लद्दाख में 5 नए ज़िलों का गठन | 31 Aug 2024

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में गृह मंत्रालय ने लद्दाख में पाँच नए ज़िलों के गठन के लिये ‘सैद्धांतिक मंज़ूरी (In-principle Approval)’ प्रदान की है, जिससे इस केंद्रशासित प्रदेश के ज़िलों की कुल संख्या बढ़कर सात हो गई है।

  • क्षेत्र में शासन और विकास में सुधार लाने के उद्देश्य से उठाए गए इस कदम पर विभिन्न हितधारकों द्वारा व्यापक रूप से चर्चा की गई तथा इस फैसले की सराहना की गई है।

लद्दाख में नवनिर्मित ज़िले कौन-से हैं तथा इस कदम का उद्देश्य क्या है?

  • महत्त्व: लद्दाख भारत के सबसे बड़े और सबसे कम आबादी वाले केंद्रशासित प्रदेशों में से एक है। वर्तमान प्रशासनिक संरचना, जिसमें केवल दो ज़िले- लेह और कारगिल हैं, को अपने विशाल और दुर्गम भू-भाग की आवश्यकताओं को पूरा करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता था।
    • अपने बड़े क्षेत्रफल और दुर्गमता के कारण, मौजूदा प्रशासन को ज़मीनी स्तर तक प्रभावी ढंग से पहुँचने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
    • नए ज़िलों से अधिक स्थानीय प्रशासनिक इकाइयाँ उपलब्ध कराकर इन चुनौतियों को कम करने की उम्मीद है।
    • लद्दाख के भू-राजनीतिक महत्त्व और रणनीतिक स्थिति ने इसे विकास प्रयासों का केंद्र बना दिया है, जिसका उद्देश्य नागरिक व सैन्य बुनियादी ढाँचे में वृद्धि करना है।
  • नए ज़िले: पाँच नए नामित ज़िले हैं: ज़ांस्कर, द्रास, शाम, नुब्रा और चांगथांग। 
    • वर्ष 2019 में अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद, लद्दाख को केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रत्यक्ष प्रशासन के तहत एक केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया।
    • इन ज़िलों के निर्माण का उद्देश्य शासन को लोगों निकट पहुँचाना तथा यह सुनिश्चित करना है कि लाभ एवं सेवाएँ सबसे दूरस्थ क्षेत्रों तक भी पहुँच सकें।
    • लद्दाख प्रधानमंत्री विकास पैकेज (PMDP) का हिस्सा है, जिसमें क्षेत्र के विकास के उद्देश्य से महत्त्वपूर्ण वित्तपोषण तथा बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ शामिल हैं। 
      • नए ज़िलों के निर्माण से इन विकासात्मक प्रयासों को और अधिक समर्थन मिलेगा।
  • अगला कदम:  गृह मंत्रालय ने लद्दाख प्रशासन को नए ज़िलों के मुख्यालय, सीमाओं, संरचना और स्टाफिंग सहित विभिन्न पहलुओं का आकलन करने के लिये एक समिति गठित करने का निर्देश दिया है। 
  • समिति को तीन महीने के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी, जिसके बाद अंतिम प्रस्ताव पर आगे की कार्रवाई के लिये केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा समीक्षा की जाएगी।
  • राजनीतिक और सार्वजनिक प्रतिक्रियाएँ: राजनीतिक दलों ने सवाल उठाया कि क्या नए ज़िलों में सार्थक स्थानीय शासन सुनिश्चित करने के लिये लेह और कारगिल की तरह स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषदों (Autonomous Hill Development Councils) का चुनाव किया जाएगा।
  • जहाँ कई लोगों ने इस कदम की सराहना की है वहीं कुछ सामाजिक कार्यकर्त्ताओं और पूर्व राजनेताओं ने स्थानीय शासन में नए ज़िलों को प्रभावी बनाने के लिये अधिक राजनीतिक प्रतिनिधित्व तथा कार्यात्मक स्वायत्तता की मांग की है।

भारत में नए ज़िलों का निर्माण कैसे किया जाता है?

  • ज़िलों को बनाने, बदलने या समाप्त करने की शक्ति राज्य सरकारों में निहित है, जिसे या तो कार्यकारी आदेश के माध्यम से या राज्य विधानसभा में कानून पारित करके किया जा सकता है।
    • राज्यों का मानना ​​है कि छोटे ज़िले प्रशासन और शासन को बेहतर बनाते हैं।
  • ज़िलों के निर्माण या परिवर्तन में केंद्र की कोई भूमिका नहीं होती, लेकिन जब कोई राज्य किसी ज़िले के नाम में परिवर्तन करना चाहता है, तो इसमें केंद्र की भूमिका होती है, क्योंकि इसके लिये उसे कई एजेंसियों से मंज़ूरी प्राप्त करनी होती है।
  • ज़िलों के निर्माण संबंधी रुझान: जनगणना 2011 के अनुसार, भारत में 593 ज़िले थे। वर्ष 2001-2011 के बीच, राज्यों द्वारा 46 नए ज़िले बनाए गए। 
    • वर्ष 2024 तक, वर्तमान में देश में 718 ज़िले हैं, आंशिक रूप से वर्ष 2014 में आंध्र प्रदेश के विभाजन (आंध्र प्रदेश और तेलंगाना) के बाद तेलंगाना में 33 ज़िले और आंध्र प्रदेश (राज्य में अब 26 ज़िले हैं) में 13 ज़िले थे।

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