फाइव आइज़ एलायंस | 26 Sep 2023
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में कनाडाई प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया है कि कनाडा में खालिस्तान आंदोलन के उन्नायक एक सिख अलगाववादी नेता की हत्या में भारत सरकार के "संभावित संबंध" हो सकते हैं, इसलिये दोनों देशों के बीच संबंध तनाव में हैं, साथ ही उनके आरोपों को फाइव आइज़ अलायंस की रिपोर्टों का समर्थन प्राप्त है।
फाइव आइज़ अलायंस:
- परिचय:
- फाइव आइज़ एक खुफिया गठबंधन है जिसमें ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूज़ीलैंड, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश शामिल हैं।
- ये देश बहुपक्षीय UK-USA समझौते के पक्षकार हैं, जो सिग्नल इंटेलिजेंस में संयुक्त सहयोग के लिये एक संधि है।
- विशेषताएँ:
- ये भागीदार राष्ट्र सहयोग के हिस्से के रूप में विश्व के सबसे घनिष्ठ बहुपक्षीय समझौतों में से एक इस गठबंधन के अंतर्गत खुफिया जानकारी का व्यापक आदान-प्रदान करते हैं।
- अपनी स्थापना के बाद एजेंसी ने अपने मुख्य समूह का 'नाइन आइज़' और 14 आइज़ गठबंधनों के रूप में विस्तार किया तथा अधिक देशों को सुरक्षा भागीदार के रूप में शामिल किया।
- 'नाइन आइज़' समूह नीदरलैंड, डेनमार्क, फ्राँस और नॉर्वे तक विस्तृत है, जबकि 14 आइज़ गठबंधन के अंतर्गत बेल्जियम, इटली, जर्मनी, स्पेन तथा स्वीडन शामिल हैं।
फाइव आइज़ गठबंधन के गठन का कारण:
- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यह गठबंधन सर्वप्रथम अस्तित्त्व में आया। यू.के. और यू.एस. ने क्रमशः जर्मन और जापानी कूटों को हल करते हुए खुफिया जानकारी साझा करने का निर्णय लिया।
- वर्ष 1943 में, ब्रिटेन-यू.एस.ए. (BRUSA) समझौते ने यू.के.-यू.एस.ए. (UKUSA) समझौते की नींव रखी।
- यूरोप में अमेरिकी सेनाओं का समर्थन करने के लिये दोनों देशों के बीच खुफिया जानकारी साझा करने के लिये BRUSA पर हस्ताक्षर किये गए थे।
- इसके बाद वर्ष 1946 में UK-USA समझौते पर हस्ताक्षर किये गए। वर्ष 1949 में कनाडा इसमें शामिल हुआ और एक अन्य गठबंधन का निर्माण करते हुए न्यूज़ीलैंड तथा ऑस्ट्रेलिया वर्ष 1956 में शामिल हो गए।
- इस समझौते को आधिकारिक रूप से स्वीकृति नहीं दी गई थी, हालांकि इसके अस्तित्त्व के बारे में 1980 के दशक से ही जानकारी थी। लेकिन UK-USA समझौते की फाइलें/जानकारी वर्ष 2010 में जारी की गईं।
फाइव आइज़ गठबंधन की कार्यप्रणाली:
- खुफिया जानकारी जुटाने और सुरक्षा के मामलों में विभिन्न देश अक्सर एक-दूसरे से जुड़े होते हैं।
- हाल के वर्षों में चीन की बढ़त को संतुलित अथवा नियंत्रित करने जैसे सामान्य हितों से फाइव आईज़ देशों के बीच घनिष्ठता बढ़ी है।
- उनकी निकटता का श्रेय एक समान भाषा और दशकों के सहयोग से बने आपसी विश्वास को भी दिया जाता है।
- वर्ष 2016 में फाइव आइज़ इंटेलिजेंस ओवरसाइट एंड रिव्यू काउंसिल अस्तित्व में आई। इसमें फाइव आईज़ देशों की गैर-राजनीतिक खुफिया निगरानी, समीक्षा और सुरक्षा संस्थाएँ भी शामिल हैं।
वर्तमान भारत-कनाडा मुद्दे में फाइव आइज़ की भूमिका:
- खासतौर पर अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों को भारत के समकक्ष देखा जाता है। कनाडा के समान उनके भीतर भी बड़ी संख्या में भारतीयों और भारतीय मूल के लोगों की आबादी है।
- उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों के कुछ उदाहरण भी देखे हैं। लेकिन एक तरफ कनाडा और गठबंधन के साथ उनकी ऐतिहासिक निकटता तथा दूसरी तरफ भारत के एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभरने के कारण भारत या कनाडा के लिये पूर्ण समर्थन की संभावना नहीं है।
- संबंधों की स्थिति को देखते हुए ये देश, विशेष रूप से अमेरिका, मामले पर स्पष्ट खुफिया जानकारी और जानकारी होने पर इस मुद्दे में मध्यस्थता की भूमिका निभा सकते हैं।