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वन्यजीव अभयारण्यों में गैर-वानिकी गतिविधियों हेतु वन मंज़ूरी

  • 12 Aug 2024
  • 3 min read

स्रोत: द हिंदू

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal- NGT) को बताया कि असम सरकार ने सोनाई-रूपाई वन्यजीव अभयारण्य (Sonai-Rupai Wildlife Sanctuary) में गैर-वनीय गतिविधियों के लिये आवश्यक वन मंज़ूरी नहीं ली है। मंत्रालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि ऐसी गतिविधियों हेतु केंद्र सरकार से मंज़ूरी की आवश्यकता होती है, जो नहीं मांगी गई।

  • असम, भारत में स्थित सोनाई-रूपाई वन्यजीव अभयारण्य अपनी विविध वनस्पतियों और जीवों के लिये जाना जाता है, जिसमें लुप्तप्राय एक सींग वाला गैंडा भी शामिल है। यह विभिन्न वन्यजीव प्रजातियों हेतु एक महत्त्वपूर्ण आवास के रूप में कार्य करता है तथा व्यापक काजीरंगा-कार्बी आंगलोंग भू-दृश्य का हिस्सा है।
  • मंत्रालय ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को अतिक्रमण के मुद्दों पर उचित आदेश पारित करने की सलाह दी तथा कहा कि राज्य सरकारें अनधिकृत निर्माण या अवैध बस्तियों की समस्या का समाधान कर सकती हैं।
    • NGT पर्यावरण संरक्षण तथा वनों और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से संबंधित मामलों के प्रभावी एवं शीघ्र निपटान के लिये राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम (2010) के तहत स्थापित एक विशेष निकाय है।
  • मंत्रालय के काउंटर-एफिडेविट (जबावी शपथ-पत्र) में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि वन भूमि पर गैर-वानिकी गतिविधियों के लिये वन संरक्षण अधिनियम, 1980 की धारा 2(1)(ii) के तहत केंद्रीय अनुमोदन की आवश्यकता है। ऐसा कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ।
    • वन संरक्षण अधिनियम, 1980 भारत में गैर-वनीय उद्देश्यों हेतु वन भूमि के उपयोग को नियंत्रित करता है, जिसके लिये केंद्र सरकार से पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता होती है।
    • इसका उद्देश्य वनों की कटाई को नियंत्रित करके तथा सतत् वन प्रबंधन को बढ़ावा देकर वन भूमि को संरक्षित एवं सुरक्षित रखना है।

और पढ़ें: आरक्षित वन, होलोंगापार गिब्बन अभयारण्य, बरनाडी वन्यजीव अभयारण्य, देहिंग पटकाई और रायमोना राष्ट्रीय उद्यान: असम, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT)

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