एपिलेप्सी (मिर्गी) के उपचार के लिये DBS ब्रेन इम्प्लांट सर्जरी | 03 Jul 2024

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ब्रिटेन में रहने वाला एक किशोर दुनिया का पहला व्यक्ति बन गया है, जिसे मिर्गी के दौरों को नियंत्रित करने में सहायता के लिये मस्तिष्क प्रत्यारोपण उपकरण लगाया गया है।

  • डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS) डिवाइस को उसकी मस्तिष्क में स्थापित किया गया, जिससे दिन में होने वाले दौरे में 80% की कमी आई।

मिर्गी विकार क्या है?

  • मिर्गी के बारे में:
    • एपिलेप्सी (मिर्गी) एक केंद्रीय तंत्रिका तंत्र संबंधी विकार है, इसमें मस्तिष्क की गतिविधि असामान्य हो जाती है, जिससे दौरे या असामान्य व्यवहार, संवेदनाएँ और कभी-कभी अभिज्ञता संबंधी हानि होती है
  • कारण:
    • यह मस्तिष्क में असामान्य विद्युत गतिविधि के कारण होता है।
    • लगभग 50% मामलों में इस बीमारी का कोई पहचान योग्य कारण नहीं होता है। हालाँकि सिर में चोट, मस्तिष्क में ट्यूमर, मेनिन्जाइटिस जैसे कुछ संक्रमण या यहाँ तक कि आनुवंशिक  भी मिर्गी का कारण बन सकती है
    • यह छोटे बच्चों और वृद्धों में अधिक सामान्य है। यह महिलाओं की तुलना में पुरुषों में थोड़ा अधिक होता है।
  • मिर्गी का उपलब्ध उपचार:
    • दौरा-रोधी दवाएँ: ये उपचार की पहली पंक्ति हैं, जिनका उद्देश्य दौरे की आवृत्ति एवं गंभीरता को नियंत्रित करना है।
    • कीटोजेनिक आहार: उच्च वसा, कम कार्बोहाइड्रेट वाला आहार उल्लेखनीय रूप से प्रभावी हो सकता है, विशेष रूप से दवा-प्रतिरोधी मिर्गी वाले बच्चों में।
    • मिर्गी उपचार हेतु सर्जरी: डॉक्टर मस्तिष्क की सर्जरी करके मस्तिष्क के उस हिस्से को हटा सकते हैं जहाँ से दौरे शुरू होते हैं।
    • कॉर्पस कैलोसोटॉमी: इस शल्य प्रक्रिया में डॉक्टर कॉर्पस कैलोसम (मस्तिष्क के दोनों हिस्सों को जोड़ने वाला भाग) को हटा देते हैं, जो असामान्य विद्युत संकेतों को मस्तिष्क के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक जाने की अनुमति नहीं देता है, जिससे असामान्य विद्युत निर्वहन फैलने से रुक जाता है और दौरे पड़ने से रोकता है।

नोट:

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation- WHO) ने मिर्गी को एक तंत्रिका संबंधी विकार के रूप में मान्यता दी है।
  • वर्ष 2022 के लैंसेट अध्ययन के अनुसार, भारत में मिर्गी की व्यापकता प्रति 1,000 व्यक्तियों पर 3 से 11.9 मामलों तक है।
  • अनेक एंटी-सीजर दवाओं की उपलब्धता के बावजूद, लगभग 30% रोगी उपचार के प्रति प्रतिरोधी बने रहते हैं।

मिर्गी के इलाज के लिये DBS ब्रेन इम्प्लांट तकनीक क्या है?

