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गद्दी कुत्ता

  • 17 Jan 2025
  • 2 min read

स्रोत: डाउन टू अर्थ

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो ( ICAR-NBAGR) ने हिमालयी क्षेत्र की मूल नस्ल गद्दी कुत्ते को आधिकारिक तौर पर मान्यता दी है।

  • गद्दी कुत्ता पंजीकृत प्रजाति में शामिल होने वाला चौथा मूल नस्ल का कुत्ता है, इससे पहले तमिलनाडु की राजपलायम और चिप्पीपराई नस्लें और कर्नाटक की मुधोल हाउंड नस्लों का पंजीकरण किया जा चुका है।
  • हिमाचल प्रदेश की गद्दी जनजाति के नाम पर इस नस्ल का नाम रखा गया है, जिसका उपयोग भेड़ों और बकरियों को शिकारियों से बचाने के लिये किया जाता है और हिम तेंदुए जैसे माँसाहारी जानवरों से सुरक्षा प्रदान करने की क्षमता के कारण इसे 'भारतीय पैंथर हाउंड' अथवा 'भारतीय तेंदुआ हाउंड' उपनाम दिया गया है।
    • हिमाचल प्रदेश की गद्दी जनजाति एक अर्द्ध-घुमंतू समुदाय है जो परंपरागत रूप से चरवाही और ऊन प्रसंस्करण में संलग्न है।
  • शारीरिक विशेषताएँ: गद्दी कुत्ता अपनी विशाल, धनुषाकार गर्दन और पुष्ट माँसल शरीर के लिये जाना जाता है, जिसकी खाल का वर्ण काला होता है और कुछ कुत्तों पर सफेद धारियाँ होती हैं।    
  • संख्या में गिरावट: 1000 से कम समष्टि वाले गद्दी कुत्ते को जीन पूल के कमज़ोर होने और प्रजनन कार्यक्रमों के अभाव के कारण विलुप्त होने का खतरा है।
  • संरक्षण प्रयास: इस मान्यता का उद्देश्य गद्दी नस्ल के संरक्षण में मदद करना है, जिसे अभी तक प्रमुख केनेल क्लबों द्वारा मान्यता नहीं दी गई है।

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