देवास- इसरो की एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन डील | 08 Nov 2023
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में नीदरलैंड के हेग स्थित डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने देवास मल्टीमीडिया (मल्टीमीडिया कंपनी) के विदेशी निवेशकों को दिये जाने वाले 111 मिलियन अमेरिकी डॉलर के मुआवज़े के निर्णय को रद्द करने के भारत के अनुरोध को खारिज़ कर दिया।
- इस मुआवज़े के भुगतान का निर्णय संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कानून आयोग (United Nations Commission on International Trade Law- UNCITRAL) न्यायाधिकरण द्वारा दिया गया था क्योंकि इसरो के एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन और देवास मल्टीमीडिया के बीच वर्ष 2005 में की एक सैटेलाइट डील को वर्ष 2011 में रद्द कर दिया गया था।
- नीदरलैंड के न्यायालय ने इस डील को अनुचित तरीके से समाप्त करने के लिये भारत सरकार को उत्तरदायी ठहराया तथा अपने निर्णय को बदलने से इनकार कर दिया।
क्या है देवास-एंट्रिक्स डील का मामला?
- देवास-इसरो सैटेलाइट डील (2005):
- वर्ष 2005 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की वाणिज्यिक शाखा, एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन ने बेंगलुरु स्टार्ट-अप देवास मल्टीमीडिया के साथ एक सैटेलाइट डील की थी।
- इस डील में डिजिटल मल्टीमीडिया सेवाएँ प्रदान करने के लिये इसरो उपग्रहों, GSAT-6 और GSAT-6A हेतु S-बैड को 12 वर्षों तक लीज़ पर देना शामिल था।
- वर्ष 2005 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की वाणिज्यिक शाखा, एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन ने बेंगलुरु स्टार्ट-अप देवास मल्टीमीडिया के साथ एक सैटेलाइट डील की थी।
नोट:
- S-बैंड, विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के माइक्रोवेव बैंड के एक भाग के लिये एक पदनाम है।
- S-बैंड का उपयोग सैटेलाइट संचार, रडार, महत्त्वपूर्ण वास्तविक समय डेटा को पहुँचाने तथा वर्षा व अन्य पर्यावरणीय हस्तक्षेपों के कारण दृश्यता में उत्पन्न अवरोधों को कम करने के लिये किया जाता है।
- S-बैंड का उपयोग शिपिंग, विमानन एवं अंतरिक्ष उद्योगों द्वारा किया जाता है। S-बैंड स्पेक्ट्रम मोबाइल ब्रॉडबैंड सेवाओं के लिये भी अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है।
- GSAT-6 तथा GSAT-6A उच्च-शक्ति वाले S-बैंड संचार उपग्रह हैं।
- सैटेलाइट डील रद्द :
- वर्ष 2011 में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों के संदर्भ में इस सौदे को अचानक रद्द कर दिया गया।
- यह फैसला 2G घोटाले और देवास डील में करीब दो लाख करोड़ रुपए के मूल्य के संचार स्पेक्ट्रम को मामूली कीमत पर सौंपने के आरोपों के बीच लिपरिसमापन या गया।
- वर्ष 2011 में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों के संदर्भ में इस सौदे को अचानक रद्द कर दिया गया।
- कानूनी लड़ाई और मुआवज़ा:
- देवास मल्टीमीडिया के विदेशी निवेशकों ने अंतर्राष्ट्रीय अधिकरणों के माध्यम से मुआवज़े की मांग की।
- वर्ष 2015 में, इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स (International Chamber of Commerce- ICC) आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल ने देवास मल्टीमीडिया को 1.2 अरब डॉलर का मुआवज़ा दिया था।
- डॉयचे टेलीकॉम को जिनेवा में स्थायी मध्यस्थता न्यायालय से 101 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्राप्त हुए।
- वर्ष 2020 में मॉरीशस स्थित तीन निवेशकों को UNCITRAL द्वारा 111 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रदान किये गए।
- वर्ष 2015 में, इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स (International Chamber of Commerce- ICC) आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल ने देवास मल्टीमीडिया को 1.2 अरब डॉलर का मुआवज़ा दिया था।
- भारत सरकार द्वारा मुआवज़ा नहीं देने के कारण देवास द्वारा ज़ुर्माने की वसूली के लिये इस भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (PSU) की संपत्ति को नष्ट करने के कारण अमेरिका और यूरोपीय संघ में अपील दायर की।
- देवास मल्टीमीडिया के विदेशी निवेशकों ने अंतर्राष्ट्रीय अधिकरणों के माध्यम से मुआवज़े की मांग की।
- भारत सरकार की चुनौती:
- वर्ष 2022 में भारत सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए विदेशी निवेशकों द्वारा मांगे गए मुआवज़े के भुगतान का विरोध किया, जिसमें धोखाधड़ी के आरोप में देवास मल्टीमीडिया के को बरकरार रखा गया था।
- वर्तमान में देवास और उसके अधिकारियों की भारत में धन शोधन/मनी लॉन्ड्रिंग व भ्रष्टाचार के लिये प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो द्वारा जाँच की जा रही है।
- वर्ष 2022 में भारत सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए विदेशी निवेशकों द्वारा मांगे गए मुआवज़े के भुगतान का विरोध किया, जिसमें धोखाधड़ी के आरोप में देवास मल्टीमीडिया के को बरकरार रखा गया था।
- हेग डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की अस्वीकृति:
- भारत ने मुआवज़े के भुगतान को रद्द करने के लिये एक याचिका दायर की, किंतु हेग डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने इसे खारिज़ कर दिया।
- डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने फैसला सुनाया कि प्रवंचना, धोखाधड़ी एवं भ्रष्टाचार के आरोपों को पहले ही कानूनी कार्यवाही के दौरान खारिज़ कर दिया गया था।
- भारत के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का कोई स्वतंत्र महत्त्व नहीं माना गया।
इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स (ICC):
- ICC विश्व का सबसे बड़ा व्यापारिक संगठन है जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एवं ज़िम्मेदार व्यावसायिक आचरण को बढ़ावा देने के लिये कार्य कर रहा है।
- यह वर्ष 1923 से व्यापार तथा निवेश का समर्थन करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक व व्यावसायिक विवादों में कठिनाइयों को हल करने में मदद कर रहा है।
- ICC का मुख्यालय पेरिस, फ्राँस में स्थित है।