ग्राम मानचित्र और एम-एक्शनसॉफ्ट | 11 Dec 2023

स्रोत: पी.आई.बी.

हाल ही में पंचायती राज मंत्रालय ने एक भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) एप "ग्राम मानचित्र" पेश किया।

  • इसके अतिरिक्त मंत्रालय ने परियोजना परिसंपत्तियों की जियो-टैगिंग के लिये एक मोबाइल-आधारित समाधान “एम-एक्शनसॉफ्ट”/mActionSoft लॉन्च किया।

ग्राम मानचित्र और mActionSoft क्या हैं? 

  • ग्राम मानचित्र: 
    • परिचय : ग्राम मानचित्र का प्राथमिक लक्ष्य भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी की क्षमताओं का लाभ उठाते हुए ग्राम पंचायतों की स्थानिक योजना पहल को प्रोत्साहित करना है।
      • यह एप निर्णय लेने में सहायता करके ग्राम पंचायत विकास योजना (GPDP) का समर्थन करता है।
    • विशेषताएँ: 
      • एकीकृत भू-स्थानिक मंच: ग्राम मंच एक एकल और एकीकृत मंच है, जो ग्राम पंचायत स्तर पर विकासात्मक परियोजनाओं एवं गतिविधियों की दृश्यता की सुविधा प्रदान करता है।
      • क्षेत्र-वार योजना: यह ग्राम पंचायतों को ग्रामीण विकास के लिये समग्र दृष्टिकोण को बढ़ावा देते हुए विभिन्न क्षेत्रों में विकासात्मक कार्यों की योजना बनाने और निष्पादित करने में सक्षम बनाता है।
      • विकास योजना उपकरण: उपकरण में परियोजना स्थल की पहचान, परिसंपत्ति ट्रैकिंग, लागत अनुमान और परियोजना प्रभाव मूल्यांकन शामिल हैं।
  • mActionSoft:
    • संदर्भ: mActionSoft एक मोबाइल-आधारित समाधान है जो एसेट आउटपुट वाले कार्यों के लिये जीपीएस निर्देशांक के साथ जियो-टैग की गई तस्वीरें कैप्चर करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
      • संपत्तियों की जियो-टैगिंग तीन चरणों में होती है: काम शुरू होने से पहले, काम के दौरान और काम पूरा होने पर।
      • यह प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, जल संचयन, स्वच्छता, कृषि और अन्य से संबंधित विभिन्न कार्यों पर जानकारी का एक व्यापक भंडार स्थापित करता है।
  • विशेषताएँ: 
    • जियो-टैगिंग: पंचायतों द्वारा पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने वाली तस्वीरों के साथ वित्त आयोग निधि के तहत संपत्तियों को जियोटैग करना।
      • mActionSoft का उपयोग करके जियो-टैग की गई संपत्तियाँ ग्राम पंचायत में विकासात्मक कार्यों के दृश्य को समृद्ध करते हुए ग्राम मंच के साथ सहजता से एकीकृत हो जाती हैं।
  • भौगोलिक सूचना प्रणाली: यह एक ऐसी तकनीक है जो भौगोलिक या स्थानिक डेटा को कैप्चर, प्रबंधित, विश्लेषण और प्रस्तुत करती है।
    • यह उपयोगकर्त्ताओं के लिये डेटा को पृथ्वी की सतह पर स्थित स्थानों से जोड़कर देखने, व्याख्या करने और समझने की अनुमति देती है।
    • GIS इंटरैक्टिव मानचित्र और मॉडल बनाने के लिये जानकारी की विभिन्न परतों जैसे मानचित्र, उपग्रह इमेजरी और डेटा तालिकाओं को जोड़ती है। 
    • इसका उपयोग शहरी नियोजन, पर्यावरण विश्लेषण, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, आपातकाल प्रतिक्रिया आदि जैसे विविध क्षेत्रों में किया जाता है, जो स्थानिक जानकारी से संबंधित निर्णय लेने एवं समस्या-समाधान में सहायता करता है।
  • जियो-टैगिंग: यह विभिन्न मीडिया जैसे- चित्र, वीडियो, वेबसाइट तथा अन्य दस्तावेज़ों में भौगोलिक पहचान जोड़ने की प्रक्रिया है।
    • इसमें मेटाडेटा संलग्न करना शामिल है, अमूमन GPS, मीडिया के निर्माण अथवा कैप्चर स्थान के संबंध में सटीक भौगोलिक विवरण देने के लिये इन फाइलों को समन्वयित करता है। 
    • यह उपयोगकर्त्ताओं को सामग्री से जुड़े सटीक भौगोलिक स्थान को इंगित करने, उसके स्थान के आधार पर डेटा के संगठन, खोज और मानचित्रण की सुविधा प्रदान करने में सक्षम बनाता है।
    • इससे उपयोगकर्त्ताओं के लिये जानकारी से जुड़ी सटीक भौगोलिक स्थिति की पहचान करना संभव हो जाता है, जिससे डेटा को उसके स्थान के अनुसार व्यवस्थित करना, खोजना तथा मैप करना आसान हो जाता है।

अन्य संबंधित सरकारी पहलें क्या हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:  

प्रश्न. अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के संदर्भ में हाल ही में खबरों में रहा "भुवन" (Bhuvan) क्या है?  (वर्ष 2010) 

(A) भारत में दूरस्थ शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये इसरो द्वारा लॉन्च किया गया एक छोटा उपग्रह
(B) चंद्रयान-द्वितीय के लिये अगले चंद्रमा प्रभाव की जाँच को दिया गया नाम
(C) भारत की 3डी इमेजिंग क्षमताओं के साथ इसरो का एक जियोपोर्टल (Geoportal)
(D) भारत द्वारा विकसित एक अंतरिक्ष दूरबीन

उत्तर: (C) 


मेन्स:

प्रश्न. अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों की चर्चा कीजिये। इस प्रौद्योगिकी का प्रयोग भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में किस प्रकार सहायक हुआ है? (2016)