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कोलकाता की ट्राम सेवा बंद

  • 04 Oct 2024
  • 4 min read

स्रोत: इंडिया टुडे 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पश्चिम बंगाल सरकार ने 151 वर्षों के बाद कोलकाता की ट्राम सेवा को बंद करने का निर्णय लिया है।

  • मैदान से एस्प्लेनेड तक का एक छोटा सा हिस्सा, ट्राम प्रेमियों के लिए विरासत के रूप में रखा जाएगा।

कोलकाता की ट्राम सेवा के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • परिचय: ट्राम एक शहरी रेल परिवहन प्रणाली है जिसमें रेलकारें होती हैं जिनसे लोगों को परिवहन की सुविधा प्रदान की जाती है और यह सड़क पर धातु की पटरियों पर चलती हैं। 
    • कोलकाता में शुरू में यह मीटर गेज पर चलती थी लेकिन वर्ष 1902 के बाद पटरियों को मानक गेज में परिवर्तित कर दिया गया।
  • कोलकाता में ट्राम की शुरुआत: कोलकाता में पहली घोड़ा-चालित ट्राम 24 फरवरी 1873 को शुरू की गई, जो सियालदह और अर्मेनियाई घाट के बीच 3.9 किलोमीटर की दूरी तय करती थी।
  • विद्युतीकरण और विस्तार: 27 मार्च 1902 को कोलकाता में एस्प्लेनेड से किडरपोर तक पहली विद्युत ट्रामकार शुरू की गई।
    • यह एशिया की पहली इलेक्ट्रिक ट्राम सेवा भी थी।
    • वर्ष 1946 में ट्राम, हावड़ा ब्रिज पार करने वाला पहला वाहन था। 
    • 20 वीं सदी के प्रारंभ तक ट्राम मार्गों से शहर बड़े पैमाने पर जुड़ गए थे।
  • 1970 के दशक से गिरावट: कोलकाता की संकरी गलियों में कारों और बसों की संख्या बढ़ने से ट्रामों की आवाजाही मुश्किल हो गई और यातायात जाम की समस्या भी बढ़ गई। 
  • सांस्कृतिक प्रतीकवाद: इसे सत्यजीत रे की वर्ष 1964 की फिल्म 'महानगर' और अपुर संसार जैसी अन्य फिल्मों में दर्शाया गया है, जो कोलकाता की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को दर्शाती हैं।
  • मान्यता: वर्ष 2020 में कोलकाता में भारत की पहली इलेक्ट्रिक ट्राम लाइब्रेरी शुरू की गई।
    • वर्ष 2023 में कोलकाता में ट्राम सेवाओं की 150वीं वर्षगांठ का जश्न "ट्रामजात्रा 2023" नामक एक सप्ताह लंबे कार्यक्रम के साथ मनाया गया।
  • अन्य भारतीय शहरों में ट्राम: ट्राम की शुरुआत बम्बई में वर्ष 1874 में, मद्रास में वर्ष 1895 में, दिल्ली में वर्ष 1904 में, कानपुर में वर्ष 1914 में तथा पूना में 20 वीं सदी के प्रारंभ में हुई।
    • वर्ष 1933 और 1964 के बीच कोलकाता को छोड़कर सभी भारतीय शहरों में इन्हें बंद कर दिया गया।
  • वैश्विक शहरों में ट्राम: मेलबर्न, लिस्बन, सैन फ्रांसिस्को, एम्स्टर्डम, ज्यूरिख और बर्लिन में ट्राम सेवा अच्छी तरह से संचालित हो रही है। 
    • मेलबोर्न में दुनिया का सबसे पुराना ट्रामवे संचालित है, जिसकी शुरुआत वर्ष 1885 में हुई थी।

ट्राम केवल कोलकाता में ही इतने लंबे समय तक क्यों चली?

  • संकरी गलियाँ: शहर की संकरी गलियाँ और पुरानी स्थापत्य संरचनाओं के कारण सड़क नेटवर्क का विस्तार सीमित हो गया, जिससे ट्राम एक व्यावहारिक विकल्प बन गया।
  • कारें कम होना: अन्य महानगरीय शहरों की तुलना में कोलकाता में कार कम होने से ट्राम जैसे किफायती सार्वजनिक परिवहन की मांग बनी रही।
  • किराया कम होना: ट्राम की सस्ती कीमत से भी इनकी धारणीयता में योगदान मिला।

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