दियोदर उल्कापिंड | 14 Feb 2023
भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL), अहमदाबाद के वैज्ञानिक दावा कर रहे हैं कि 17 अगस्त, 2022 को गुजरात के बनासकांठा में दो गाँवों में दुर्घटनाग्रस्त हुए उल्कापिंड की पहचान ऑब्राइट के रूप में की गई है।
- ऑब्राइट की खनिज संरचना को निर्धारित करने के लिये PRL समूह ने गामा-रे स्पेक्ट्रोमीटर का इस्तेमाल किया। समूह ने उल्कापिंड को मोनोमिक्ट ब्रैकिया के रूप में भी वर्गीकृत किया।
ऑब्राइट से संबंधित प्रमुख बिंदु:
- ऑब्राइट एक मोटे दाने वाली आग्नेय चट्टान है जो ऑक्सीजन की खराब परिस्थितियों में निर्मित होती है और इसमें ऐसे विदेशी खनिज होते हैं जो पृथ्वी पर नहीं पाए जाते हैं।
- उदाहरण के लिये खनिज हेइडाइट को पहली बार बस्ती उल्कापिंड में वर्णित किया गया था।
- भारत में सैकड़ों उल्कापिंड दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं, लेकिन यह किसी ऑब्राइट की केवल दूसरी रिकॉर्ड की गई दुर्घटना है। दियोदर उल्कापिंड का नाम उस तालुका के नाम पर रखा गया था जहाँ ये गाँव स्थित हैं।
- इससे पहले ऑब्राइट की आखिरी दुर्घटना 2 दिसंबर, 1852 को बस्ती, उत्तर प्रदेश में हुई थी।
- उल्कापिंड का लगभग 90% हिस्सा ऑर्थोपायरॉक्सिन से बना था। पाइरोक्सीन ऐसे सिलिकेट होते हैं जिनमें सिलिका टेट्राहेड्रा (SiO4) की एकल शृंखला होती है; ऑर्थोपायरोक्सीन एक निश्चित संरचना वाले पाइरॉक्सीन हैं।
- डायोपसाइड और जेडाइट जैसे पाइरोक्सीन का उपयोग रत्नों के रूप में किया गया है। स्पोडुमेन का इस्तेमाल ऐतिहासिक रूप से लिथियम अयस्क के रूप में किया गया था। पाइरॉक्सिन युक्त चट्टानों का उपयोग सीमेंट/बजरी (Crushed Stone) के निर्माण में भी किया जाता है जिनका उपयोग निर्माण कार्यों में किया जाता है।
- ऑब्राइट्स वर्ष 1836 से विश्व भर में कम-से-कम 12 स्थानों पर दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं, इसमें अफ्रीका में 3 और संयुक्त राष्ट्र में 6 दुर्घटनाएँ शामिल हैं।
उल्कापिंड:
- परिचय:
- एक उल्कापिंड अंतरिक्ष के मलबे का एक ठोस टुकड़ा है जो पृथ्वी के वायुमंडल को पार कर पृथ्वी की सतह पर आ गिरता है।
- उल्का (Meteor), उल्कापिंड (Meteorite) और क्षुद्रग्रह (Meteoroid) के बीच अंतर:
- उल्का, उल्कापिंड और क्षुद्रग्रह के बीच अंतर का प्रमुख कारक उनकी दूरी अथवा उनकी अवस्थिति है।
- उल्कापिंड अंतरिक्ष में ऐसी वस्तुएँँ हैं जो आकार में धूलकणों से लेकर छोटे क्षुद्रग्रहों तक हो सकती हैं।
- लेकिन यदि कोई क्षुद्रग्रह पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर ज़मीन से टकराए तो उसे उल्कापिंड कहते हैं।
गामा किरण स्पेक्ट्रोमीटर:
- गामा किरण स्पेक्ट्रोमीटर वैज्ञानिक उपकरण है जिसका उपयोग रेडियोधर्मी पदार्थों द्वारा उत्सर्जित गामा किरणों के ऊर्जा वितरण को मापने के लिये किया जाता है।
- यह डेटा का विश्लेषण करने के लिये एक डिटेक्टर, इलेक्ट्रॉनिक्स और सॉफ्टवेयर से मिलकर बना होता है।
- परिणामस्वरूप गामा किरण स्पेक्ट्रम का उपयोग मौजूद रेडियोधर्मी समस्थानिकों और उनके सापेक्ष बहुतायत की पहचान करने के लिये किया जा सकता है।
- गामा किरण स्पेक्ट्रोमीटर का उपयोग पर्यावरण निगरानी, भूविज्ञान और परमाणु भौतिकी सहित विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों में किया जाता है।
- इसका उपयोग प्राकृतिक स्रोतों जैसे कि चट्टानों और मिट्टी, साथ ही मानवजनित स्रोतों जैसे- परमाणु ऊर्जा संयंत्रों एवं चिकित्सा सुविधाओं द्वारा उत्सर्जित विकिरण का पता लगाने तथा मापन के लिये किया जा सकता है।