प्रत्यक्ष बीजारोपण विधि | 02 Jun 2023

चावल की खेती करने वाले प्रमुख राज्यों में देर से बारिश और मज़दूरों की कमी से निपटने हेतु किसान प्रत्यक्ष बीजारोपण विधि को अपना रहे हैं।

प्रत्यक्ष बीजारोपण विधि (Direct-Seeding Method):

  • परिचय: 
    • डायरेक्ट सीडेड राइस (DSR), जिसे 'ब्रॉडकास्टिंग सीड तकनीक' के रूप में भी जाना जाता है, धान बीजारोपण की एक जल बचत विधि है।
    • इस विधि में बीजों का प्रत्यक्ष रूप से खेतों में बीजारोपण किया जाता है, जिससे नर्सरी तैयार करने एवं रोपाई की आवश्यकता नहीं होती है।
  • लाभ:
    • श्रम में कमी:  
      • ड्रम सीडर के उपयोग से एक एकड़ में बीजारोपण हेतु केवल दो मज़दूरों की आवश्यकता होती है, जबकि पारंपरिक तरीकों में 25-30 मज़दूरों की आवश्यकता होती है।
        • इससे श्रम लागत में काफी कमी आती है, साथ ही किसानों पर बोझ कम होता है।
    • समय और संसाधन की बचत:
      • नर्सरी की आवश्यकता को समाप्त करके किसान फसल चक्र में लगभग 30 दिन की बचत कर सकते हैं।
        • इससे उन्हें रबी सीज़न जल्दी शुरू करने और कटाई के दौरान बेमौसम बारिश से बचने में मदद मिलती है।
    • जल संरक्षण:
      • प्रत्यक्ष बीजारोपण विधि जल की आवश्यकता को लगभग 15% कम कर देती है क्योंकि जल जमाव एक महीने के बाद ही होने लगता है। यह उन क्षेत्रों में विशेष रूप से लाभकारी है जहाँ वर्षा में देरी होती है।
    • उपज में वृद्धि:
      • अनुसंधान परीक्षणों और किसानों के क्षेत्र सर्वेक्षण के परिणामों के अनुसार,  इस तकनीक से धानरोपण की पारंपरिक विधि (जलमग्न खेतों में पहले बीज तैयार करना फिर उनका रोपण अन्य स्थान पर करना) की तुलना में प्रति एकड़ एक से दो क्विंटल अधिक पैदावार हो रही है।
  • चुनौतियाँ
    • खरपतवार में वृद्धि:  
      • खरपतवारों की वृद्धि एक चुनौती बन जाती है क्योंकि बीजों को सीधे खेतों में बोया जाता है।
    • चरम जलवायु:  
      • उच्च तापमान और कम वर्षा बीज के अंकुरण और फसल की वृद्धि को प्रभावित कर सकती है।
    • परिचालन संबंधी चुनौतियाँ:  
      • सूखी या बंद नहरें, अनियमित विद्युत आपूर्ति, खरपतवार नियंत्रण तथा कीट प्रबंधन जैसे मुद्दे परिचालन में चुनौती उत्पन्न करते हैं।
  • सफल कार्यान्वयन: 
    • प्रत्यक्ष बीजारोपण विधि ने पंजाब, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश सहित विभिन्न क्षेत्रों में लोकप्रियता प्राप्त की है। 
    • केवल आंध्र प्रदेश में एक NGO ने लगभग 4,000 हेक्टेयर में इस पद्धति को लागू किया है जिसके परिणामस्वरूप सार्थक लागत बचत हुई है। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. कृषि में शून्य-जुताई (Zero-Tillage) का/के क्या लाभ है/हैं? (2020)

  1. पिछली फसल के अवशेषाें को जलाए बिना गेहूँ की बुवाई संभव है। 
  2. चावल की नई पौध की नर्सरी बनाए बिना धान के बीजाें का नम मृदा में सीधे रोपण संभव है। 
  3. मृदा में कार्बन पृथक्करण संभव है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3 
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)

व्याख्या: 

  • शून्य जुताई (ज़ीरो टिलेज) वह प्रक्रिया है जहाँ बीज को बिना पूर्व तैयारी और बिना मिट्टी तैयार किये तथा जहांँ पिछली फसल के अवशेष मौजूद होते हैं, वहाँ ड्रिलर्स के माध्यम से बोया जाता है। एक अध्ययन के अनुसार, यदि किसान अपने फसल अवशेषों को जलाना बंद कर दें तथा इसके बजाय शून्य जुताई खेती की अवधारणा को अपनाएंँ तो उत्तर भारत में किसान न केवल वायु प्रदूषण को कम करने में मदद कर सकते हैं, बल्कि अपनी मृदा की उत्पादकता में भी सुधार कर सकते हैं और अधिक लाभ कमा सकते हैं। ज़ीरो टिलेज के तहत बिना जुताई वाली मिट्टी में गेहूंँ की सीधी बुवाई तथा चावल के अवशेषों को छोड़ देना बहुत फायदेमंद साबित हुआ है। इसने जल, श्रम व कृषि रसायनों के उपयोग में कमी, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी एवं मृदा स्वास्थ्य व फसल की उपज में सुधार किया, इस तरह किसानों तथा समाज दोनों को बड़े पैमाने पर लाभ हुआ। अत: कथन 1 सही है।
  • धान का प्रत्यक्ष बीजारोपण (DSR) जिसे 'बीज बिखेरना तकनीक (Broadcasting Seed Technique)' के रूप में भी जाना जाता है, धान की बुवाई की एक जल बचत विधि है। इस विधि में बीजों को सीधे खेतों में ड्रिल किया जाता है। नर्सरी से जलभराव वाले खेतों में धान की रोपाई की पारंपरिक जल-गहन विधि के विपरीत यह विधि भूजल की बचत करती है। इस पद्धति में कोई नर्सरी तैयारी शामिल नहीं है। 
  • किसानों को केवल अपनी ज़मीन को समतल करना होता है और बुवाई से पहले सिंचाई करनी होती है। यह पाया गया है कि 1 किलो धान के उत्पादन के लिये 5000 लीटर तक पानी का उपयोग किया जाता है। हालांँकि पानी की बढ़ती कमी की स्थिति में न्यूनतम या शून्य जुताई के साथ DSR श्रम की बचत कर इस तकनीक के लाभों को और बढ़ाया जा सकता है। अत: कथन 2 सही है।
  • बिना जुताई वाली मृदा, जुताई वाली मृदा से आंशिक रूप में ठंडी होती है क्योंकि पौधे के अवशेषों की एक परत सतह पर मौज़ूद होती है। मिट्टी में कार्बन जमा हो जाता है तथा इसकी गुणवत्ता में वृद्धि होती है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग का खतरा कम होता है। अत: कथन 3 सही है। 

अतः विकल्प (d) सही है।

स्रोत: बिज़नेसलाइन