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FMCG उद्योग में भ्रामक पद्धति

  • 31 May 2024
  • 2 min read

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया

फास्ट मूविंग कंज़्यूमर गुड्स (Fast Moving Consumer Goods- FMCG) को ऐसे पैकेज-बंद वस्तुओं के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिनकी नियमित रूप से और छोटे अंतरालों पर उपभोग या बिक्री होती है।

  • FMCG कंपनियाँ बिक्री बढ़ाने और मुनाफा बनाए रखने के लिये अक्सर उपभोक्ताओं की कीमत पर विभिन्न भ्रामक रणनीतियाँ अपनाती हैं। इनमें शामिल हैं:
  • शृंकफ्लेशन (Shrinkflation): यह किसी उत्पाद की कीमत कम किये बिना उसके आकार या मात्रा को कम करने की पद्धति है जो अक्सर मुद्रास्फीति के दौरान होती है।
  • मुद्रास्फीतिजनित मंदी (Skimpflation): यह कीमत को स्थिर रखते हुए कम गुणवत्ता वाले कच्चे माल का उपयोग करने या सेवाओं को कम करने की प्रथा है।
  • भ्रामक पैकेजिंग: इसमें कंटेनरों में कम सामान भरकर कीमतें समान रखने की प्रथा है।
  • भ्रामक मूल्य निर्धारण रणनीतियाँ: छूट देने से पूर्व कृत्रिम रूप से कीमतें बढ़ा देना और लोकप्रिय उत्पादों के कम संशोधित संस्करणों को प्रीमियम आइटम के रूप में बेचना।
  • हालाँकि, ये तरीके अवैध नहीं हैं, लेकिन वे उपभोक्ताओं को निराश करती हैं, साथ ही यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 और अन्य नियमों, जो कच्चे माल तथा वज़न की स्पष्ट लेबलिंग को अनिवार्य करते हैं, का सख्ती से पालन किया जाए।

और पढ़ें: शृंकफ्लेशन, भ्रामक खाद्य विज्ञापनों को कम करना

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