CMV और ToMV वायरस | 07 Jul 2023
महाराष्ट्र में टमाटर उत्पादकों का मानना है कि टमाटर की फसल में गिरावट का कारण ककड़ी मोज़ेक वायरस (CMV) है, जबकि कर्नाटक और अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों में उत्पादक अपनी फसल के नुकसान के लिये टमाटर मोज़ेक वायरस (ToMV) को ज़िम्मेदार ठहराते हैं।
- पिछले तीन वर्षों के दौरान टमाटर उत्पादकों ने इन दो वायरसों से अधिक संक्रमण की शिकायत की है जिससे फसलों को आंशिक नुकसान हुआ है।
ToMV और CMV:
ToMV:
- परिचय:
- ToMV विर्गाविरिडे परिवार से संबंधित है और मोज़ेक वायरस (TMV) से निकटता से संबंधित है। यह टमाटर, तंबाकू, मिर्च और कुछ सजावटी पौधों को संक्रमित करता है।
- इसकी पहचान सबसे पहले वर्ष 1935 में टमाटर में की गई थी।
- संचरण:
- ToMV मुख्य रूप से संक्रमित बीजों, पौधों, कृषि उपकरणों और मानव संपर्क से फैलता है।
- यह कुछ कीट वाहकों, जैसे थ्रिप्स और व्हाइटफ्लाइज़ द्वारा भी प्रसारित किया जा सकता है।
- फसलों पर प्रभाव:
- ToMV के कारण पत्तियों पर हरे धब्बे और पीलापन आ जाता है, जो प्राय: फफोले या फर्न जैसे पैटर्न के रूप में दिखाई देते हैं।
- पत्तियाँ नीचे या ऊपर की ओर मुड़ सकती हैं और विकृत हो सकती हैं।
- पौधे छोटे और बौने हो जाते हैं और उनके फलों को भी प्रभावित करते है।
- नियंत्रण के उपाय:
- नर्सरी में जैव-सुरक्षा मानकों और अनिवार्य बीज उपचार लागू करने पर बल दिया जाना चाहिये।
- किसानों को रोपण से पहले पौधों का निरीक्षण करना चाहिये और किसी भी संक्रमित सामग्री का त्याग कर देना चाहिये।
CMV:
- परिचय :
- CMV, ब्रोमोविरिडे (Bromoviridae) परिवार से संबंधित है और सबसे व्यापक पादप विषाणुओं में से एक है। इसकी व्यापक मेज़बान श्रृंखला है, जो खीरे, तरबूज, बैंगन, टमाटर, गाजर, सलाद, अजवाइन, कद्दू और कुछ सजावटी पौधों को प्रभावित करती है।
- इसे पहली बार वर्ष 1934 में खीरे के रूप में पहचाना गया था।
- CMV, ब्रोमोविरिडे (Bromoviridae) परिवार से संबंधित है और सबसे व्यापक पादप विषाणुओं में से एक है। इसकी व्यापक मेज़बान श्रृंखला है, जो खीरे, तरबूज, बैंगन, टमाटर, गाजर, सलाद, अजवाइन, कद्दू और कुछ सजावटी पौधों को प्रभावित करती है।
- हस्तांतरण:
- CMV मुख्य रूप से एफिड्स (aphids) के माध्यम से फैलता है, जो रस-चूसने वाले कीड़े हैं जो कम समय में वायरस के संपर्क में आ सकते हैं तथा उन्हें प्रसारित कर सकते हैं।
- इसे बीज, यांत्रिक टीकाकरण और ग्राफ्टिंग (Grafting) द्वारा भी प्रसारित किया जा सकता है।
- CMV मुख्य रूप से एफिड्स (aphids) के माध्यम से फैलता है, जो रस-चूसने वाले कीड़े हैं जो कम समय में वायरस के संपर्क में आ सकते हैं तथा उन्हें प्रसारित कर सकते हैं।
- फसल पर प्रभाव:
- पौधे के उपरी और निचले भाग की पत्तियों का विकृत होना।
- खीरे में पीले और हरे धब्बों का पैटर्न।
- फलों के निर्माण, आकार और उत्पादन पर प्रभाव।
- नियंत्रण करने के उपाय:
- त्वरित-प्रभाव दिखाने वाले कीटनाशकों अथवा खनिज तेलों का उपयोग करके एफिड्स को रोकने पर ध्यान देना।
- एफिड प्रवासन और वायरस को अन्य क्षेत्रों में फैलने से रोकने के लिये सावधानी बरतना।
- समानता:
- दोनों वायरस में एक एकल-स्ट्रैंडेड RNA जीनोम होता है जो एक रॉड के आकार के प्रोटीन परत से घिरा होता है। दोनों वायरस घावों अथवा प्राकृतिक छिद्रों के माध्यम से पौधों की कोशिकाओं में प्रवेश करते हैं और साइटोप्लाज़्म की प्रतियाँ बनाते हैं।
- फिर वे फ्लोएम के माध्यम से पूरे पौधे में व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ते हैं।
- यदि समय रहते इसका हल नहीं निकाला गया तो दोनों वायरस लगभग पूरी फसल को नुकसान पहुँचा सकते हैं।
- दोनों वायरस में एक एकल-स्ट्रैंडेड RNA जीनोम होता है जो एक रॉड के आकार के प्रोटीन परत से घिरा होता है। दोनों वायरस घावों अथवा प्राकृतिक छिद्रों के माध्यम से पौधों की कोशिकाओं में प्रवेश करते हैं और साइटोप्लाज़्म की प्रतियाँ बनाते हैं।
नोट:
- फ्लोएम संवहनी पौधों में पाया जाने वाला एक जटिल ऊतक है जो पूरे पौधे में कार्बनिक पोषक तत्त्वों मुख्य रूप से शर्करा के परिवहन के लिये ज़िम्मेदार है।
- साइटोप्लाज़्म जेल जैसा पदार्थ है जो कोशिकाओं के आंतरिक भाग को भरता है। यह जल, लवण, प्रोटीन और अन्य अणुओं से बना एक अर्द्ध तरल माध्यम है।
- RNA एक आनुवंशिक पदार्थ है जो राइबोन्यूक्लिक एसिड (RNA) से बना होता है। यह सिंगल-स्ट्रैंडेड न्यूक्लियोटाइड अनुक्रमों के रूप में आनुवंशिक जानकारी रखता है।