अमेरिका और भारत में गूगल की एंटीट्रस्ट शिकायतें | 07 Aug 2024

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

हाल ही में एक अमेरिकी ज़िला न्यायालय ने गूगल को खोज और टेक्स्ट विज्ञापन में एकाधिकारवादी प्रथाओं का दोषी पाया है, जिससे उसका दीर्घकालिक प्रभुत्व बाधित हुआ है और यह भारत के नए डिजिटल प्रतिस्पर्द्धा कानून की चर्चाओं के साथ भी मेल खाता है

  • गूगल ने उपकरणों पर अपनी डिफॉल्ट खोज इंजन स्थिति को बनाए रखने के लिये प्रतिवर्ष 26 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया है, जिसमें सामान्य खोज सेवाओं में 89.2% और मोबाइल पर 94.9% की पर्याप्त हिस्सेदारी बाज़ार में है।
  • भारत में अलायंस ऑफ डिजिटल इंडिया फाउंडेशन (Alliance of Digital India Foundation- ADIF) ने भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (Competition Commission of India- CCI) के समक्ष शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें दावा किया गया है कि गूगल का प्रभुत्व प्रतिस्पर्द्धा में बाधा डालता है और भारतीय व्यवसायों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
    • ADIF भारत के डिजिटल स्टार्टअप के लिये एक उद्योग निकाय है जिसका गठन वर्ष 2020 में किया गया था ताकि वर्ष 2030 तक भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को वैश्विक स्तर पर शीर्ष 3 में बदला जा सके।
    • ADIF को चिंता है कि गूगल की प्राइवेसी सैंडबॉक्स पहल, जो क्रोम से तीसरे पक्ष के कुकीज को हटाती है, डिजिटल विज्ञापन में गैर-गूगल डिमांड साइड प्लेटफॉर्म की प्रभावशीलता में बाधा उत्पन्न कर सकती है।
    • यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब भारत डिजिटल प्रतिस्पर्द्धा कानून पर चर्चा कर रहा है, जिससे बड़ी टेक कंपनियों द्वारा अनुपालन में वृद्धि हो सकती है। यह CCI द्वारा Google पर अविश्वास जाँच के बीच भी सामने आया है, जिसने वर्ष 2022 में Android से संबंधित श्रेणियों में "बाज़ार में अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग" करने के लिये ज़ुर्माना लगाया था।
  • भारत डिजिटल प्रतिस्पर्द्धा विधेयक, 2024 का प्रस्ताव कर रहा है, जिसका उद्देश्य अनुमानित मानदंड निर्धारित करके और भारी ज़ुर्माना लगाकर प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी प्रथाओं पर अंकुश लगाना है।
    • विधेयक में समूह कंपनियों के बीच डेटा उपयोग को विनियमित करने में एसोसिएट डिजिटल एंटरप्राइजेज (Associate Digital Enterprises- ADE) की भूमिका पर भी ध्यान दिया गया है।

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