डायर वुल्फ | 09 Apr 2025

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

अमेरिका-स्थित बायो-टेक्नोलॉजी कंपनी (कोलोसल बायोसाइंसेज) ने दावा किया है कि उसने आनुवंशिक रूप से ऐसे भेड़िये के शावकों (रोमुलस, रेमुस और खलीसी) को तैयार किया है, जिनमें लंबे समय से विलुप्त हो चुके डायर वुल्फ (एनोसायन डायरस) के गुण मौज़ूद हैं।

आनुवंशिक रूप से तैयार किये गए भेड़िये के शावक:

  • वैज्ञानिकों ने 13,000 से 72,000 वर्ष पुराने डायर वुल्फ जीवाश्मों से प्राप्त प्राचीन DNA का उपयोग कर सफेद कोट और मोटे फर जैसे गुणों की पहचान की। 
  • डायर वुल्फ के जीनोम की तुलना आधुनिक कैनिडाए (जैसे भेड़िये, सियार, लोमड़ी) से करने पर उन्हें ग्रे वुल्फ के साथ 99.5% DNA समानता मिली।
  • CRISPR तकनीक का उपयोग करते हुए उन्होंने ग्रे वुल्फ की कोशिकाओं में 20 जीन स्थलों को संपादित किया, इन्हें पालतू कुत्तों की अंडाणु कोशिकाओं से मिलाया और भ्रूणों को कुत्तों के गर्भाशयों में प्रत्यारोपित किया।
    • 8 प्रत्यारोपणों में से 3 आनुवंशिक रूप से परिवर्तित शावकों का जन्म 62 दिन की गर्भावस्था के बाद हुआ।
  • विलुप्त हो चुके ग्रे वुल्फ से भिन्नता:
    • जीन-संपादित शावक विलुप्त डायर वुल्फ के सटीक आनुवंशिक प्रतिरूप नहीं हैं। ग्रे वुल्फ से 99.5% DNA समानता होने के बावज़ूद, लाखों बेस पेयर में अंतर मौज़ूद हैं।
    • इस प्रयोग ने पुनःनिर्मित जानवरों को डायर वुल्फ के रूप में वर्गीकृत किया है, जो मॉरफोलॉजिकल स्पीशीज़ कॉन्सेप्ट (morphological species concept) पर आधारित है, जो कि सटीक आनुवंशिक या विकासवादी वंशावली पर नहीं, बल्कि शारीरिक समानता पर आधारित था

डायर वुल्फ 

  • ये विशाल प्रागैतिहासिक कुत्तेनुमा जीव थे, जो लगभग 13,000 वर्ष पहले विलुप्त हो गये थे।
  • दक्षिणी कनाडा और अमेरिका के मूल निवासी ये जानवर आधुनिक ग्रे वुल्फ से बड़े होते थे,  इनकी ऊँचाई लगभग 3.5 फीट, लंबाई 6 फीट से अधिक और वज़न लगभग 68 किलोग्राम तक होता था, और संभवतः इनका कोट सफेद रंग का होता था।
  • ये बाइसन और घोड़ों जैसे बड़े जानवरों का शिकार करते थे, ऐसा माना जाता है कि इनके विलुप्त होने का कारण शिकार की कमी और मानवीय हस्तक्षेप था।

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