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प्रागैतिहासिक शुतुरमुर्ग घोंसले की खोज

  • 10 Jul 2024
  • 2 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

हाल ही में पुरातत्त्वविदों द्वारा आंध्र प्रदेश के प्रकाशम में शुतुरमुर्ग के 41,000 वर्ष पुराने घोसले की खोज की गई।

  • इससे भारत में महाप्राणी या मेगाफौना (50 किलोग्राम से अधिक वज़न वाले जानवर) की विलुप्ति के विषय में महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है। 
  • भारत में शुतुरमुर्गों के प्रारंभिक साक्ष्य:
    • शुतुरमुर्ग के जीवाश्म पहली बार वर्ष 1884 में पाकिस्तान के ऊपरी शिवालिक पहाड़ियों में स्थित ढोक पठान निक्षेपों में पाए गए थे।
      • हिमालय में शुतुरमुर्ग के जीवाश्मों की खोज से पता चलता है कि अतीत में यह क्षेत्र कमज़ोर भारतीय मानसून के कारण शुष्क तथा ठंडा था, जबकि अत्यंतनूतन युग (Pleistocene Epoch) के दौरान प्रायद्वीपीय भारत में ऐसा नहीं था।
    • इसके बाद वर्ष 1989 में महाराष्ट्र के पाटन (भारत के महाराष्ट्र के उत्तरी भाग में स्थित जलगाँव ज़िले का एक गाँव है) में बड़ी संख्या में उच्च पुरापाषाण स्थल पर 50,000-40,000 वर्ष पूर्व के शुतुरमुर्ग के अंडे के छिलके उत्कीर्णन के साथ पाए गए।
    • वर्ष 2017 में साक्ष्यों से पता चला कि शुतुरमुर्ग 25,000 वर्ष पहले राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात में मौजूद थे।
  • शुतुरमुर्ग (Struthio Camelus):
    • IUCN स्थिति: कम चिंतनीय (Least Concern- LC)
    • सबसे बड़े जीवित पक्षी: 2-2.8 मीटर लंबे, वज़न 90-160 किलोग्राम।
    • उड़ने में असमर्थ पक्षी, 43 मील प्रति घंटे तक की गति वाले असाधारण धावक।
    • अफ्रीकी सवाना और रेगिस्तान (सोमालिया, इथियोपिया, केन्या, दक्षिण अफ्रीका) के स्थानिक। 
    • ये छोटे झुंड में रहते हैं (एक दर्ज़न से भी कम), जिनका नेतृत्व नर करते हैं जो मुख्य रूप से अग्रणी मादा के साथ जनन करते हैं।

अधिक पढ़ें: डिकिंसोनिया जीवाश्म

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