गिनी कृमि रोग | 26 Feb 2024
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक हालिया अध्ययन ने वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य में एक अविश्वसनीय उपलब्धि पर प्रकाश डाला है: गिनी कृमि रोग का शीघ्र उन्मूलन।
- इस परजीवी रोग के कुछ मामले अभी भी शेष हैं जिसने 1980 के दशक में लाखों लोगों को पीड़ित किया था, जो इसके उन्मूलन में मानव दृढ़ता एवं समन्वित प्रयासों की सफलता का संकेत प्रदान करता है।
गिनी कृमि रोग के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय:
- गिनी कृमि रोग अथवा ड्रैकुनकुलियासिस, गिनी कृमि (ड्रेकुनकुलस मेडिनेंसिस) के कारण होता है, एक परजीवी नेमाटोड एक दुर्बल करने वाला परजीवी रोग है जो संक्रमित व्यक्तियों को हफ्तों या महीनों के लिये निष्क्रिय कर देता है।
- यह मुख्य रूप से ग्रामीण, वंचित एवं पृथक समुदायों के लोगों को प्रभावित करता है जो पीने के लिये स्थिर सतही जल स्रोतों पर निर्भर हैं।
- 1980 के दशक के मध्य में दुनिया भर के 20 देशों में, मुख्य रूप से अफ्रीका तथा एशिया में ड्रैकुनकुलियासिस के अनुमानित 3.5 मिलियन मामले सामने आए।
- संचरण, लक्षण एवं प्रभाव:
- यह परजीवी तब फैलता है जब लोग परजीवी-संक्रमित जल पिस्सू से दूषित रुका हुआ पानी पीते हैं।
- जैसे-जैसे कृमि विकसित होता है, यह स्थिति कष्टदायी त्वचा घावों के साथ ही हफ्तों तक गंभीर पीड़ा, सूजन एवं द्वितीयक संक्रमण का कारण बनती है।
- 90% से अधिक संक्रमण टांगों एवं पैरों में होते हैं, जिससे व्यक्तियों की गतिशीलता तथा दैनिक कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है।
- रोकथाम:
- गिनी कृमि रोग के उपचार के लिये कोई टीका या दवा नहीं है, लेकिन इसके रोकथाम रणनीतियाँ सफल रही हैं।
- रणनीतियों में गहन निगरानी, उपचार एवं घाव की देखभाल के माध्यम से कृमि से संचरण को रोकना, पीने से पहले पानी को साफ करना, लार्विसाइड का उपयोग के साथ-साथ स्वास्थ्य शिक्षा शामिल है।
- गिनी कृमि रोग के उपचार के लिये कोई टीका या दवा नहीं है, लेकिन इसके रोकथाम रणनीतियाँ सफल रही हैं।
- उन्मूलन की राह:
- गिनी कृमि रोग को उन्मूलन करने के प्रयास 1980 के दशक में शुरू हुए, जिसमें WHO जैसे संगठनों का महत्त्वपूर्ण योगदान था।
- कम-से-कम लगातार तीन वर्षों तक शून्य मामलों की रिपोर्ट करने के बाद देशों को ड्रैकुनकुलियासिस संचरण से मुक्त प्रामाणित किया जाता है।
- वर्ष1995 के बाद से, WHO द्वारा 199 देशों, क्षेत्रों एवं स्थानों को ड्रैकुनकुलियासिस संचरण से मुक्त प्रामाणित किया है।
- गिनी कृमि रोग को उन्मूलन करने के प्रयास 1980 के दशक में शुरू हुए, जिसमें WHO जैसे संगठनों का महत्त्वपूर्ण योगदान था।
- भारत की सफलता:
- भारत द्वारा जल सुरक्षा हस्तक्षेप तथा सामुदायिक शिक्षा सहित कठोर सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों के माध्यम से वर्ष 1990 के दशक के अंत में गिनी कृमि रोग का उन्मूलन किया।
- अनुवीक्षण और चुनौतियाँ:
- बीमारी के पुनः संचरण की रोकथाम और प्रत्येक मामले को संज्ञान में लाने के लिये सक्रिय अनुवीक्षण की आवश्यकता है।
- चाड और मध्य अफ्रीकी गणराज्य जैसे क्षेत्रों में चुनौतियाँ बनी हुई हैं जिससे नागरिक अशांति तथा निर्धनता उन्मूलन प्रयासों में बाधा उत्पन्न होती है।
- चुनौतियों में विशेष रूप से दूरवर्ती क्षेत्रों में अंतिम शेष मामलों की पहचान कर उन्हें नियंत्रित करना तथा जानवरों, विशेष रूप से कुत्तों में इसके संक्रमण की रोकथाम करना शामिल है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित रोगों पर विचार कीजिये: (2014)
उपर्युक्त रोगों में से कौन-सा/सी रोग का भारत में उन्मूलन किया गया है? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) व्याख्या:
मेन्स:Q. कोविड-19 महामारी के दौरान वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करने में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लू.एच.ओ.)की भूमिका का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (2020) |