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कालाज़ार का उन्मूलन

  • 23 Oct 2024
  • 2 min read

स्रोत: द हिंदू

भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) प्रमाणन मानदंडों को पूरा करते हुए, लोक स्वास्थ्य समस्या के रूप में कालाज़ार के उन्मूलन के काफी करीब है। 

  • कालाज़ार को समाप्त करने के क्रम में विश्व स्वास्थ्य संगठन से प्रमाणन प्राप्त करने के लिये, किसी देश को लगातार तीन वर्षों तक उप-ज़िला स्तर पर प्रति 10,000 जनसंख्या पर एक से भी कम मामले का स्तर बनाए रखना होता है।
    • किसी देश को यह प्रदर्शित करना होता है कि स्थानीय संचरण एक निश्चित अवधि के लिये रुक गया है तथा रोग के पुनः उभरने को रोकने की प्रणाली मौजूद है। 
  • भारत ने लगातार दो वर्षों तक यह उपलब्धि हासिल की है तथा प्रमाणन के लिये अर्हता प्राप्त करने हेतु उसे एक और वर्ष तक इस स्तर को बनाए रखना होगा।
    • इसके साथ ही भारत, बांग्लादेश के बाद कालाज़ार को खत्म करने वाला विश्व का दूसरा देश बन सकता है।
  • भारत में मलेरिया के बाद कालाज़ार दूसरा सबसे घातक परजीवी रोग है।
  • कालाज़ार (विसरल लीशमैनियासिस या काला बुखार) एक प्रोटोजोआ परजीवी (लीशमैनिया डोनोवानी) के कारण होता है जो संक्रमित मादा सैंडफ्लाई के काटने से फैलता है। 
    • यदि इसका उपचार न किया जाए तो 95% से अधिक मामलों में यह घातक हो सकता है।
  • भारत ने वर्ष 2020 तक कालाज़ार को खत्म करने का लक्ष्य रखा जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग रोडमैप के तहत वर्ष 2030 तक इसके वैश्विक उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। 

और पढ़ें: उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों पर वैश्विक रिपोर्ट

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