एचआईवी का परीक्षण के लिये जीक्यू-आरसीपी प्लेटफॉर्म | 23 Nov 2024
प्रीलिम्स के लिये:जीक्यू-आरसीपी प्लेटफॉर्म, डीएनए , मानव इम्यूनो डेफिसिएंसी वायरस (एचआईवी) , एड्स , एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (एआरटी), भारत एचआईवी अनुमान 2021 रिपोर्ट, एचआईवी/एड्स रोकथाम और नियंत्रण अधिनियम (2017), यूएनएड्स , डब्ल्यूएचओ मुख्य परीक्षा के लिये:एचआईवी के मुद्दे और व्यापकता, एचआईवी का परीक्षण और उपचार, एचआईवी उपचार में स्टिग्मा और भेदभाव की चुनौतियाँ, राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम का विकास |
स्रोत: पीआईबी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान, जवाहरलाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र (जेएनसीएएसआर) के शोधकर्त्ताओं ने एचआईवी का शीघ्र और सटीक परीक्षण के लिये एक नई तकनीक विकसित की है ।
- SARS-CoV-2 डायग्नोस्टिक्स से अनुकूलित नव विकसित GQ टोपोलॉजी-लक्षित विश्वसनीय अनुरूपण बहुरूपता (GQ-RCP) प्लेटफॉर्म , भारतीय अनुसंधान संस्थानों की नवीन क्षमताओं को उजागर करता है।
जीक्यू-आरसीपी प्लेटफॉर्म की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- जीक्यू-आरसीपी प्लेटफॉर्म: जी-क्वाड्रप्लेक्स (जीक्यू) संरचना एक अद्वितीय फोर स्ट्रैंडेड डीएनए संरचना है जो जीन विनियमन और जीनोम स्थिरता सहित विभिन्न जैविक प्रक्रियाओं में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- कार्यक्षमता: यह प्लेटफॉर्म फ्लोरोमेट्रिक परीक्षण का उपयोग करके एचआईवी-व्युत्पन्न डीएनए संरचनाओं का लक्षित परीक्षण करने में सक्षम बनाता है, जिससे नैदानिक विश्वसनीयता बढ़ती है और एचआईवी पहचान से जुड़े झूठे सकारात्मक परिणामों में अत्यधिक कमी आती है।
- जीक्यू-आरसीपी प्लेटफॉर्म शीघ्र परीक्षण की क्षमताओं को बढ़ाने तथा कम विशिष्ट सामान्य डीएनए सेंसिंग जाँच पर निर्भरता को कम करने में सहायता करता है, जो नैदानिक अशुद्धियों में योगदान करते हैं।
- परीक्षण की प्रक्रिया: परीक्षण प्रक्रिया में जीनोमिक अनुक्रमण का रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन और प्रवर्द्धन शामिल है, जिसमें पीएच-मध्यस्थ प्रक्रिया के माध्यम से डबल-स्ट्रैंडेड डीएनए को उसके जीक्यू संरूपण में परिवर्तित किया जाता है।
एचआईवी क्या है?
- परिचय:
- एचआईवी का मतलब है ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस, जो एक ऐसा वायरस है जो मानव शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली पर आक्रमण करता है।
- यह मुख्य रूप से सीडी4 प्रतिरक्षा कोशिकाओं (एक प्रकार की श्वेत रक्त कणिका) को लक्षित करता है और उन्हें नुकसान पहुँचाता है, जो संक्रमण और रोगों के प्रतिरोध की शरीर की क्षमता के लिये आवश्यक हैं।
- समय के साथ, एचआईवी प्रतिरक्षा तंत्र को कमजोर कर देता है, जिससे शरीर संक्रमणों और कैंसर के प्रति संवेदनशील हो जाता है ।
- संक्रमण:
- एचआईवी मुख्यतः रक्त, वीर्य, योनि द्रव्य और स्तन दूध जैसे कुछ शारीरिक तरल पदार्थों के आदान-प्रदान के माध्यम से संक्रमित होता है।
- गंभीरता:
- यह वायरस व्यक्ति की प्रतिरक्षा तंत्र को कमजोर कर देता है, जिससे वह एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स) चरण में प्रवेश कर जाता है, जहाँ वह कई संभावित घातक संक्रमणों के प्रति संवेदनशील हो जाता है।
- उपचार:
- यद्यपि वर्तमान में इस संक्रमण का कोई उपचार नहीं है, फिर भी एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी का उपयोग करके इस रोग का प्रबंधन किया जा सकता है ।
- ये दवाएँ शरीर में वायरस की प्रतिकृति को बाधित करती है, जिससे CD4 प्रतिरक्षा कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि हो जाती है।
भारत में एचआईवी संक्रमण की स्थिति क्या है?
