क्राइम मल्टी एजेंसी सेंटर | 02 Sep 2022
कुछ राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश ने क्रि-मैक/Cri-MAC (Crime Multi Agency Centre) प्लेटफॉर्म पर एक भी अलर्ट अपलोड नहीं किया है।
- पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, मिज़ोरम, मणिपुर, नगालैंड और सिक्किम एवं केंद्रशासित प्रदेश दादरा, नगर हवेली और दमन एवं दीव ने एक भी अलर्ट अपलोड नहीं किया है।
- दिल्ली, असम और हरियाणा ने पोर्टल पर सबसे ज़्यादा अलर्ट अपलोड किये हैं।
क्रि-मैक/Cri-MAC:
- क्रि-मैक को वर्ष 2020 में गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा लॉन्च किया गया था, जो राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा संचालित किया जाता है।
- इसे विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ अपराध और अपराधियों के बारे में जानकारी साझा करने एवं उनके बीच सूचना के निर्बाध प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिये शुरू किया गया था।
- इसका उद्देश्य देश भर में अपराध की घटनाओं का जल्द पता लगाने और रोकथाम में मदद करना है।
- क्रि-मैक वास्तविक समय के आधार पर देश भर में मानव तस्करी सहित महत्त्वपूर्ण अपराधों के बारे में जानकारी के प्रसार की सुविधा प्रदान करता है और अंतर-राज्य समन्वय को सक्षम बनाता है।
- यह अवैध तस्करी के पीड़ितों का पता लगाने और उनकी पहचान करने के साथ-साथ अपराध की रोकथाम, पता लगाने एवं जाँच में भी मदद कर सकता है।
मानव तस्करी:
- परिचय:
- मानव तस्करी के तहत किसी व्यक्ति से बलपूर्वक या दोषपूर्ण तरीके से कोई कार्य करवाना, एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना या बंधक बनाकर रखना जैसे कृत्य आते हैं, इन तरीको में धमकी देना या अन्य प्रकार की जबरदस्ती भी शामिल है।
- उत्पीडन में शारीरिक या यौन शोषण के अन्य रूप,बलात् श्रम या सेवाएँ,दास बनाना या ज़बरन शरीर के अंग निकलना आदि शामिल हैं।
- भारत में प्रासंगिक कानून:
- अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम,1956 इस मुद्दे से निपटने के लिये प्रमुख कानून है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 और 24 (शोषण के खिलाफ अधिकार)।
- आईपीसी में 25 धाराएँ, जैसे- 366A, 366B, 370 और 374।
- किशोर न्याय अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम तथा बाल श्रम रोकथाम अधिनियम, बंधुआ श्रम (उन्मूलन) अधिनियम आदि।
- मानव तस्करी से निपटने के भारत के प्रयास:
- जुलाई 2021 में महिला और बाल विकास मंत्रालय ने मानव तस्करी विरोधी विधेयक, व्यक्तियों की तस्करी (रोकथाम, देखभाल और पुनर्वास) विधेयक, 2021 का मसौदा जारी किया।
- भारत ने अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध (पलेर्मो कन्वेंशन) पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की पुष्टि की है, जिसमें अन्य लोगों के बीच विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों की तस्करी को रोकने और दंडित करने के लिये एक प्रोटोकॉल है।
- भारत ने वेश्यावृत्ति के लिये महिलाओं और बच्चों की तस्करी को रोकने और उनका मुकाबला करने हेतु सार्क अभिसमय की पुष्टि की है।
- मानव तस्करी के अपराध से निपटने के लिये राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न निर्णयों को संप्रेषित करने और अनुवर्ती कार्रवाई हेतु गृह मंत्रालय (MHA) में वर्ष 2006 में एंटी-ट्रैफिकिंग नोडल सेल/प्रकोष्ठ की स्थापना की गई थी।
- न्यायिक संगोष्ठी: निचली अदालत के न्यायिक अधिकारियों को प्रशिक्षित और संवेदनशील बनाने के लिये मानव तस्करी पर न्यायिक संगोष्ठी उच्च न्यायालय स्तर पर आयोजित की जाती है।
- "स्वाधार गृह योजना", "सखी", "महिला हेल्पलाइन का सार्वभौमिकरण" जैसी विभिन्न पहलें हिंसा से प्रभावित महिलाओं की चिंताओं को दूर करने के लिये सहायक संस्थागत ढाँचे और तंत्र प्रदान करती हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. संसार के दो सबसे बड़े अवैध अफीम उत्पादक राज्यों से भारत की निकटता ने भारत की आंतरिक सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है। नशीली दवाओं के अवैध व्यापार एवं बंदूक बेचने, मनी लॉन्ड्रिंग और मानव तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों के बीच कड़ियों को स्पष्ट कीजिये। इन गतिविधियों क रोकने के लिये क्या-क्या प्रतिरोधी उपाय किये जाने चाहिये? (मेन्स-2018) |