डिजिटल प्लेटफाॅर्म ‘फास्टर’ (FASTER | 01 Apr 2022
हाल ही में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘FASTER’ (फास्ट एंड सिक्योर ट्रांसमिशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स) लॉन्च किया है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायिक प्रणाली में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित पोर्टल 'SUPACE' जैसी तकनीक से जुड़े अन्य कार्यक्रम भी शुरू किये हैं, जिसका उद्देश्य न्यायाधीशों को कानूनी अनुसंधान में सहायता करना है।
- ‘eCourts’ मिशन मोड प्रोजेक्ट एक अखिल भारतीय परियोजना है, जिसकी निगरानी और वित्तपोषण न्याय विभाग, कानून एवं न्याय मंत्रालय द्वारा देश भर के ज़िला न्यायालयों के लिये किया जाता है।
- परियोजना का उद्देश्य न्यायालयों की ICT सक्षमता के माध्यम से वादी, वकील और न्यायपालिका को नामित सेवाएँ प्रदान करना है।
डिजिटल प्लेटफाॅर्म ‘फास्टर’ (FASTER) के विषय में:
- परिचय:
- यह सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक संचार चैनल के माध्यम से संबंधित अधिकारियों को सर्वोच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश, स्थगन आदेश, जमानत आदेश आदि को संप्रेषित करने के लिये एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है।
- आवश्यकता:
- ऐसे मामले सामने आए हैं, जहाँ जेल के कैदियों को ऐसे आदेशों के संचार में देरी के कारण सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित ज़मानत आदेशों के बावजूद रिहा नहीं किया गया है।
- अतः न्यायालय के आदेशों के कुशल प्रसारण के लिये सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी उपकरणों का उपयोग करने की आवश्यकता थी।
- महत्त्व:
- विचाराधीन कैदियों की समय पर रिहाई सुनिश्चित करना:
- यह सुनिश्चित करता है कि विचाराधीन कैदियों को जेल से रिहा होने के लिये कई दिनों तक इंतज़ार न करना पड़े क्योंकि उनके जमानत आदेशों की प्रमाणित हार्ड कॉपी को जेल तक पहुँचने में बहुत समय लगता है।
- विचाराधीन कैदी का तात्पर्य ऐसे लोगों से है जिन्हें अब तक उन अपराधों के लिये दोषी नहीं पाया गया है, जिसका आरोप उन पर लगा है।
- यह सुनिश्चित करता है कि विचाराधीन कैदियों को जेल से रिहा होने के लिये कई दिनों तक इंतज़ार न करना पड़े क्योंकि उनके जमानत आदेशों की प्रमाणित हार्ड कॉपी को जेल तक पहुँचने में बहुत समय लगता है।
- अनावश्यक गिरफ्तारियों पर अंकुश:
- इससे लोगों को अनावश्यक रूप से गिरफ्तार करने या हिरासत में लेने पर रोक लगाने में मदद मिलेगी, भले ही उन्हें न्यायालय द्वारा पहले से ही सुरक्षा प्रदान की गई हो।
- कैदियों के मौलिक अधिकार सुनिश्चित करना:
- यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत कैदियों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता, जीवन के अधिकार और गरिमापूर्ण जीवन के मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करेगा।
- विचाराधीन कैदियों की समय पर रिहाई सुनिश्चित करना:
- चुनौतियाँ:
- देश भर की जेलों में इंटरनेट कनेक्शन की उपलब्धता के बिना जेलों में ऐसे आदेशों का पारेषण संभव नहीं होगा।