वर्तमान स्थिति:
- राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) के अनुसार, 2021 तक, भारत में लगभग 2.4 मिलियन लोग एचआईवी से संक्रमित हैं, जिसमें वयस्क संक्रमण दर 0.22% है।
- भारत एचआईवी अनुमान,2021 रिपोर्ट ने संकेत दिया कि लगभग 2.3 मिलियन लोग एचआईवी से संक्रमित हैं, जो नए संक्रमणों में कमी के रुझान को दर्शाता है
- जनसांख्यिकीय वितरण: महामारी उच्च जोखिम वाली आबादी के बीच केंद्रित है, जिसमें महिला सेक्सवर्कर( 2.61% ) और इंजेक्शन से नशीली दवाओं का उपयोग करने वाले ( 5.91% ) शामिल हैं।
- 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों में संक्रमणों की संख्या लगभग 3.5% है, जबकि महिलाएँ कुल एचआईवी पॉजिटिव आबादी का लगभग 39% प्रतिनिधित्व करती हैं।
- उच्च प्रसार वाले राज्य: पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों में वयस्कों में एचआईवी प्रसार सबसे अधिक है (मिज़ोरम में 2.70%, नागालैंड में 1.36% और मणिपुर में 1.05%), इसके बाद दक्षिणी राज्यों (आंध्र प्रदेश में 0.67%, तेलंगाना में 0.47% और कर्नाटक में 0.46%) का स्थान है।
- एचआईवी से पीड़ित लोगों (PLHIV) की संख्या लगभग 24 लाख होने का अनुमान है। दक्षिणी राज्यों में एचआईवी से पीड़ित लोगों की संख्या सबसे अधिक है। महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक शीर्ष तीन राज्य हैं।
एचआईवी से संबंधित सरकारी पहल क्या हैं?
- राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (NACP):
- आरंभ और विकास: वर्ष 1986 में भारत में पहला एड्स मामला सामने आने के तुरंत बाद स्थापित, एनएसीपी वर्ष 1992 में अपनी स्थापना के बाद से कई चरणों से गुजरा है। यह कार्यक्रम एचआईवी/एड्स से पीड़ित लोगों की रोकथाम, उपचार और देखभाल पर केंद्रित है।
- एनएसीपी के चरण:
- चरण I (1992-1999): जागरूकता सृजन, रक्त सुरक्षा और निगरानी प्रणाली स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- चरण II (1999-2006): उच्च जोखिम वाली आबादी के लिये लक्षित हस्तक्षेप का विस्तार किया गया और कार्यान्वयन में गैर सरकारी संगठनों को शामिल किया गया।
- चरण III (2007-2012): लक्षित हस्तक्षेपों में वृद्धि की गई और निगरानी तंत्र को मजबूत किया गया ।
- इसमें सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने के लिये नागरिक समाज संगठनों के साथ साझेदारी पर जोर दिया गया।
- चरण IV (2012-2021): इसका उद्देश्य लाभ को समेकित करना और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में एचआईवी सेवाओं को और अधिक एकीकृत करना है। एचआईवी से पीड़ित लोगों के लिये व्यापक देखभाल, सहायता और उपचार पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- चरण V (2021-2026): इसका लक्ष्य वर्ष 2010 के स्तर की तुलना में वित्तीय वर्ष 2025-26 तक नए एचआईवी संक्रमण और एड्स से संबंधित मृत्यु को 80% तक कम करना है।
- विधिक ढाँचा: एचआईवी /एड्स रोकथाम और नियंत्रण अधिनियम (2017) एचआईवी/एड्स से पीड़ित लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिये एक कानूनी ढाँचा प्रदान करता है तथा बिना किसी स्टिग्मा या भेदभाव के उपचार तक पहुँच सुनिश्चित करता है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहायता: भारत को विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों जैसे यूएनएड्स, विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व बैंक और बिल एवं मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन जैसी निजी संस्थाओं से तकनीकी सहायता और वित्तपोषण प्राप्त होता है ।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: भारत में एचआईवी के संक्रमण की स्थिति और इसकी रोकथाम के लिये उठाए गए उपायों पर चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सनिम्नलिखित में से कौन-सा रोग टैटू गुदवाने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है? (2013)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (b) |