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आवश्यक धार्मिक आचरण

  • 28 Jan 2025
  • 3 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

बॉम्बे उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि लाउडस्पीकर का उपयोग करना संविधान के अनुच्छेद 25 या अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत किसी आवश्यक धार्मिक आचरण का हिस्सा नही है।

  • आवश्यक धार्मिक आचरण (ERP): ERP से तात्पर्य किसी धर्म के सिद्धांत के अभिन्न अंग से है, जो अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षित है। न्यायपालिका धार्मिक सिद्धांतों के आधार पर ERP निर्धारित करती है।
    • संथारा (सल्लेखना): सर्वोच्च न्यायालय ने राजस्थान उच्च न्यायालय के वर्ष 2015 के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें कहा गया था कि संथारा धर्म के लिये आवश्यक नहीं है, तथा इस प्रथा को जारी रखने की अनुमति दे दी गई।
    • तीन तलाक मामला: सर्वोच्च न्यायालय ने तत्काल तीन तलाक को अमान्य करार दिया और कहा कि यह आवश्यक इस्लामी आचरण नहीं है तथा महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन है।
  • लाउडस्पीकर से संबंधित हाईकोर्ट का फैसला: डॉ. महेश विजय बेडेकर बनाम महाराष्ट्र मामले, 2016 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण नियमों को सख्ती से लागू करने का फैसला सुनाया। 
    • इसमें यह स्पष्ट किया गया कि धार्मिक उद्देश्यों के लिये लाउडस्पीकर आवश्यक नहीं हैं तथा कुछ धार्मिक या सांस्कृतिक गतिविधियों (वर्ष में 15 दिन) को छोड़कर, शांत क्षेत्रों में तथा रात्रि 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच इनके प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है।
  • शोर को "वायु प्रदूषक" माना जाता है और इसे वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत विनियमित किया जाता है ।
  • वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 शोर को नियंत्रित करता है, जिसे "वायु प्रदूषक" माना जाता है।
    • इसमें आवासीय क्षेत्रों में दिन के समय अधिकतम ध्वनि स्तर 55 डेसिबल तथा रात में 45 डेसिबल रखने का आदेश दिया गया है।

और पढ़ें: धार्मिक आचरणओं पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला

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