प्रारंभिक परीक्षा
फिस्कल हेल्थ इंडेक्स 2025
- 30 Jan 2025
- 7 min read
स्रोत: पी.आई.बी.
राजकोषीय प्रशासन में सुधार लाने के उद्देश्य से, राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान (नीति आयोग) ने अपना पहला फिस्कल हेल्थ इंडेक्स (FHI) 2025 लॉन्च किया।
- इस सूचकांक में वर्ष 2022 से वर्ष 23 की अवधि में 18 प्रमुख भारतीय राज्यों की राजकोषीय स्थिति का व्यापक मूल्यांकन किया गया है, तथा डेटा-संचालित अंतर्दृष्टि प्रदान की गई है जो राज्य स्तर पर नीतिगत हस्तक्षेपों का मार्गदर्शन करेगा।
फिस्कल हेल्थ इंडेक्स (FHI) क्या है?
- परिचय: फिस्कल हेल्थ इंडेक्स (FHI) भारतीय राज्यों की राजकोषीय स्थिति का मूल्यांकन करने हेतु एक मूल्यांकन साधन है और इसके अंतर्गत उन विशिष्ट क्षेत्रों पर प्रकाश डाला जाता है जिनमें सुधार किया जा सकता है।
- पैरामीटर: FHI पाँच प्रमुख उप-सूचकांकों के आधार पर राज्यों का श्रेणीकरण करता है।
- व्यय की गुणवत्ता: इसमें दीर्घकालिक विकास (विकासात्मक) बनाम नियमित परिचालन (गैर-विकासात्मक) पर किये गए व्यय के अनुपात को मापा जाता है।
- इसमें आर्थिक उत्पादन के हिस्से के रूप में पूंजी निवेश का आकलन किया जाता है।
- राजस्व जुटाना: यह राज्य की स्वयं का राजस्व उत्पन्न करने तथा अपने व्यय को स्वतंत्र रूप से पूरा करने की क्षमता को दर्शाता है।
- राजकोषीय विवेक: इसमें आर्थिक उत्पादन के सापेक्ष घाटे (राजकोषीय और राजस्व) तथा उधारी का आकलन किया जाता है, तथा संबद्ध राज्य की राजकोषीय स्थिति का विवरण प्रदान किया जाता है।
- ऋण सूचकांक: इसके अंतर्गत आर्थिक आकार के सापेक्ष ब्याज भुगतान और देनदारियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए राज्य के ऋण बोझ का आकलन किया जाता है।
- ऋण स्थिरता: इसके अंतर्गत सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) वृद्धि की तुलना ब्याज भुगतान से की जाती है, जिसमें सकारात्मक अंतर राजकोषीय स्थिरता को दर्शाता है।
- व्यय की गुणवत्ता: इसमें दीर्घकालिक विकास (विकासात्मक) बनाम नियमित परिचालन (गैर-विकासात्मक) पर किये गए व्यय के अनुपात को मापा जाता है।
- उद्देश्य: राज्य स्तर पर सतत् आर्थिक विकास, राजकोषीय समेकन और बेहतर संसाधन प्रबंधन के लिये लक्षित सुधार तैयार करने में नीति निर्माताओं का मार्गदर्शन करना।
- राज्यों की राजकोषीय रणनीतियों को राष्ट्रीय आर्थिक उद्देश्यों के साथ संरेखित करते हुए उनके बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहित करना।
- FHI 2025 से संबंधित प्रमुख बिंदु:
- शीर्ष प्रदर्शनकर्त्ता: ओडिशा 67.8 के सर्वोच्च समग्र FHI स्कोर के साथ शीर्ष पर है, इसके बाद छत्तीसगढ़ (55.2), गोवा (53.6), झारखंड (51.6) और गुजरात (50.5) का स्थान है, जिनकी ऋण सूचकांक, राजस्व संग्रहण और राजकोषीय विवेकशीलता की स्थिति सुदृढ़ है।
- राजस्व संग्रहण: गोवा, तेलंगाना और ओडिशा राजस्व संग्रहण और राजकोषीय विवेकशीलता में अग्रणी हैं।
- ओडिशा, झारखंड, गोवा और छत्तीसगढ़ गैर-कर राजस्व के मामले में बेहतर हैं, जहाँ ओडिशा मुख्य रूप से खनन संबद्ध प्रीमियम पर निर्भर है, जबकि छत्तीसगढ़ को कोयला ब्लॉक नीलामी से लाभ प्राप्त होता है।
- पंजाब और पश्चिम बंगाल राजस्व जुटाने में पिछड़ रहे हैं, जिससे राजकोषीय प्रबंधन एवं आर्थिक लचीलेपन में असमानता पर प्रकाश पड़ता है।
- पंजाब, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और केरल जैसे आकांक्षी राज्यों को गंभीर राजकोषीय चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
- पंजाब और केरल ऋण स्थिरता और व्यय की गुणवत्ता के मामले में संघर्ष कर रहे हैं जबकि आंध्र प्रदेश, उच्च राजकोषीय घाटे से ग्रसित है।
- पूंजीगत व्यय: मध्य प्रदेश, ओडिशा, गोवा, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश ने पूंजीगत व्यय के लिये 27% का आवंटन किया है, जो दीर्घकालिक निवेश को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
- पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों ने इस क्षेत्र में केवल 10% ही आवंटित किये हैं, जिससे दीर्घकालिक विकास प्रभावित होता है।
- ऋण प्रबंधन: ओडिशा और गोवा जैसे शीर्ष राज्य प्रभावी रूप से ऋण का प्रबंधन करते हैं तथा चूक का जोखिम कम होता है, जबकि पश्चिम बंगाल और पंजाब जैसे निचले स्तर के राज्यों में ऋण का बोझ बढ़ता जा रहा है, जिससे ऋण स्थिरता के बारे में चिंताएँ बढ़ रही हैं।
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