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रैपिड फायर

वायरस का पता लगाने के लिये विवर्तन-आधारित उपकरण

  • 04 Jun 2024
  • 3 min read

स्रोत: द हिंदू

शोधकर्त्ताओं ने संक्रमित कोशिकाओं की पहचान करने की एक विधि विकसित की है, जिसके अंतर्गत यह देखा जा सकता है कि वे प्रकाश को किस प्रकार विकृत करती हैं।

  • उन्होंने एक प्रगतिशील संक्रमण (Progressing Infection) की नकल करने के लिये समय के साथ इन विकृतियों को ट्रैक किया और वायरस-संक्रमित कोशिकाओं के लिये एक अद्वितीय 'फिंगरप्रिंट' की पहचान करते हुए उनकी तुलना स्वस्थ कोशिकाओं से की।
  • शोधकर्त्ताओं ने सुअर की वृषण कोशिकाओं को स्यूडोरेबीज़ वायरस से संक्रमित किया, उन्होंने कोशिकाओं के माध्यम से प्रकाश डाला ताकि कंट्रास्ट और बनावट के आधार पर विशिष्ट विवर्तन पैटर्न का अवलोकन किया जा सके।
    • विवर्तन संकीर्ण द्वारों या वस्तुओं के आसपास से गुज़रने के बाद फैलने वाली प्रकाश तरंगों को संदर्भित करता है, जिससे प्रकाश और काली धारियों (Dark Stripes) के पैटर्न बनते हैं।
  • प्रकाश-आधारित तकनीक लगभग दो घंटे में संक्रमण का पता लगा लेती है, जो कि पारंपरिक 40 घंटे की रासायनिक अभिकर्मक विधियों के लिये आवश्यक लागत का दसवाँ हिस्सा है तथा अभिकर्मक-संबंधी देरी और आपूर्ति शृंखला संबंधी समस्याओं से बचाती है।
  • प्रकाश-आधारित पहचान विधि की कम लागत और उपयोग में आसानी, इसे पशुधन एवं पालतू जानवरों में वायरल संक्रमण की प्रारंभिक पहचान करने, प्रजनन में सहायता, प्रकोप के दौरान आर्थिक नुकसान को रोकने तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization’s- WHO) की त्वरित प्रतिक्रिया सिफारिशों का समर्थन करने के लिये विशेष रूप से संसाधन-सीमित देशों हेतु आदर्श बनाती है।
  • इससे पहले शोधकर्त्ताओं ने स्फेरिक्स डिवाइस xSight का उपयोग करके एक अत्यधिक सटीक  होलोग्राफिक इमेजिंग विधि बनाई थी, जो 30 मिनट से भी कम समय में एंटीबॉडी और वायरस की पहचान करने के लिये लेज़र किरणों का उपयोग करती है।

Diffraction-Based_Tool_to_Detect_Virus

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