  • परिचय:
    • डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (Deep Brain Stimulation- DBS) में इलेक्ट्रोड युक्त एक चिकित्सा उपकरण प्रत्यारोपित किया जाता है, जो दौरे से जुड़े विशिष्ट मस्तिष्क क्षेत्रों में हल्की विद्युत धारा पहुँचाता है।
    • DBS को दवा-प्रतिरोधी मिर्गी के रोगियों के लिये माना जाता है, जहाँ पारंपरिक दवाओं से दौरों पर नियंत्रण नहीं हो पाता।
    • मस्तिष्क के ऊतकों को हटाने वाली सर्जरी के विपरीत, DBS अधिक लक्षित दृष्टिकोण प्रदान करता है जिसके दुष्प्रभाव भी कम होते हैं।

  • प्रक्रिया:
    • यह उपकरण एक न्यूरोस्टिम्यूलेटर है जो मस्तिष्क में असामान्य दौरा पैदा करने वाले संकेतों को बाधित या अवरुद्ध करने के लिये मस्तिष्क को लगातार विद्युत आवेग प्रदान करता है।
    • इसके अंतर्गत मस्तिष्क में दो इलेक्ट्रोड अंतर्स्थापित किये गए, जो थैलेमस तक पहुँचते हैं। थैलेमस पेशीय और संवेदी सूचना के लिये एक प्रसारण स्टेशन की भूमिका निभाता है। इसमें इलेक्ट्रोड न्यूरोस्टिम्यूलेटर डिवाइस से जुड़े होते हैं।
    • इस डिवाइस को हेडफोन का उपयोग करके बेतार तरीके से रिचार्ज किया जा सकता है।
  • लाभ:
    • दौरे का प्रभावी नियंत्रण: यह कुछ रोगियों में दौरे की आवृत्ति को लगभग 40% तक कम करने में मदद करता है।
    • काम्प्लेक्स मिर्गी के लिये विकल्प: यह उन रोगियों जिनमें मिर्गी मस्तिष्क के विभिन्न भागों से उत्पन्न होती है, के लिये एक व्यवहार्य विकल्प प्रदान करता है, क्योंकि ऐसी स्थिति में सर्जरी मुश्किल अथवा अव्यावहारिक होती है।
    • उपचार-प्रतिरोधी मामले: यह उन मामलों जिनमें औषधि और आहार में बदलाव जैसे परंपरागत विधियाँ दौरे को नियंत्रित करने में विफल रहती हैं, के लिये एक प्रभावी विकल्प हो सकता है।
  • सीमाएँ:
    • DBS, मिर्गी का स्थाई उपचार नहीं है। 
    • इसकी कुल लागत लगभग 17 लाख रुपए हो सकती है जो इसे महँगा बनाता है
    • DBS की प्रभावकारिता दर सुव्यवस्थित सर्जिकल विकल्पों की अपेक्षा कम है। मस्तिष्क की सर्जरी से लगभग 90% उपयुक्त मामलों में दौरे से मुक्ति मिल सकती है।

न्यूरालिंक (न्यूरोटेक्नोलॉजी संबंधी अमेरिकी कंपनी): न्यूरालिंक के मस्तिष्क प्रत्यारोपण का उद्देश्य अभिघातक चोट वाले रोगियों को अपने विचारों की सहायता से ही कंप्यूटर को नियंत्रित करने में मदद करना है।

  • इसका उद्देश्य पार्किंसंस रोग जैसी स्थितियों को संबोधित करके मानव की क्षमताओं में महत्त्वपूर्ण रूप से वृद्धि करना है। 

ब्रेनोवेयर: यह मस्तिष्क के ऑर्गेनोइड्स को माइक्रोइलेक्ट्रोड के साथ एकीकृत करता है और इसका उपयोग मानव मस्तिष्क के विकास और मस्तिष्क से संबंधित व्याधियों का अध्ययन करने के लिये किया जा सकता है। 

और पढ़ें: एपिलेप्सी 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. भावी माता-पिता के अंड या शुक्राणु उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं में आनुवंशिक परिवर्तन किये जा सकते हैं।
  2. व्यक्ति का जीनोम जन्म से पूर्व प्रारंभिक भ्रूणीय अवस्था में संपादित किया जा सकता है।
  3. मानव द्वारा प्रेरित बहुशक्त स्टेम कोशिकाओं को एक शूकर के भ्रूण में अंतर्वेशित किया जा सकता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)