विरोध करना एक मौलिक अधिकार है: संयुक्त राष्ट्र
प्रीलिम्स के लिये:ICCPR, UNHRC, ICCPR का अनुच्छेद- 21, 19(1)(b) मेन्स के लिये:मानवाधिकार |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में 'संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार समिति' (UN Human Rights Committee- UNHRC) ने इस बात की पुष्टि की है कि शांतिपूर्ण ऑनलाइन या व्यक्तिगत रूप से विरोध करना मनुष्य का एक ‘मौलिक मानवीय अधिकार’ है।
प्रमुख बिंदु:
- UNHRC स्वतंत्र विशेषज्ञों वाला एक निकाय है जो 'नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय नियम' (The International Covenant on Civil and Political Rights - ICCPR) के कार्यान्वयन की निगरानी करता है।
- 18 सदस्यीय मानवाधिकार समिति ने ICCPR के अनुच्छेद- 21; जो शांतिपूर्ण तरीके से एकत्रित होने के अधिकार की गारंटी देता है, के संबंध में एक नवीनतम व्याख्या जारी की है।
ICCPR के अनुच्छेद- 21 की नवीनतम व्याख्या:
- शांतिपूर्ण एकत्रित होने का अधिकार एक मूल अधिकार:
- जश्न मनाने या असंतुष्टि प्रदर्शित करने के उद्देश्य से सार्वजनिक या निजी स्थानों पर, घर के अंदर या बाहर या फिर ऑनलाइन रूप से एकत्रित होना मानव का एक मौलिक अधिकार है।
- प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार:
- बच्चों, विदेशी नागरिकों, महिलाओं, प्रवासी श्रमिकों, शरण चाहने वालों (Asylum seekers) और शरणार्थियों सहित प्रत्येक व्यक्ति शांतिपूर्ण तरीके से एकत्रित होने के अधिकार का उपयोग कर सकता है।
- शारीरिक सुरक्षा का अधिकार:
- प्रदर्शनकारियों को अपना चेहरा ढँकने के लिये मास्क या हुड पहनने का अधिकार है।
- डिजिटल अधिकार:
- शांतिपूर्ण तरीके से एकत्रित होने के अधिकार का विस्तार 'डिजिटल गतिविधियों' पर भी होगा।
- सरकारों को प्रदर्शनकारियों को डराने के लिये उनके व्यक्तिगत डेटा को एकत्रित नहीं करना चाहिये।
- अनुच्छेद-21 के तहत सरकारों को निर्देश:
- सरकारें सार्वजनिक व्यवस्था या सार्वजनिक सुरक्षा या संभावित हिंसा के अनिर्दिष्ट जोखिम के किसी सामान्यीकृत संदर्भ को आधार बनाकर विरोध प्रदर्शन को रोक नहीं सकती है।
- सरकारें प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिये इंटरनेट नेटवर्क को ब्लॉक नहीं कर सकती हैं।
- शांतिपूर्ण रूप से एकत्रित होने के आयोजन में किसी वेबसाइट की भूमिका होने के आधार पर सरकारें इन वेबसाइटों को बंद नहीं कर सकती हैं।
नवीनतम व्याख्या का महत्त्व:
- एक लंबे समय से इस मुद्दे पर बहस चल रही थी कि क्या शांतिपूर्ण रूप से एकत्रित होने के अधिकार का विस्तार ऑनलाइन गतिविधियों तक भी है अथवा नहीं। नवीनतम व्याख्या ने इसमें स्पष्टता लाकर इस बहस को समाप्त कर दिया है।
- दुनिया भर के राष्ट्रीय न्यायालयों में मौलिक अधिकारों की व्याख्या में नवीनतम व्याख्या महत्त्वपूर्ण मार्गदर्शन की भूमिका निभाएगी।
भारतीय संवैधानिक प्रावधान:
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(1)(a) सभी नागरिकों को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है।
- अनुच्छेद 19(1)(b) में सभी नागरिकों को बिना हथियार के शांतिपूर्ण रूप से एकत्रित होने का मौलिक अधिकार प्रदान है।
- इस प्रकार विरोध के अधिकार को संविधान के तहत एक मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- संविधान के अनुच्छेद- 19(1)(a) और 19(1)(b) के तहत पूर्वोक्त अधिकार अपने दायरे में अछूता और असीमित नहीं हैं तथा इन पर भी युक्तियुक्त निर्बंधन लगाए गए हैं।
- राज्य दो आधारों पर एकत्रित होने के अधिकार पर उचित प्रतिबंध लगा सकता है:
- भारत की संप्रभुता और अखंडता
- संबंधित क्षेत्र में यातायात के रखरखाव सहित सार्वजनिक व्यवस्था।
नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय नियम (ICCPR):
- ICCPR नागरिक और राजनीतिक अधिकारों की सुरक्षा प्रदान करने वाली एक प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संधि है।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव 2200A (XXI) द्वारा इसे 16 दिसंबर, 1966 को हस्ताक्षर, अनुसमर्थन और परिग्रहण के लिये प्रस्तुत किया गया। 23 मार्च, 1976 को यह संधि प्रभावी हुई।
- भारत सहित कुल 173 देशों ने इस संधि के नियमों की अभिपुष्टि की है।
- नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय नियम (ICCPR), 'मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा' (Universal Declaration of Human Rights) और 'आर्थिक सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय नियम (International Covenant on Economic Social and Cultural Rights) को संयुक्त रूप में ‘अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार विधेयक’ (International Bill of Human Rights) के रूप में माना जाता है।
- ICCPR के तहत कुछ महत्त्वपूर्ण अधिकार:
- अनुच्छेद-7 यातना, क्रूरता या अपमानजनक उपचार से स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है।
- अनुच्छेद-9 व्यक्ति की सुरक्षा का अधिकार प्रदान करता है।
- अनुच्छेद-18 के तहत सभी को धर्म अपनाने का अधिकार है।
- अनुच्छेद-24 प्रत्येक बच्चे को विशेष सुरक्षा का अधिकार प्रदान करता है।
- अनुच्छेद-26 सभी व्यक्तियों के लिये ‘कानून के समान संरक्षण का अधिकार’ Equal Protection of the Law- EPL) प्रदान करता है।
- ICCPR, संधि के तहत अपनाए गए अधिकारों की रक्षा के लिये सरकारों को प्रशासनिक, न्यायिक और विधायी उपाय करने के लिये विवश करती है।