुरीतियों को समाप्त किया|
  • ये अकबर के समकालीन थे।

गुरु राम दास (1534-1581) 

  • इन्होंने वर्ष 1577 में अकबर द्वारा दी गई ज़मीन पर अमृतसर की स्थापना की।
  • इन्होंने अमृतसर में स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) का निर्माण शुरू किया।

गुरु अर्जुन देव (1563-1606)

  • इन्होंने वर्ष 1604 में आदि ग्रंथ की रचना की।
  • इन्होंने स्वर्ण मंदिर का निर्माण का कार्य पूरा किया।
  • वे शाहिदीन-दे-सरताज (Shaheeden-de-Sartaj) के रूप में प्रचलित थे।
  • इन्हें जहाँगीर ने राजकुमार खुसरो की मदद करने के आरोप में मार दिया।

गुरु हरगोबिंद (1594-1644) 

  • इन्होंने सिख समुदाय को एक सैन्य समुदाय में बदल दिया। इन्हें "सैनिक संत" (Soldier Saint) के रूप में जाना जाता है।
  • इन्होंने अकाल तख्त की स्थापना की और अमृतसर शहर को मज़बूत किया।
  • इन्होंने जहाँगीर और शाहजहाँ के खिलाफ युद्ध छेड़ा।

गुरु हर राय (1630-1661) 

  • ये शांतिप्रिय व्यक्ति थे और इन्होंने अपना अधिकांश जीवन औरंगज़ेब के साथ शांति बनाए रखने तथा मिशनरी काम करने में समर्पित कर दिया।

गुरु हरकिशन (1656-1664)

  • ये अन्य सभी गुरुओं में सबसे कम आयु के गुरु थे और इन्हें 5 वर्ष की आयु में गुरु की उपाधि दी गई थी।
  • इनके खिलाफ औरंगज़ेब द्वारा इस्लाम विरोधी कार्य के लिये सम्मन जारी किया गया था।

गुरु तेग बहादुर (1621-1675) 

  • इन्होंने आनंदपुर साहिब की स्थापना की।

गुरु गोबिंद सिंह (1666-1708)

  • इन्होंने वर्ष 1699 में ‘खालसा’ नामक योद्धा समुदाय की स्थापना की।
  • इन्होंने एक नया संस्कार "पाहुल" (Pahul) शुरू किया।
  • ये मानव रूप में अंतिम सिख गुरु थे और इन्होंने ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ को सिखों के गुरु के रूप में नामित किया।

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